Nifty 50 ETF: नए निवेशक करना चाहते हैं शेयर बाजार में निवेश तो चुन सकते हैं ये रास्ता, लंबे समय में होगा फायदा
Nifty 50 ETF: अगर आप शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप से प्रबंधित निफ्टी 50 ईटीएफ एक बेहतर विकल्प हो सकता है जो लंबे समय में अच्छा मुनाफा भी दे सकता है.
By: ABP Live | Updated at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST)
Nifty 50 ETF: शेयर बाजार में निवेश करने का कोई उचित समय नहीं होता. मतलब आप शेयर बाजार की टाइमिंग नहीं कर सकते. दूसरी तरफ, भारतीय शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाई छू रहे हैं. इक्विटी लंबे समय में बाकी सभी एसेट क्लास (Asset Class) की तुलना में बेहतर रिटर्न भी देते हैं. अब सवाल उठता है कि शेयरों में निवेश की शुरुआत कैसे करें. अगर आप शेयरों में निवेश के मामले में नए हैं तो निवेश करने के लिए सही कंपनी चुनना आसान काम नहीं है. इसके लिए आपको कंपनी की आर्थिक स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है.
यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ (Exchange Traded Funds) सामने आता है. ईटीएफ एक किसी खास इंडेक्स को ट्रैक करता है और स्टॉक एक्सचेंजों पर इसका कारोबार भी शेयरों की तरह ही किया जाता है. हालांकि, इसे म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा पेश किया जाता है. आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के समय स्टॉक एक्सचेंजों ईटीएफ के यूनिट्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए स्टार्टिंग पॉइंट हो सकता है.
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड कर रहा था. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ के यूनिट्स खरीद सकते हैं. आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के डेविएशन का एक पैमाना है - 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर.
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) के मामले में देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में बेहतर डायवर्सिफिकेशन (Diversification) उपलब्ध कराता है.
डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के निवेश जोखिम को कम करता है. अगर आप किसी खास स्टॉक में निवेश करते हैं तो जोखिम अधिक होता है जबकि डायवर्सिफायड पोर्टफोलियो के मामले में बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव सभी शेयरों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं कर सकता.
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंडरलाइंग इंडेक्स (Underlying Index) में उतार-चढ़ाव का अनुसरण करता है, उसे रिफ्लेक्ट करता है. ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को अप्रत्यक्ष रूप से (passively) ट्रैक करता है और इसकी लागत भी कम होती है. एक्सपेंंस रेशियो या फंड का चार्ज सिर्फ 0.02-0.05% है.
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Published at : 09 Nov 2022 08:42 AM (IST) Tags: stock market Mutual fund investment tips Exchange Traded Funds Nifty50 ETF हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Investment Tips: पहली बार खरीदना चाहते हैं शेयर, इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान
देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था. इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता.
aajtak.in शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें
- नई दिल्ली,
- 23 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 23 अगस्त 2022, 1:17 PM IST)
देश में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले शेयर बाजार के ट्रेडिंग के तरीकों से अनजान लोग इसमें पैसे लगाने को जुआ खेलना समझते थे. लेकिन अब देश की बड़ी आबादी शेयर मार्केट में निवेश (Share Market Investment) के फायदे और नुकसान को समझ रही है. लोग शेयर बाजार में दिलचस्पी लेने लगे हैं. देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था.
इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता. शेयर ग्रीन और रेड में ऊपर-नीचे आते जाते रहते हैं. ऐसे में नए निवेशकों अपने लिए स्टॉक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है.
ऐसी कंपनियों के शेयर में लगाएं पैसा
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शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नए निवेशकों ऐसी कंपनियों के स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए, जिनके प्रोडक्ट का वो इस्तेमाल करते हैं. अगर आप लंबे समय से किसी कंपनी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वो कंपनी निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. नए निवेशक शुरुआत में FMCG और बैंकिंग सर्विस की कंपनियों के शेयर में पैसा लगा सकते हैं.
