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भारी भरकम मार्जिन पर लगेगी रोक, सस्ती होंगी दवाइयां
नई दिल्ली: ट्रेडर्स और रिटेलर्स को भारी भरकम मार्जिन पर मिलने वाली दवाइयों पर फार्मा कंपनी जल्द ही रोक लगाएगी। इसके ऊपर रोक लगाने के लिए सरकार मार्जिन पर कैंपिग चलाएगी। जिसके पश्चात कोई भी कंपनी दवा को प्रोमोट करने के लिए ज्यादा मार्जिन का लालच नहीं दे सकेगी। इसके अतिरिक्त सरकार डायबिटीज, एचआईवी, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के लिए मिलने वाली महंगी दवाईयों की कीमतें भी कम करने जा रही है।
फार्मा सेक्रेटरी वी के सुब्बाराज ने बताया कि फार्मा कंपनियों की तरफ से ट्रेडर्स और रिटेलर्स को दी जाने वाली भारी भरकम मार्जिन पर बनी कमिटी ने अपनी रिपोर्ट फार्मा विभाग को सौंप दी है।
फार्मा सेक्रेटरी के अनुसार कंपनियां दवाइयों की बिक्री बढ़ाने के लिए ट्रेडर्स और रिटेलर्स के लिए ज्यादा मार्जिन रखा जाता है। कमिटी की रिपोर्ट अनुसार कई दवाओं पर 1000-3000 फीसदी का मार्जिन लगता है। वहीं ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर में भी संशोधन संभव है। बता दें कि इन सब मुद्दों पर स्वास्थ्य मंत्रालय चर्चा कर रहा है।
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Political Stock Exchange: गुजरात में वोटिंग प्रतिशत बदला, क्या सरकार भी बदलेगी?
Political Stock Exchange: गुजरात में वोटिंग प्रतिशत बदला, क्या सरकार भी बदलेगी?
अंजना ओम कश्यप
- अहमदाबाद ,
- 03 दिसंबर 2022,
- अपडेटेड 7:10 PM IST
गुजरात में पहले चरण की वोटिंग में 7 प्रतिशत की गिरावट के बाद अब सभी पार्टियों की नजर दूसरे चरण की वोटिंग पर है. दूसरे चरण में कुल 93 सीटों पर चुनाव होना है. गुजरात में वोटिंग प्रॉफिट मार्जिन पर जल्द से जल्द अवसर पर ले जाना प्रतिशत में कमी क्या सरकार बदलने का इशारा है? अंजना ओम कश्यप के साथ देखिए पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज.
After a 7 percent decline in the first phase of voting in Gujarat, now all parties are eyeing the second phase of voting. In the second phase, elections are to be held on a total of 93 seats. Is the decrease in voting percentage in Gujarat a sign of a change of government? Watch Political Stock Exchange with Anjana Om Kashyap.
जानिये MESSO App से जुड़ी अहम बातें और घर बैठे लाखों कमाये
यह E-Commerce का दौर है। Amazon और Flipkart जैसी कंपनियों की अपार सफलता ने यह साबित कर दिया कि लोगों को Online Shopping का चस्का है। घर बैठे शॉपिंग करना एक फैशन सा बन चुका है। अब भारत में भी ऐसे कई ऐप्स आ चुके हैं जिसे यूज़ करके मिनटों में हजारों की खरीदारी की जा सकती है। इसी कड़ी में जो सबसे विश्वसनीय और यूजर फ्रेंडली एप है वह है ‘Meesho App’.
