चीन के बाद भारत का सबसे बड़ा आयात अमेरिका, सऊदी अरब और अमीरात से होता है. चीन से होने वाला आयात इन तीनों से ज्यादा है. फिर भी पटाखा क्रांतिकारियों को ध्यान रखना होगा कि दुनिया को 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के चीनी निर्यात में भारत का हिस्सा तीन फीसदी से भी कम है! चीन की चुनौती को भावुक नहीं बल्कि तर्कसंगत ढंग से लेना होगा. भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार चीन के दबदबे का ताजा आधिकारिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है. आखिरी कोशिश 2011 में हुई थी जब तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के दखल का गोपनीय आकलन किया. निष्कर्ष चौंकाने वाले थेः
1. चीन अपने उत्पादों की कीमतें भारत के मुकाबले 40 फीसदी तक सस्ती कर सकता है. बाजार इस हकीकत की तस्दीक करता है.
2. भारत के टेलीकॉम आयात में चीन का हिस्सा 2011 में ही 62 फीसदी था. अब यह 75 फीसदी से ऊपर होगा.
3. चीन दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार का सबसे बड़ा बल्क ड्रग (दवा) निर्माता है और एपीआइ (एक्टिव फॉर्मा इनग्रेडिएंटस) और बल्क ड्रग की आपूर्ति के लिए भारत चीन पर शत प्रतिशत निर्भर है.
4. बिजली संयंत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के लिए भारत के अधिकांश सामान की जरूरत चीन से पूरी होती है. और सबसे महत्वपूर्ण
5. भारत के मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में चीन का हिस्सा 2011 में 26 फीसदी था जो अगले पांच साल में 75 फीसदी होना था. यह आकलन सही साबित हुआ है.

अर्थात्: मेड इन चाइना

चीन के कुल विदेश व्यापार में भारत केवल तीन फीसदी की अहमियत रखता है

  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2016,
  • (अपडेटेड 22 अक्टूबर 2016, 1:36 PM IST)

जब पिछले हफ्ते मेड इन चाइना सामान पर फेसबुक/वॉट्सऐप निर्मित गुस्सा बरस रहा था, पटाखों-बल्बों की खरीद रोककर चीन की इकोनॉमी को मटियामेट करने के आह्वान टीवी चैनलों की सुर्खियों में पहुंचने दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार लगे थे. ठीक उसी समय मुंबई में रिजर्व बैंक के अधिकारी यह गणित लगा रहे थे कि भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कितना हिस्सा, कैसे युआन (चीन की करेंसी) में बदला जाना है.

पाक समर्थित आतंकियों पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार तीन दिन बाद ही युआन दुनिया की पांचवीं सबसे ताकतवर करेंसी बन गया था. अक्तूबर का पहला हफ्ता लगते ही युआन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) में जगह मिल गई. यह मुद्राओं का आभिजात्य क्लब है जिसमें अमेरिकी डॉलर, जापानी येन, ब्रिटिश पाउंड और यूरो के बाद सिर्फ युआन को जगह मिली है. विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार एसडीआर के फॉर्मूले पर बनते हैं इसलिए भारत सहित दुनिया के सभी देश अब विदेशी मुद्रा खजाने में डॉलर, पाउंड, यूरो, येन के साथ युआन को भी सहेजेंगे.

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