इंटरपोल: वित्तीय और साइबर अपराध से दुनिया की पुलिस चिंतित
इंटरपोल का कहना है कि दुनिया भर के ज्यादातर देशों में पुलिस वित्तीय और साइबर अपराधों को लेकर चिंतित हैं.
अंतरराष्ट्रीय पुलिस एजेंसी इंटरपोल ने कहा है कि उसके लगभग 195 सदस्य देशों में से अधिकांश में पुलिस अधिकारी वित्तीय और साइबर अपराधों के बारे में चिंतित हैं और ऐसे अपराधों को दुनिया के सामने सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन या इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लियों में है.
इंटरपोल ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक वित्तीय और साइबर अपराधों की दर और बढ़ने की संभावना है. संगठन के इतिहास में यह पहली बार है कि अंतरराष्ट्रीय पुलिस ने एक रिपोर्ट जारी की है जो अंतरराष्ट्रीय अपराध प्रवृत्तियों की पहचान करती है.
रिपोर्ट में इंटरपोल के महासचिव युरगेन स्टोक के हवाले से कहा गया है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुलिस का प्रभावी प्रदर्शन अपराध की प्रकृति की समझ और प्रवृत्तियों पर आधारित है. इंटरपोल की ग्लोबल क्राइम ट्रेंड रिपोर्ट जनता के लिए जारी नहीं की गई है. यह केवल संगठन के सदस्य देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराई जाएगी.
फैलता साइबर अपराध का जाल
रिपोर्ट के मुताबिक इंटरपोल सदस्य देशों में साक्षात्कार में शामिल वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है 60 प्रतिशत से अधिक पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग, इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी, ई-मेल के माध्यम से धोखाधड़ी, फिशिंग के जरिए डेटा की चोरी और हैकर्स द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से किए गए साइबर हमले (या रैंसमवेयर) दिन ब दिन बड़े और बड़े खतरे बनते जा रहे हैं.
ऐसे अपराधों के अपराधियों में विभिन्न वेबसाइटों पर हमला करने और उन्हें पंगु बनाने के लिए रैंसमवेयर या मैलवेयर का इस्तेमाल करने वाले हैकर हैं. अक्सर हमले का शिकार वेबसाइटों को फिरौती देनी पड़ती है जिसके बाद ही वह इस्तेमाल करने में सक्षम होती हैं.
इंटरपोल की रिपोर्ट कहती है कि यूरोप में राष्ट्रीय पुलिस एजेंसियों द्वारा 'सबसे बड़ा वर्तमान खतरा' माने जाने वाले अपराधों में ऑनलाइन धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और सिंथेटिक ड्रग्स शामिल हैं. अवैध ऑनलाइन व्यवसाय शीर्ष पर हैं.
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए इंटरपोल के विशेषज्ञों ने दुनिया के विभिन्न देशों में पुलिस अधिकारियों का साक्षात्कार लिया. लगभग 75 प्रतिशत अधिकारियों को इस बात की बहुत चिंता थी कि अगले तीन से पांच वर्षों में इंटरनेट पर बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं में वृद्धि होगी.
भारत में बढ़े साइबर अपराध
हाल के सालों में भारत में ऑनलाइन अपराध बढ़े हैं. फोन पर मेसेज भेजकर लोगों को अपराधी धन जीतने का लालच देकर या फिर वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है बैंक खाता बंद होने की झूठी सूचना देकर बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं.
बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक का निर्देश कहता है कि अगर किसी बैंक खाते से अवैध निकासी की जाती है तो तीन दिन के अंदर अगर बैंक को इसकी शिकायत की जाए तो ग्राहक को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा, बशर्ते थर्ड पार्टी धोखाधड़ी बैंक या ग्राहक की चूक की वजह से नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम की किसी चूक की वजह से हुई हो.
इसके साथ ही शिकायत की समय सीमा के अनुपात में बैंक की देनदारी तय की गई है. भारत के गृह मंत्रालय ने भी साइबर फ्रॉड से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर जारी किया हुआ है. इसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.