कंपनी के रेवेन्यू पर रखें नजर
नए निवेशकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जिस कंपनी के शेयर में निवेश करने जा रहे हैं, उसका रेवेन्यू पिछले एक शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें साल में कैसा रहा है, ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर रेवेन्यू बढ़ रहा है और प्रॉफिट ग्रोथ ऊपर की तरफ जा रहा है, तो अच्छी बात है. साथ ही कंपनी के कर्ज का आंकलन भी करना जरूरी. अगर कंपनी के कर्ज में लगातार गिरावट आ रही है.
कंपनी की वैल्यूएशन उचित हो
निवेश करने से पहले कंपनी की वैल्यूएशन की जानकारी रखनी जरूरी है. इसके लिए प्राइस टू अर्निंग रेशियो और प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेशियो और प्राइस टू बुक रेशियो का सहारा ले सकते हैं. तमाम तरह के कैलकुलेशन से कंपनी की वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है.
मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नंस का होना जरूरी
वैल्यूएशन और रेवेन्यू के अलावा कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नंस के बारे में भी जानना जरूरी है. अगर कंपनी की लीडरशिप मजूबत है, तो निवेशकों का नजरिया बदलता है. जैसे मौजूदा समय में टाटा कंपनी के शेयर्स पर निवेशक भरोसा जताते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कंपनी की लीडरशिप मजूबत है. इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखकर कोई भी शेयर बाजार में एंट्री कर सकता है.
एकमुश्त पैसे लगाने से बचें
अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सारे पैसे एक साथ बिल्कुल शेयर बाजार में नहीं लगाएं. सबसे पहले निर्धारित निवेश राशि का 20 फीसदी इस्तेमाल करें. उसके बाद थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें. साथ ही एक ही कंपनी में सारा फंड लगाने से बचें. (नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)
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अगर अभी तक आप बचत को फिक्स्ड डिपॉजिट करते आए हैं तो नए साल से इसे रोक दें. 30 हजार महीने की सैलरी में से 20 फीसदी राशि जरूर बचाएं, यानी हर महीने 6000 रुपये. इसमें 4 हजार रुपये हर म्यूचुअल फंड में एसआईपी करें. बाकी बचे 2000 रुपये को सीधे शेयर बाजार में लगाएं.
अमित कुमार दुबे
- नई दिल्ली,
- 19 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 19 दिसंबर 2022, 4:51 PM IST)
अभी तक कोई जमापूंजी नहीं है, फिर क्या गारंटी है कि नए साल यानी 2023 में आपकी आर्थिक सेहत सुधर जाएगी? दरअसल मौजूदा समय में दुनियाभर में महंगाई (Inflation) चरम पर है, महंगाई के हिसाब से आमदनी बढ़ नहीं रही है. फिर तो अगले साल भी आर्थिक तंगी बनी रहेगी.
ऐसे में अगर आप रिस्क (Risk) लेने के लिए तैयार हैं तो फिर नए साल शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें में कुछ बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं. अभी भी हमारे में अधिकतर लोग लंबी अवधि के लिए बैंक (Bank) और पोस्ट ऑफिस (Post Office) में फिक्स्ड (Fixed Deposit) डिपॉजिट को सबसे बेहतरीन विकल्प मानते हैं. जबकि आंकड़ों पर गौर करें तो फिलहाल अधिकतर बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिल रहे हैं. जो महंगाई दर के मुकाबले कम है, क्योंकि देश में महंगाई दर भी 7 फीसदी के आसपास है.
अब भी फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे ज्यादा फोकस
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फिलहाल बैंक से लेकर पोस्ट ऑफिस में पैसे दोगुने होने में करीब 10 साल का वक्त लग जाता है, सबसे बुरा हाल तो सेविंग अकाउंट (Saving Account) का है. जिसपर केवल 2 से 3 फीसदी सालाना रिटर्न मिलता है. अगर आप बचत को सेविंग अकाउंट या फिर FD कर देते हैं तो फिर इससे बहुत ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते.
खासकर मिडिल क्लास और लोअर शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें मिडिल क्लास फैमिली के लिए एफडी भविष्य के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहतरीन विकल्प नहीं हो सकते. तमाम विकल्पों में एक विकल्प सुरक्षित निवेश के तौर पर आप FD में निवेश कर सकते हैं. लेकिन इससे फ्यूचर प्लान (Future Plan) संभव नहीं है.
