CTET is main teaching eligibility est which will be going to held on 5th July 2020 by CBSE .Hindi as a language is main subject in both papers of CTET 2020. The रुझान आधारित प्रणाली का परिचय students always choose Hindi as a language 1 or 2 in CTET exam. The examination pattern and syllabus of hindi subject contains for both papers i.e.hindi paragraph comprehension, hindi Poem comprehension and hindi pedagogy. This section total contain 30 marks.

कहानी शिक्षण – Hindi Pedagogy Study Notes for CTET Exam_30.1

विश्वविद्यालय परिचय

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के वेबस्थल पर आपका हार्दिक अभिनंदन। ज्ञान-विज्ञान के सभी क्षेत्रों में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं शोध को हिंदी माध्यम से बढ़ाने हेतु 19 दिसंबर, 2011 को मध्यप्रदेश शासन ने इस विश्वविद्यायल की स्थापना की है।

इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है जो समग्र व्यक्तित्व विकास के साथ रोजगार कौशल और चारित्रिक दृष्टि से विश्वस्तरीय हो। विश्वविद्यालय ऐसी शैक्षिक व्यवस्था का सृजन करना चाहता है जो भारतीय ज्ञान तथा आधुनिक ज्ञान में समन्वय करते हुए छात्रों, रुझान आधारित प्रणाली का परिचय शिक्षकों और अभिभावकों में ऐसी सोच विकसित कर सके जो भारत केन्द्रित होकर संपूर्ण सृष्टि के कल्याण को प्राथमिकता दे।

ऐसे विश्वविद्यालय का शिलान्यास 6 जून 2013 को भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों से ग्राम मुगालिया कोट की 50 एकड़ भूमि पर हो गया है। शिक्षा सत्र 2012-13 में 60 विद्यार्थियों से प्रारंभ होकर इस विश्वविद्यालय में सत्र 2017-18 में लगभग 442 विद्यार्थियों ने अध्ययन हेतु प्रवेश लिया है। अब तक 18 संकायों में 231 से अधिक पाठ्यक्रमों का हिंदी में निर्माण कर लिया गया है। विश्वविद्यालय में प्रत्येक छात्र को हिंदी भाषा के साथ-साथ एक विदेशी भाषा, एक प्रांतीय भाषा एवं संगणक प्रशिक्षण की सुविधा अंशकालीन प्रमाण-पत्र कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध है। सभी पाठ्यक्रमों में आधुनिक ज्ञान के साथ उस विषय में भारतीय योगदान की जानकारी भी दी जाती है तथा संबंधित विषय में मूल्य आधारित व्यावसायिकता के साथ स्वरोजगार की अवधारणा के संवर्धन पर जोर दिया जाता है। आगे पढे.

जीपीएस से कितना बेहतर है स्वदेसी नेविगेशन रुझान आधारित प्रणाली का परिचय सिस्टम नाविक, जानें कैसे होगा इस्तेमाल

navic

  • देश में निर्मित सभी स्मार्टफोन में स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम को शामिल करने का प्रस्ताव
  • नाविक से विदेशी उपग्रहों और नेविगेशन सर्विस की जरूरतों पर निर्भरता से मुक्त हो सकेंगे
  • 2021 में सेटेलाइट नेविगेश नीति का बना था प्रस्ताव, दुनिया भर में सिग्नल देगा नाविक

नई दिल्ली : सरकार अगले साल से देश में बेचे जाने वाले नए उपकरणों में अपने NavIC नेविगेशन सिस्टम के लिए समर्थन सक्षम करने के लिए स्मार्टफोन निर्माताओं पर जोर दे रही है। यह एक ऐसा कदम है उद्योगों को अतिरिक्त लागत और सीमित समय सीमा के कारण हिला दिया है। आइए जानते हैं आखिर क्या है स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम नाविक। क्यों भारत चाहता है कि स्मार्टफोन निर्माता इसे अपनाएं। साथ ही यह दुनिया के अन्य नेविगेशन सिस्टम की तुलना कितना अलग और बेहतर है।

