Forex Reserve: देश के खजाने में आई गिरावट, विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसा, जानें क्या है कारण?
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया.
By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 04 Dec 2021 07:25 AM (IST)
Edited By: Shivani
विदेशी मुद्रा भंडार (फाइल फोटो)
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 28.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 640.401 अरब डॉलर हो गया था.
3 सितंबर को रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा था रिजर्व
इसके अलावा तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. शुक्रवार को जारी किये गये भारतीय रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों में बताया गया है कि 26 नवंबर को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशीमुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशीमुद्रा आस्तियाों में गिरावट आना था जो कुल मुद्राभंडार का अहम हिस्सा होता है.
RBI ने जारी किए आंकड़े
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान एफसीए 1.048 अरब डॉलर घटकर 574.664 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशीमुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट बढ़ को भी समाहित किया जाता है.
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.566 अरब डॉलर घटकर 38.825 अरब डॉलर रह गया. समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 7.4 करोड़ डॉलर घटकर 19.036 अरब डॉलर रह गया. अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें में देश का मुद्रा भंडार 2.5 करोड़ डॉलर घटकर 5.162 अरब डॉलर रह गया.
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Published at : 04 Dec 2021 07:25 AM (IST) Tags: Reserve Bank of India RBI Governor gold reserve foreign exchange reserves Forex reserves business news in hindi हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
रुपये ने बनाया गिरने का नया रिकॉर्ड, पहली बार 82 के पार, आपके ऊपर होगा ये असर
Dollar Vs Rupee: एक्सपर्ट्स की मानें तो अनिश्चितता के समय में लोग सुरक्षित ठिकाना तलाशते हैं और डॉलर उन्हें सबसे बैहतर विकल्प लगता है. ऐसे में विदेशी निवेशक जब बिकवाली करते हैं, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 07 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2022, 2:21 PM IST)
भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. बीते दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 81 के स्तर तक फिसल गया था, तो अब नए निचले स्तर (Rupee Record Low) को छूते हुए 82 के पार निकल गया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में यह कमजोर होकर 82.33 के स्तर पर आ गया. यहां बता दें रुपये में ये गिरावट कई तरह से आप पर असर (impact) डालने वाली है.
16 पैसे टूटकर छुआ रिकॉर्ड लो स्तर
पहले बात कर लेते हैं Rupee में लगातार जारी गिरावट के बारे में, तो बीते कारोबारी दिन मुद्रा बाजार (Currency Market) में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.88 के स्तर पर बंद हुआ था. बीते कुछ अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें दिनों में इसमें कभी मामूली बढ़त और कभी गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके 82 तक गिरने की आशंका जताई जा रही थी.
शुक्रवार को जैसे ही कारोबार शुरू हुआ भारतीय करेंसी (Indian Currency) में 16 पैसे की जोरदार गिरावट आई और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee Vs Dollar) रिकॉर्ड निचले स्तर 82.33 तक फिसल गया. पहली बार 23 सितंबर 2022 को इसने 81 रुपये के निचले स्तर को छुआ था. जबकि उससे पहले 20 जुलाई को यह 80 रुपये का लेवल पार कर गया था. यहां बता दें रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.
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रुपये में गिरावट के बड़े कारण
भारतीय मुद्रा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के एक नहीं बल्कि कई कारण है. हालांकि, इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में महंगाई (US Inflation) चार दशक के अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें उच्च स्तर पर बनी हुई है और इसके चलते वगां ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. बीते दिनों एक बार फिर से फेड रिजर्व ने इनमें 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की.
दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के कारण दुनिया भर की करेंसी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. क्योंकि डॉलर के मजबूत होने पर इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इन्वेस्टर्स की इस बिकवाली का असर रुपया समेत दुनिया भर की करेंसियों पर हो रहा है. इसके अलावा जबकि, रूस और यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपया पर दबाव बढ़ाने का काम किया है.
डॉलर बन रहा सुरक्षित ठिकाना!
विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जब उथल-पुथल मचती है, तो निवेशक डॉलर की ओर अपना रुख करते हैं. डॉलर की मांग बढ़ती है तो फिर अन्य करेंसियों पर दबाव बढ़ता चला जाता है. दुनिया भर में अनिश्चितता की बात करें तो कोरोना महामारी या फिर रूस-यूक्रेन में युद्ध, इनकी वजह से आपूर्ति में रुकावट आई है, जो दुनियाभर में अव्यवस्था पैदा करने वाली साबित हुई है.
उन्होंने कहा, जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. विदेशी निवेशकों जब जोरदार बिकवाली करते हैं, तो फिर विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ जाती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.
भारत के लिए इसलिए बड़ी मुसीबत
रुपये के टूटने से कई क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिलता है. इसमें तेल की कीमतों से लेकर रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में इजाफा दिखाई अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें देने लगता है. भारत के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट इसलिए भी बड़ी मुसीबत का सबब है, क्योंकि भारत जरूरी तेल, इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है. अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो आयात और महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा खर्च करना होगा.
गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है. अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और ज्यादातर कारोबार डॉलर में ही होता है. विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ जाएगी. बता दें भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है और इसका भी भुगतान डॉलर में ही होता है. अब डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च करना होगा, जिससे अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें माल ढुलाई महंगी होगी और इसका असर हर जरूरत की चीज पर महंगाई के रूप में दिखाई देगा.