500 रुपये से करें निवेश की शुरुआत
आपकी जितनी भी आमदनी है, थोड़ा रिस्क लेकर उसी में से आप बेहतर रिटर्न के लिए नए साल में कदम उठा सकते शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें हैं. इसके लिए आपको शेयर बाजार (Share Market) और म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की तरह रुख करना होगा. जहां आप छोटे-छोटे निवेश से मोटा पैसा बना सकते हैं. शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट (Demat Account) की जरूरत होगी. जिसके जरिये आप केवल 500 रुपये से म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत कर सकते हैं.
इसके अलावा थोड़ी जानकारी जुटाकर या वित्तीय सलाहकार की मदद लेकर लंबी अवधि के लिए सीधे शेयर मार्केट (Stock Market) में निवेश कर सकते हैं. फिलहाल भारत में केवल 3 फीसदी लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं, जबकि अमेरिका में 55 फीसदी लोग शेयर बाजार से जुड़े हैं. इस हिसाब से भारत में 97 फीसदी लोग अभी भी शेयर बाजार से दूरी बनाए हुए हैं.
10 साल में बदल जाएगी आर्थिक सेहत
अब आइए समझते हैं कि कैसे आप नए साल में थोड़ा रिस्क लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को बदल सकते हैं. उदाहरण के लिए अगर आपकी सैलरी फिलहाल 30 हजार रुपये महीने है. आप नए साल में 20 फीसदी राशि को बचाना शुरू कर दें. अगर आप पहले से बचा रहे हैं तो फिर उस राशि को निवेश के लिए केवल प्लेटफॉर्म बदल दें, यानी अभी तक अगर आप उन पैसों को सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट करते आए हैं तो नए साल से इसे रोक दें. 30 हजार महीने की सैलरी में में 20 फीसदी राशि जरूर बचाएं, यानी हर महीने 6000 रुपये. इसमें 4 हजार रुपये हर माह म्यूचुअल फंड में एसआईपी कर दें. बाकी बचे 2000 रुपये को सीधे शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें शेयर बाजार में लगाएं.
किस शेयर में पैसे लगाएं? इसका सीधा फॉर्मूला है कि अगर आपको शेयर बाजार की जानकारी नहीं है तो फिर उन कंपनियों के शेयरों को चुनें, जिनके प्रोडक्ट्स आप घर में इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा शेयर चुनते वक्त एक बात का जरूर ध्यान रखें, कंपनी मुनाफे में हो और पिछले कुछ सालों से लगातार ग्रोथ दर्ज कर रही हो, लॉस मेकिंग कंपनी पर बिल्कुल दांव न लगाएं.
रिस्क लेकर जुटा सकते हैं बड़ा फंड
जब आप हर महीने 4 हजार रुपये SIP करेंगे तो सालाना आपका निवेश करीब 50 हजार रुपये का हो जाएगा. आप सालाना कम से कम 12 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इसी तरह से सैलरी बढ़ने के साथ निवेश को भी बढ़ाते रहें. कम से कम 10 साल निवेश तक जारी रखें. फिर आपके पास एक बड़ा फंड हो जाएगा. हालांकि म्यूचुअल फंड और इक्विटी मार्केट में निवेश पर जोखिम भी रहता है, यानी निवेश की राशि भी घट सकती है. लेकिन रिस्क लेकर निवेश करने पर सफलता की गारंटी तो नहीं है, लेकिन एक उम्मीद जरूर कर सकते हैं.
अगर दांव सही बैठा तो फिर बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस के मुकाबले बेहतरीन रिटर्न आपके पोर्टफोलियो में होगा. अगर आप नए निवेशक हैं तो म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश के लिए एक्सपर्ट्स की मदद ले सकते हैं, जो आपसे मामूली फीस लेकर सही निवेश के तरीके बताएंगे.