नाविक क्या है?
NavIC यानी नेविशगेशन विद इंडियन कॉन्सटिलेशन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तरफ से डेवलप एक स्वतंत्र स्टैंड-अलोन नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। साल 2006 में 17.4 करोड़ डॉलर की लागत वाले प्रोजेक्ट नाविक की शुरुआत हुई थी। इसके 2011 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन केवल 2018 में चालू हो गया। नाविक में आठ उपग्रह शामिल हैं। यह भारत के पूरे भूभाग को कवर करता है। इसकी सीमा 1,500 किमी तक है। वर्तमान में, NavIC का उपयोग सीमित है। इसका उपयोग सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग में किया जा रहा है, गहरे समुद्र में जाने वाले मछुआरों को आपातकालीन चेतावनी अलर्ट प्रदान करने के लिए। ये उन जगहों पर प्रयोग में लाया जा रहा है जहां कोई टेरेरेस्टियल नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित जानकारी को ट्रैक करने और प्रदान करने के लिए है। स्मार्टफोन में इसे सपोर्ट उपलब्ध करना अगला कदम है।
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NavIC अन्य नेविगेशन सिस्टम से अलग कैसे हैं?
नाविक और अन्य नेविगेशन सिस्टम में मुख्य अंतर इन की तरफ से कवर किया जाने वाला सर्विस एरिया है। जीपीएस दुनिया भर में यूजर की जरूरत को पूरा करता है। जीपीएस के सैटेलाइट दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाते रुझान आधारित प्रणाली का परिचय रुझान आधारित प्रणाली का परिचय हैं। वहीं, नाविक वर्तमान में भारत और आस-पास के क्षेत्रों में उपयोग के लिए है। जीपीएस की तरह, तीन और नेविगेशन सिस्टम हैं जो वैश्विक कवरेज वाले हैं। इनमें यूरोपीय संघ का गैलीलियो, रूस का ग्लोनास और चीन की बाइडो शामिल हैं। जापान द्वारा संचालित QZSS, जापान पर फोकस करने के साथ एशिया-ओशिनिया क्षेत्र को कवर करने वाला एक अन्य रिजनल नेविगेशन सिस्टम है। भारत की 2021 उपग्रह नेविगेशन मसौदा नीति में कहा गया है कि सरकार NavIC सिग्नल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ' रीजनल से ग्लोबल तक कवरेज का विस्तार' करने की दिशा में काम करेगी। इस तरह नाविक दुनिया के किसी भी हिस्से में अपनी सेवाएं देगा।सरकार ने अगस्त में कहा, स्थिति सटीकता के मामले में नाविक संयुक्त राज्य अमेरिका के जीपीएस जितना अच्छा है।
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भारत नाविक को क्यों बढ़ावा दे रहा है?
मौजूदा समय में जीपीएस समेत अन्य नेविगेशन सिस्टम संबंधित राष्ट्रों की रक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित होते हैं। ऐसे में यह संभव है कि नागरिक सेवाओं को नीचा या अस्वीकार किया जा सकता है। इसके उलट नाविक एक स्वदेशी पोजिशनिंग सिस्टम है रुझान आधारित प्रणाली का परिचय जो भारतीय नियंत्रण में है। इसमें किसी देश की तरफ से सर्विस वापस लेने या अस्वीकार करने का कोई रिस्क नहीं है। भारत भी अपने मंत्रालयों को स्वदेशी NavIC- आधारित समाधान विकसित करने में लगे स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए NavIC अनुप्रयोगों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है।

कहानी शिक्षण

कहानियाँ सुनना – सुनाना प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को भाषा सीखने में बहुत मदद करती है।कहानी सुनना बच्चों के लिए रुझान आधारित प्रणाली का परिचय रुचिकर होने के साथ – साथ उनकी सृजनात्मकता को भी बढ़ाने वाला होता है। कई बार बच्चे सुनी हुई कहानी में मनचाहा बदलाव करके अपने मित्रों को सुनाते हैं। इसके द्वारा बच्चे न केवल शब्दों के अर्थ बल्कि विभिन्न घटनाओं को भी समझने लगते हैं और साथ ही यह बच्चों की कल्पनाशीलता को भी बढ़ाती है। कहानी इस मायने में भी महत्त्वपूर्ण है कि यह रुझान आधारित प्रणाली का परिचय बच्चों में अनुमान लगाने की क्षमता बढ़ाती है जैसे – जब कभी बच्चे कहानी सुन रहे होते हैं तो उनकी जिज्ञासा लगातार बनी रहती है कि आगे क्या होगा? वे अपने स्तर पर अनुमान लगाते रहते हैं और अगर कहानी उनकी सोच के अनुरूप आगे बढ़ती है तो वे ज्यादा आत्मविश्वासी होने लगते हैं और समय के साथ – साथ उनके अनुमान ज्यादा सटीक होते जाते हैं।

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