क्या है Meesho App? समझिये सरल भाषा में
Meesho एक Made in India रिसेलिंग (Reselling) एप है जिसकी शुरुआत IIT दिल्ली के विद्यार्थी विदित आत्रे और संजीव बरनवाल ने साल 2015 को की थी। इस एप में बड़े और छोटे सभी प्रकार के होलसेल कंपनियों के प्रोडक्ट बिकते हैं। आसान भाषा में कहें तो यह Amazon और Flipkart के जैसा ही एक E-commerce Platform है जिसमें आप किसी भी लिस्टेड प्रोडक्ट को Online खरीद सकते हैं।
मीशो छोटे स्तर के व्यवसायों और व्यक्तियों को अपना खुद का वर्चुअल स्टोर को सोशल मीडिया पर खोलने में मदद करता है। इस एप की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ प्रोडक्ट को बेचने के लिए पुनर्विक्रेताओं (resellers) को बस स्मार्टफोन की जरूरत पड़ती है। यानी की ज़ीरो इंवेस्मेट के साथ कोई भी यहाँ व्यपार शुरू कर सकता है। चाहे वो विद्यार्थी हो, गृहणी या फिर पार्ट टाइम जॉब कर रहा कोई भी आदमी।
आपको बता दें कि iOS और Android दोनों जगह ही यह एप उपलब्ध है। इस एप को अब तक 10 करोड़ लोगों ने गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया है। यह आंकड़ा Meesho App की लोकप्रियता को दर्शाता है।
जानिये Meesho एप की प्रमुख विशेषताएं
- Meesho App पूर्ण रूप से स्वदेशी है। यहाँ आपको मैन्युफैक्चरिंग रेट पर ज्यादातर प्रोडक्ट्स की प्राइस मिल जाती है जो कि बाकी सभी मार्केट की तुलना में बेहद कम है।
- Meesho में कम दाम पर अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स मिल जाते हैं। यानी यह एप Cheap एंड Best है।
- Meesho एक ऐसा प्लेटफार्म है जो wholeseller और seller/reseller को आपस में जोड़ता है और दोनों को नये अवसर देता है।
- Meesho एप में बाकी E-Commerce कंपनियों की तरह रिटर्न प्रोडक्ट डिलीवरी का भी ऑप्शन्स उपलब्ध है। यदि आपको कोई प्रोडक्ट खरीदने के बाद पसंद नहीं आया है तो इसे लौटा सकते हैं।
- Meesho में आपको Cash on Delivery का भी मिलता है। मतलब जब प्रोडक्ट आपको डिलीवर हो जाए तभी आपको पेमेंट करना होगा। अगर आप ऑनलाइन (UPI/Google Pay/Paytm) भुगतान करना चाहते हैं तो इसका भी विकल्प दिया जाता है।
- Meesho एप व्हाट्सएप कैटलॉग कि भी सर्विस प्रदान करता है।
- आप Meesho के हर एक सेल पर तगड़ी कमिशन प्राप्त कर सकते हैं।
Meesho App Download कैसे करें?
Meesho app डाउनलोड बहुत आसान है। आपको बस नीचे बताए गए स्टेप्स को फॉलो करना है –
- सबसे पहले एंड्रॉयड यूजर्स गूगल प्ले स्टोर पर जाए
- अब वहां सर्च के विकल्प पर Click करें और Meesho ऐप टाइप करें और सर्च पर क्लिक कर दे
- इस स्टेप के बाद आपको Meesho ऐप मिल जाएगा। उसमे टैप करें और इंस्टॉल के विकल्प पर क्लिक करें। कुछ देर में Meesho download हो जायगा
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Meesho कस्टमर केयर नंबर क्या है?
Meesho का कस्टमर्स केयर नंबर +91-80-6179-9600 है। आपको किसी भी तरह की जानकारी चाहिए। तो इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं।
Meesho App से पैसे कमाने का तरीका क्या है?