(नोट: शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)
पर्सनल फाइनेंस: शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो जानिए इन 5 नियमों के बारे में, आपको खतरे से बचा सकते हैं
शेयर बाजार में निवेश से पैसा बनाने की संभावना एक ऐसा आइडिया है, जो हर नए निवेशक को उत्साहित करता है। साथ ही उन लोगों के लिए भी जो कम अवधि में फायदा कमाना चाहते हैं। हालांकि जब बाजार उतार-चढ़ाव के माहौल में हो, तब किसी भी तरह के तुरंत रिटर्न की संभावना काफी कम हो जाती है। ऐसे में आपको हम बता रहे हैं कि निवेश के समय कौन से नियम का आपको पालन करना चाहिए।
खुद निर्णय न लें
एंजल ब्रोकिंग के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट ज्योति रॉय कहते हैं कि आप खुद निर्णय लेकर अपने लाभ को बढ़ाने के लालच को छोड़ दीजिए। पोर्टफोलियो मैनेजर्स और एक्सपर्ट्स की सलाह पर ध्यान दें। सतर्कता से व सोच-समझकर निवेश करें।
डिविडेंड पर ध्यान दीजिए
जब भी किसी कंपनी के शेयरों में निवेश किया जाता है, तो निवेशक कंपनी के अच्छे प्रदर्शन से लाभ पाने के योग्य होते हैं। जब मुनाफा हो रहा हो तो कंपनियां अक्सर यह तय करती हैं कि वे अपने शेयरधारकों के साथ अपने मुनाफे को बांटें। यह आम तौर पर मुनाफे के एक हिस्से को शेयर करना है, जिसे वे भविष्य के लिए बचाकर रख सकते हैं।
डिविडेंड आमतौर पर वही होता है जो कंपनी आपके द्वारा अर्जित प्रत्येक शेयर पर देने का निर्णय करती है। कंपनियों के रिकॉर्ड और उनके लाभ को जानकर आप अपने निवेश के निर्णय ले सकते हैं।
विविधता पर फोकस करें
यह सबसे स्पष्ट उपाय है, जिसे निवेशकों को आजमाना चाहिए। यह उन्हें अक्सर उतार-चढ़ाव वाले बाजार में बने रहने में सुरक्षा देता है। अधिक जोखिम लेने वाले निवेशक निवेश को कंपनी के शेयरों के हालिया प्रदर्शन ट्रेंड्स के आधार पर देखते हैं। हालांकि इन निर्णयों के समय सलाहकार की मदद काम आ सकती है।
अलग-अलग साधनों में निवेश करें
प्रसिद्ध कहावत है- ‘अपने सभी अंडों को एक टोकरी में नहीं रखना चाहिए’। निवेशकों को इसी का पालन करना चाहिए। एक संतुलित पोर्टफोलियो का निर्माण तभी हो सकता है जब आप अपने निवेश को कई सेक्टर में निवेश करें। बाजार आर्थिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। निवेशकों की भावनाओं में उतार-चढ़ाव हो रहा है। इससे अनिश्चितता बढ़ रही है। यदि पोर्टफोलियो में विविधता रहती है तो गारंटीड रिटर्न प्राप्त करने में मदद मिलती है।
कंपनियों का विश्लेषण करना
फाइनेंशियल सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए। कब स्टॉक खरीदना है और कब बेचना है, उसे समझें। औसत बाजार के रुझान को समझना आपके लिए आधा काम पूरा कर सकता है। निवेशक अक्सर सेक्टोरल ट्रेंड्स, ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक और कंपनी की घोषणाओं की तुलना करने की गलती करते हैं। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि कंपनी की आंतरिक गतिविधियों पर भी बहुत शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें कुछ तय होता है।
कंपनी के मामलों पर नजर रखें
कंपनी के कैश-फ्लो, खर्चों, राजस्व, और उसके निर्णयों को समझना कई पहलुओं में से कुछ एक हैं, जिन पर लोगों को लंबी अवधि के निवेश करने के लिए तैयार होने पर पूरी तरह से रिसर्च करने की आवश्यकता है। निवेशकों के लिए ऐसे पहलुओं पर अपने पोर्टफोलियो मैनेजर्स से सलाह लेना बेहतर होगा, क्योंकि इसमें गहन अध्ययन शामिल है।
सट्टेबाजी से प्रेरित फैसले न लें
अक्सर लोगों को सट्टेबाजी से लाभ होता है और वह इसे ही आधार बना लेते हैं। निरंतर रिटर्न हासिल करने के लिए सट्टेबाजी अच्छा विकल्प नहीं है। यह निरंतर रिटर्न में हानिकारक हो सकता है। बाजार की अटकलों और अफवाहों को फॉलो करना जोखिम हो सकता है। निवेश के प्रमुख तरीकों में से यह भी जानना चाहिए कि न्यूज रिपोर्टों पर फैसला न लें। यह आवश्यक है कि कंपनी के संकट के समय में अपने पोर्टफोलियो को मिस मैनेज न करें और भावनात्मक निर्णय लेकर अपने शेयरों को नहीं बेचें।