विदेश में बच्चों को पढ़ाना-घूमना महंगा
दरअसल, कच्चे तेल, सोना और अन्य धातुओं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं. ऐसे में दिनों-दिन रुपये की बिगड़ रही हालत से इनकी खरीद के लिए हमें ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ेगा. घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी. इसके अलावा रुपये में गिरावट से भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ाई करना और घूमना महंगा हो जाएगा. घरेलू मुद्रा में इस बड़ी गिरावट से विदेश में अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना करीब 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.
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रुपये ने बनाया गिरने का नया रिकॉर्ड, पहली बार 82 के पार, आपके ऊपर होगा ये असर
Dollar Vs Rupee: एक्सपर्ट्स की मानें तो अनिश्चितता के समय में लोग सुरक्षित ठिकाना तलाशते हैं और डॉलर उन्हें सबसे बैहतर विकल्प लगता है. ऐसे में विदेशी निवेशक जब बिकवाली करते हैं, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.
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- नई दिल्ली,
- 07 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 07 अक्टूबर 2022, 2:21 PM IST)
भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. बीते दिनों अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 81 के स्तर तक फिसल गया था, तो अब नए निचले स्तर (Rupee Record Low) को छूते हुए 82 के पार निकल गया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में यह कमजोर होकर 82.33 के स्तर पर आ गया. यहां बता दें रुपये में ये गिरावट कई तरह से आप पर असर (impact) डालने वाली है.
16 पैसे टूटकर छुआ रिकॉर्ड लो स्तर
पहले बात कर लेते हैं Rupee में लगातार जारी गिरावट के बारे में, तो बीते कारोबारी दिन मुद्रा बाजार (Currency अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें Market) में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.88 के स्तर पर बंद हुआ था. बीते कुछ दिनों में इसमें कभी मामूली बढ़त और कभी गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन कई रिपोर्ट्स में इसके 82 तक गिरने की आशंका जताई जा रही थी.
शुक्रवार को जैसे ही कारोबार शुरू हुआ भारतीय करेंसी (Indian Currency) में 16 पैसे की जोरदार गिरावट आई और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले (Rupee Vs Dollar) रिकॉर्ड निचले स्तर 82.33 तक फिसल गया. पहली बार 23 सितंबर 2022 को इसने 81 रुपये के निचले स्तर को छुआ था. जबकि उससे पहले 20 जुलाई को यह 80 रुपये का लेवल पार कर गया था. यहां बता दें रुपया साल भर पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था.
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भारतीय मुद्रा रुपये में लगातार आ रही गिरावट के एक नहीं बल्कि कई कारण है. हालांकि, इसके टूटने की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में महंगाई (US Inflation) चार दशक के उच्च स्तर पर बनी हुई है और इसके चलते वगां ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. बीते दिनों एक बार फिर से फेड रिजर्व ने इनमें 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की.
दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने के कारण दुनिया भर की करेंसी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. क्योंकि डॉलर के मजबूत होने पर इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इन्वेस्टर्स की इस बिकवाली का असर रुपया समेत दुनिया भर की करेंसियों पर हो रहा है. इसके अलावा जबकि, रूस और यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे भू-राजनैतिक हालातों ने भी रुपया पर दबाव बढ़ाने का काम किया है.
डॉलर बन रहा सुरक्षित ठिकाना!
विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जब उथल-पुथल मचती है, तो निवेशक डॉलर की ओर अपना रुख करते हैं. डॉलर की मांग बढ़ती है तो फिर अन्य करेंसियों पर दबाव बढ़ता चला जाता है. दुनिया भर में अनिश्चितता की बात करें तो कोरोना महामारी या फिर रूस-यूक्रेन में युद्ध, इनकी वजह से आपूर्ति में रुकावट आई है, जो दुनियाभर में अव्यवस्था पैदा करने वाली साबित हुई है.
उन्होंने कहा, जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. विदेशी निवेशकों जब जोरदार बिकवाली करते हैं, तो फिर विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ जाती है, जबकि रुपये समेत अन्य करेंसियों की मांग कम हो जाती है.
भारत के लिए इसलिए बड़ी मुसीबत
रुपये के टूटने से कई क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिलता है. इसमें तेल की कीमतों से लेकर रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में इजाफा दिखाई देने लगता है. भारत के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट इसलिए भी बड़ी मुसीबत का सबब है, क्योंकि भारत जरूरी तेल, इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है. अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो आयात और महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा खर्च करना होगा.
गौरतलब है कि भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें पर निर्भर है. अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और ज्यादातर कारोबार डॉलर में ही होता है. विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ जाएगी. बता दें भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है और इसका भी भुगतान डॉलर में ही होता है. अब डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च करना होगा, जिससे माल ढुलाई महंगी होगी और इसका असर हर जरूरत की चीज पर महंगाई के रूप अपने विदेशी मुद्रा दलाल से पैसे कैसे निकालें में दिखाई देगा.
विदेश में बच्चों को पढ़ाना-घूमना महंगा
दरअसल, कच्चे तेल, सोना और अन्य धातुओं की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं. ऐसे में दिनों-दिन रुपये की बिगड़ रही हालत से इनकी खरीद के लिए हमें ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ेगा. घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी. इसके अलावा रुपये में गिरावट से भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ाई करना और घूमना महंगा हो जाएगा. घरेलू मुद्रा में इस बड़ी गिरावट से विदेश में अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना करीब 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.
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