सर्वप्रथम Meesho App अपने स्मार्टफोन में इंस्टाल करें और लगे हाथ अकांउट बना लें। जिसे प्रोडक्ट को बेचना है उसे सर्च बार पर ढूंढ। आप Meesho में दिए गए कैटेगरी के माध्यम से भी ढूंढ सकते हैं। उस प्रोडक्ट का चयन करें जिसे आपको बेचना है।
चयन कर के उसे व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम, ट्विटर आदि सोशल मीडिया पर शेयर करें। ध्यान रखने वाली बात यह है कि पहली बार शेयर करने से प्रोडक्ट की इमेज जायेगा और दूसरी बार शेयर करने से प्रोडक्ट का डिस्क्रिप्शन जाएगा। यानी की कुल मिलाकर दो बार आपको प्रोडक्ट को शेयर करना है। जिससे प्रोडक्ट का इमेज और डिस्क्रिप्शन दोनों चले जाए। ध्यान रहे कि डिस्क्रिप्शन में प्रोडक्ट कि कीमत नहीं जाएगी। क्योंकि अभी आपको अपना प्रॉफिट मार्जिन जोड़ना होगा। प्रोडक्ट शेयर करने के बाद अपने कार्ट में जरूर Add कर लें प्रोडक्ट को। Cart में प्रोडक्ट जोड़ने के लिए Add to Cart के विकल्प पर क्लिक कर दें। प्रोडक्ट Size और Quantity का चयन कर लें।
इसके बाद “Continue” के ऑप्शन पर क्लिक कर दें। अब आपका प्रोडक्ट कार्ट में Add हो गया है। अब आपको ऊपर बाएं तरफ कार्ट का ऑप्शन मिल जाएगा। उसमें जाकर देख ले कि आपका प्रोडक्ट add हुआ है या नहीं। इसके बाद Continue के विकल्प पर क्लिक करें। आपने जिसको प्रोडक्ट बेचा है, उसकी Complete details को भरें। इसे कंप्लीट करने के बाद “Save address and Continue” के ऑप्शन पर क्लिक करें। और फिर Payment Option को सेलेक्ट करें। यहां आपको तीन तरह के विकल्प मिलेंगे। Cash On Delivery, Online या Wallet इनमें से किसी एक को चुनें। अब आपको अपना प्रॉफिट मार्जिन जोड़ना होगा।
इसलिए “Selling to a Customer” पर “Yes” और “No” का विकल्प मिलेगा। प्रॉफिट मार्जिन जोड़ने के लिए आपको Yes का चयन करना है। अगर प्रोडक्ट को आप अपने लिए खरीद रहे हैं तो इसे No पर रहने दें। अब आपको अपना प्रॉफिट मार्जिन जोड़ना होगा। जितना प्रॉफिट आप इस प्रोडक्ट पर चाहते हैं उसके साथ साथ प्रोडक्ट की कीमत दोनों को साथ में जोड़कर भरें और प्रोडक्ट की फाइनल कीमत को देखें। प्रॉफिट मार्जिन जोड़ने के बाद Continue पर आप जैसे क्लिक करेंगे आपको प्रोडक्ट की सभी जानकारी आ जाएगी। उसमें प्रोडक्ट की फाइनल प्राइस भी दी होगी। जो आपके प्रॉफिट मार्जिन के जोड़ने के बाद आई होगी। सबकुछ सही होने के बाद आपको प्रोडक्ट का ऑर्डर देना है। इसके लिए Place Order पर क्लिक करना होगा। इसके बाद आपका ऑर्डर प्लेस हो जायगा।
प्रॉफिट मार्जिन पर जल्द से जल्द अवसर पर ले जाना
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जब मुझे पता चला कि वह व्यापारी उन्हें बहुत मंहगे दामों पर बेच रहा है, तो मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने सोचा कि जो व्यापारी अपने ग्राहकों से इस तरह नाजायज फायदा उठा रहा है, वह जरूर मेरे चावलों में अन्य चावलों की मिलावट करके ग्राहकों को गलत दामों पर बेचेगा। मैंने तत्काल उस स्टोर को माल भेजना बंद कर दिया।