कैसे और कब बेचना है
कुछ निवेशकों में जोखिम लेने की ज्यादा चाहत होती है। उनमें कम अवधि के ट्रेड के लिए एक उत्साह हो सकता है। यह संपत्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण हो सकता है। विशेषज्ञों का तर्क है कि यह युवा निवेशकों के लिए अधिक उपयुक्त है। ये निर्णय अक्सर बाजार में उतार-चढ़ाव से जुड़े होते हैं, न कि किसी उद्योग या कंपनी की लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा होते हैं। यहां तक कि रिटर्न की भी गारंटी नहीं है, क्योंकि यह सट्टा खेलने जैसा है।
जो लोग लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, उन्हें बाजार के कम समय के उतार-चढ़ाव या स्टॉक ऑप्शन की मूल्य स्थिरता के आधार पर अपनी खरीदारी या बिक्री का निर्णय नहीं लेने चाहिए। लार्ज-कैप निवेश पर नजर रखते हुए मिड-कैप और स्मॉल कैप निवेशों को छोटे अनुपात में रखना चाहिए। इस तरह जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए।
Investment Tips: पहली बार खरीदना चाहते हैं शेयर, इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा नुकसान
देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था. इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 23 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 23 अगस्त 2022, 1:17 PM IST)
देश में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले शेयर बाजार के ट्रेडिंग के तरीकों से अनजान लोग इसमें पैसे लगाने को जुआ खेलना समझते थे. लेकिन अब देश की बड़ी आबादी शेयर मार्केट में निवेश (Share Market Investment) के फायदे और नुकसान को समझ रही है. लोग शेयर बाजार में दिलचस्पी लेने लगे हैं. देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था.
इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता. शेयर ग्रीन और रेड में ऊपर-नीचे आते जाते रहते हैं. ऐसे में नए निवेशकों अपने लिए स्टॉक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है.
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कंपनी के रेवेन्यू पर रखें नजर
नए निवेशकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जिस कंपनी के शेयर में निवेश करने जा रहे हैं, उसका रेवेन्यू पिछले एक साल में कैसा रहा है, ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर रेवेन्यू बढ़ रहा है और प्रॉफिट ग्रोथ ऊपर की तरफ जा रहा है, तो अच्छी बात है. साथ ही कंपनी के कर्ज का आंकलन भी करना जरूरी. अगर कंपनी के कर्ज में लगातार गिरावट आ रही है.
कंपनी की वैल्यूएशन उचित हो
निवेश करने से पहले कंपनी की वैल्यूएशन की जानकारी रखनी जरूरी है. इसके लिए प्राइस टू अर्निंग रेशियो और प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेशियो और प्राइस टू बुक रेशियो का सहारा ले सकते हैं. तमाम तरह के कैलकुलेशन से कंपनी की वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है.
मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नंस का होना जरूरी
वैल्यूएशन और रेवेन्यू के अलावा कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नंस के बारे में भी जानना जरूरी है. अगर कंपनी की लीडरशिप मजूबत है, तो निवेशकों का नजरिया बदलता है. जैसे मौजूदा समय में टाटा कंपनी के शेयर्स पर निवेशक भरोसा जताते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कंपनी की लीडरशिप मजूबत है. इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखकर कोई भी शेयर बाजार में एंट्री कर सकता है.
एकमुश्त पैसे लगाने से बचें
अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो सारे पैसे एक साथ बिल्कुल शेयर बाजार में नहीं लगाएं. सबसे पहले निर्धारित निवेश राशि का 20 फीसदी इस्तेमाल करें. उसके बाद थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें. साथ ही एक ही कंपनी में सारा फंड लगाने से बचें. (नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)
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