LIC का पैसा शेयर बाजार में डूब जाए तो पॉलिसी होल्डर्स का क्या होगा, सरकार ने संसद में बताया - BUSINESS NEWS
नई दिल्ली। भारत सरकार की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम पिछले कुछ समय से जोखिम भरे निवेश कर रही है। उसमें शेयर बाजार में मोटी रकम निवेश की है। इसके अलावा सरकार के कहने पर घाटे के कारण बंद हो चुके हैं यस बैंक में भी निवेश किया है। सवाल यह है कि यदि एलआईसी का पैसा शेयर बाजार या फिर यस बैंक की जैसे निवेश में डूब जाए तो पॉलिसीहोल्डर्स का क्या होगा।
भारत सरकार के वित्त विभाग के राज्यमंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में शनिवार दिनांक 20 सितंबर 2020 को इस प्रश्न का जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि, 'लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट, 1956 के अंतर्गत भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा जारी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर सॉवरेन गारंटी के प्रावधान शामिल हैं।' दरअसल, गुजरात के सूरत से लोकसभा की सदस्य दर्शना विक्रम जरदोश ने वित्त मंत्री से यह जानना चाहा था कि क्या सरकार का भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा दी गई पॉलिसियों पर सॉवरेन गारंटी देने का विचार है या नहीं।
यदि LIC बंद हो गई तो पॉलिसी के सम इंश्योर्ड और बोनस कौन देगा
उन्होंने यह भी सवाल किया था कि एलआइसी के सूचित विनिवेश के बाद भी उसकी पॉलिसियों पर सरकार सॉवरेन गारंटी देगी या नहीं। लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट, 1956 के सेक्शन 37 के मुताबिक कॉरपोरेशन द्वारा जारी सभी पॉलिसीज के सम इंश्योर्ड और अगर कोई बोनस देय है तो उसकी नकद भुगतान की गारंटी केंद्र सरकार की होगी।
ठाकुर ने कहा कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाइ) ऑफसाइट और ऑनसाइट निगरानी तंत्र के जरिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों के कामकाज की समीक्षा करता है। एलआइसी के कार्य-निष्पादन का आकलन बीमा कंपनी द्वारा हर साल सरकार को दिए जाने वाले स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट के माध्यम से भी किया जाता है। इसके साथ ही कॉरपोरेशन के कामकाज की सालाना रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में रखी जाती है। संसद की विभिन्न स्थायी समितियां जीवन बीमा निगम के कामकाज की समीक्षा करती हैं।
उन्होंने पॉलिसीधारकों की धनराशि को वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है सुरक्षित रखने को संदर्भ में कहा कि पॉलिसीधारकों से प्राप्त प्रीमियम का विवेकपूर्ण निवेश बीमा अधिनियम, 1938 तथा इरडाई (इंवेस्टमेंट) रेगुलेशन, 2016 के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा एलआइसी इरडाइ द्वारा निर्धारित सॉल्वेंसी रेशियो से उच्चतर स्तर को बनाए हुए है।
इससे पहले फरवरी में ठाकुर ने समाचार एजेंसी 'पीटीआइ' को बताया था कि सरकार एलआइसी के पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा था कि LIC के लिस्टिंग से बेहतर पारदर्शिता, लोक भागीदारी को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
सेवा स्तर समझौता (SLA)
यह एक अवधि (1 महीने) के लिए डाउनटाइम की कुल अवधि है, इसके कारण होने वाले डाउनटाइम को छोड़कर:
- निर्धारित समय पर अनुसूचित रखरखाव कार्य करना;
- के बाहर एक क्षेत्र में एक संचार चैनल और उपकरण शटडाउन ITGLOBAL.COM NL अधिकार क्षेत्र/नियंत्रण;
- cliईएनटी के अनुप्रयोग या घटक, जो नियंत्रित नहीं हैं या द्वारा प्रशासित नहीं हैं ITGLOBAL.COM NL, और एक सेवा विफलता का कारण बन गए हैं;
- के हानिकारक कार्य Cliईएनटी, उसके कर्मचारी, भागीदार, ग्राहक, आदि, जिसके कारण सेवा के घटकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है (spaमी, स्पूफिंग, सेवा का उपयोग करने के नियमों का उल्लंघन, आदि);
- अन्य अनियंत्रित घटनाओं को अप्रत्याशित घटना के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
यह वह समय है जब सेवा को सामान्य रूप वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है से कार्य करना चाहिए। Serverspace अपटाइम = 24×7.
यह उस समय का अनुपात है जब सेवा अपटाइम के लिए उपलब्ध थी।
उपलब्धता% = 100%*(अपटाइम-डाउनटाइम)/अपटाइम
उदाहरण के लिए, यदि नवंबर में डाउनटाइम 1 घंटा है, तो
उपलब्धता% = 100%*(60*24*30-1*60)/60*24*30 = 99,86 (1)
डेटा संग्रहण प्रणाली प्रदर्शन
आईओपीएस (प्रति सेकेंड इनपुट/आउटपुट ऑपरेशंस)
यह डेटा स्टोरेज सिस्टम (DSS) द्वारा प्रति सेकंड किए गए इनपुट-आउटपुट ऑपरेशंस की संख्या है।
यह देरी है - इनपुट/आउटपुट संचालन के दौरान डिस्क सबसिस्टम अधिकतम प्रतिक्रिया समय।
30 आईओपीएस प्रति 1 जीबी SSD
0.1 आईओपीएस प्रति 1 जीबी सैटा
32 किलोबाइट के पढ़ने/लिखने के ब्लॉक के लिए।
नोट: यदि IOPS की गारंटीकृत संख्या अधिक हो जाती है, तो विलंबता प्रति वर्ष के लक्ष्य मान से विचलन होता हैramईटर की अनुमति है। इस स्थिति का उल्लंघन नहीं माना जाता है SLA.