पिछले कई बरसों से मैं देश के विभिन्न भागों में स्थित प्राकृतिक खाद्यों के स्टोरों को 250 से 300 किलो चावल भेजता रहा हूं। मैंने मेंडेरिन संतरों के 15 किलो के 400 बक्से भी ट्रकों में भरकर टोकियो के सुगीनामी जिले की सहकारी समिति को भेजे हैं। इस समिति में अध्यक्ष, चूंकि प्रदूषण-मुक्त उत्पाद बेचना चाहते थे। यह व्यवस्था हम दोनों के बीच हुई। पहले साल तो काफी ठीक धंधा चला, लेकिन कुछ शिकायतें भी मिलीं। फलों के आकारों में बहुत ज्यादा अंतर था, उनका बाहरी रूप-रंग भी देखने में बहुत अच्छा नहीं था, और छिलके पर झुर्रियां पड़ी हुई थी आदि। मैंने फलों को सादे बक्सों में भरकर ही भेजा था, इससे कुछ लोगों को लगा कि वे फल सेकंड क्वालिटी (दूसरे-दर्जे) के थे। अब मैं फलों को उन बक्सों में रखकर भेजता हूं, जिन पर लिखा होता है ‘प्राकृतिक मेंडेरिन’।
चूंकि प्राकृतिक खाद्य कम-से-कम खर्च और मेहनत से उगाए जाते हैं, मेरा तर्क यह था कि वे न्यूनतम कीमत पर बेचे जाने चाहिए। गत वर्ष टोकियो के इलाके में मेरे फल सबसे कम कीमत पर बेचे गए। कुछ दुकानदारों के अनुसार स्वाद व खुशबू में तो वे सबसे बढ़िया थे। इससे भी अच्छा यह हो सकता है, कि फलों को स्थानीय रूप से बेचा जाए ताकि, उनकी ढुलाई के खर्च और समय दोनों की बचत हो सके। फिर भी उक्त फलों की कीमत भी वाजिब थी, उनमें कोई रसायन नहीं थे और उनका स्वाद भी अच्छा था। इस वर्ष मुझ से कहा गया कि मैं गत-वर्ष से दो-तीन गुना ज्यादा माल भेजूं।
यहां यह सवाल खड़ा होता है कि प्राकृतिक खाद्य का सीधी बिक्री को किस सीमा तक बढ़ाया जा सकता है। इस मामले में मुझे एक बात से कुछ उम्मीद बंधती है। इधर कुछ समय से रासायनिक फल बेचने वाले आर्थिक कठिनाईयाँ महसूस कर रहे हैं। उनके लाभ का मार्जिन घटा है, उनके लिए प्राकृतिक खाद्य उगाना पहले से ज्यादा आकर्षक हो गया है, औसत किसान रसायन, रंग, पॉलिश आदि पर कितनी ही मेहनत क्यों न करे, उसे अपने फल जिस कीमत पर बेचने पड़ते हैं, उससे बड़ी मुश्किल से लागत भर वसूल हो पाती है। इस वर्ष हालत यह हुई है कि बहुत ही बढ़िया फल देने वाले फार्म पर भी प्रति किलो बहुत मुश्किल 2-3 रुपए ही मुनाफा होने की उम्मीद की जा रही है। थोड़ी सी भी घटिया क्वालिटी के फल उगाने वाले किसान को तो शायद कोई मुनाफा नहीं हो पाएगा।
चूंकि पिछले कुछ बरसों में कीमतें गिरी हैं, कृषि सहकारी-समितियां तथा छंटाई केंद्र बहुत ही सख्त हो गए हैं और वे केवल वही फल पसंद कर रहे हैं, जिनकी क्वालिटी सर्वश्रेष्ठ होती है। जरा भी घटिया फल छंटाई केंद्रों को नहीं बेचे जा सकते। मेंडेरिन संतरों की फसल काटने से पहले खेत में दिन भर का श्रम फिर उन्हें बक्सों में भरना और छंटाई केंद्रों तक ले जाना आदि के लिए किसान को रात 11-12 बजे तक काम से भिड़े रहना पड़ता है। उसे एक-एक कर अच्छे, बड़े आकार के फल छांट कर अलग रखने पड़ते हैं (नापसंद किए गए फल आधी कीमत पर उनका रस निकालने के लिए एक निजी कंपनी को बेच दिए जाते हैं।) कई बार कुल फसल में से केवल 25 से 50 प्रतिशत फल ही ‘अच्छे’ निकल पाते हैं और इनमें से भी कुछ को सहकारी समिति खारिज कर देती है। इसके बाद यदि मुनाफा प्रति किलो एक-दो रुपए हो जाता है तो किसान उसे काफी ठीक मानता है।
बेचारा, संतरे उगाने वाला किसान - इन दिनों मेहनत तो खूब कर रहा है मगर इसके बावजूद उसकी लागत भी मुश्किल से निकल पाती है। चूंकि, बगैर रसायन या उर्वरक इस्तेमाल किए, या बिना मिट्टी को संवारे फल उगाने से खर्चा कम बैठता है, किसान को शुद्ध मुनाफा ज्यादा होता है। मैं जो फल बाजार में भेजता हूं उन्हें लगभग बिल्कुल नहीं छांटा जाता है। मैं बस फलों को बक्से में भरता हूं, बक्से बाजार में रवाना करता हूं और रात को जल्दी से सोने चला जाता हूं। मेरे आस-पड़ोस के किसान यह महसूस कर रहे हैं कि वे मेहनत तो प्रॉफिट मार्जिन पर जल्द से जल्द अवसर पर ले जाना खूब कर रहे हैं, लेकिन उनकी जेबों में बचत कुछ भी नहीं है। यह भावना बल पकड़ रही है कि प्राकृतिक खाद्य को स्थानीय स्तर पर बेचने की व्यवस्था नहीं की जाती, सामान्य किसान तो इस चिंता से मुक्त नहीं हो पाएंगे कि वे अपनी पैदावार आखिर कहां बेचें। जहां तक उपभोक्ता का सवाल है, यह धारणा आम रही है कि प्राकृतिक खाद्य मंहगा होता है, यदि वह मंहगा नहीं होता तो लोगों को शंका होने लगती है कि वह प्राकृतिक है भी या नहीं। एक खुदरा व्यापारी ने मुझे बताया कि प्राकृतिक पैदावार जब तक मंहगी न बेची जाए उसे कोई नहीं खरीदता।
मैं अब भी मानता हूं कि प्राकृतिक खाद्यों को अन्य की अपेक्षा सस्ता बेचा जाना चाहिए। कई वर्ष पहले टोक्यो के एक प्राकृतिक खाद्य बेचने वाले स्टोर ने मुझसे संतरों के बगानों से एकत्र किया शहद तथा पहाड़ी मुर्गियों द्वारा दिए अंडे भेजने को कहा था। जब मुझे पता चला कि वह व्यापारी उन्हें बहुत मंहगे दामों पर बेच रहा है, तो मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने सोचा कि जो व्यापारी अपने ग्राहकों से इस तरह नाजायज फायदा उठा रहा है, वह जरूर मेरे चावलों में अन्य चावलों की मिलावट करके ग्राहकों को गलत दामों पर बेचेगा। मैंने तत्काल उस स्टोर को माल भेजना बंद कर दिया। यदि प्राकृतिक खाद्यों को व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाना है तो उन्हें वाजिब भाव पर स्थानिक रूप से उपलब्ध करवाना होगा। यदि उपभोक्ता सिर्फ इस विचार को गले उतार लें कि - कम कीमत का अर्थ यह नहीं कि वे खाद्य प्राकृतिक नहीं है, तो सभी लोग सही दिशा में सोचना शुरू कर देंगे।
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