तकनीकी समर्थन
यह का एक अनुरोध है Serverspace cliअनुरोध पंजीकरण और प्रसंस्करण प्रणाली का उपयोग करके तकनीकी सहायता सेवा में प्रवेश करना, जिसे एकीकृत किया गया है cliईएनटी का खाता।
यह एक उपयोगकर्ता अनुरोध है जिसे पहली पंक्ति के तकनीकी सहायता (सर्विसडेस्क) कर्मचारियों द्वारा आसानी से हल किया जा सकता है Serverspace सेवा निर्देशों में सूचीबद्ध समाधानों का उपयोग करके सेवा। इसके लिए दूसरी और तीसरी सपोर्ट लाइन की मदद की जरूरत नहीं है। यह सेवा की गुणवत्ता की अनुपलब्धता या महत्वपूर्ण विफलता से जुड़ा नहीं है।
यह एक उपयोगकर्ता अनुरोध है, जिसमें मानक सर्विसडेस्क निर्देशों में सूचीबद्ध समाधान नहीं है या दूसरी और तीसरी समर्थन लाइनों की सहायता की आवश्यकता है। यह सेवा की गुणवत्ता की अनुपलब्धता या महत्वपूर्ण विफलता से जुड़ा नहीं है।
यह सेवा की गुणवत्ता की अनुपलब्धता या महत्वपूर्ण विफलता वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है से संबंधित एक उपयोगकर्ता अनुरोध है। अनुरोधों को संसाधित करने में घटनाओं की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
अनुरोध के लिए प्रतिक्रिया समय
यह अनुरोध पंजीकरण और इसके प्रसंस्करण की शुरुआत के बीच एक स्वीकार्य देरी है (अनुरोध प्रकार को परिभाषित करना, प्रसंस्करण की शुरुआत / दूसरे या तीसरे समर्थन स्तर पर अनुरोध स्थानांतरित करना)।
साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बचने के लिए इन बातों पर दें ध्यान
साइबर धोखाधड़ी के सबसे आम मामलों में पैसे और/या पहचान की चोरी, ईमेल स्पूफिंग, साइबरस्टॉकिंग, वायरस अटैक, सेवा से इनकार (डिनायल ऑफ़ सर्विस) और अनधिकृत ऑनलाइन लेनदेन जैसे कृत्य शामिल हैं। वास्तव में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, भारत में साइबर अपराधों में 2016 से 2020 के बीच 306% की वृद्धि हुई है और महामारी के वर्ष में प्रतिदिन औसतन 136 साइबर अपराध के मामले सामने आए हैं।
इससे भी ज्यादा चौकाने वाली बात है कि प्रत्येक वर्ष दर्ज किए गए लगभग 66% मामले साइबर अपराधों की जांच इसलिए नहीं हो पाई कि इसके मामले अचानक बढ़ गये थे। ऐसे में साइबर अपराधों से खुद को बचाने की जिम्मेदारी खुद आम लोगों पर आ पड़ी है।
आइए हम उन महत्वपूर्ण एहतियाती कदम पर नजर डालें, जिनकी मदद से साइबर अपराध की गतिविधियों का शिकार होने से बचा या उसकी संभावना को कम किया जा सकता है। यह शायद साइबर अपराध की गतिविधियों का शिकार होने से बचने की सबसे अच्छी तरकीब है कि आप उन सभी कंप्यूटिंग उपकरणों को नवीनतम एंटी-वायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ़्टवेयर से लैस रखें जो इंटरनेट से जुड़े हैं।
हालाँकि अधिकांश डिवाइस मुफ्त सॉफ्टवेयर के साथ आते हैं, पर वे अक्सर सीमित अवधि के ही कारगर साबित होते हैं। उनकी वैधता समाप्त होने से पहले उन्हें अपडेट किया जाना चाहिए। यूँ तो बाजार में न जाने कितने विकल्प उपलब्ध हैं, पर ये सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा चुने गए सॉफ़्टवेयर सलूशन उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा के लिए विश्वसनीय हैं और आपके एप्लिकेशन (कमर्शियल या पर्सनल उपयोग) के लिए फिट हैं।
अंत में यह देखते हुए कि साइबर अपराधी डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी भी तरह से उसमें एक्सेस बना लेते हैं, आपको थोड़ा अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए और इसके लिए हर सप्ताह कम से कम एक बार सभी डिवाइस को स्कैन और अपडेट कर लेना चाहिए।
यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है कि कई वेबसाइटों के लिए क्रेडेंशियल्स को रिफ्रेश करते समय सभी डिवाइस में पासवर्ड न दोहराएं। सबसे अच्छी सलाह यह दी जाती है कि साइबर अपराधियों को आपके खातों या कंप्यूटिंग उपकरणों तक पहुंच से रोकने के लिए आप नियमित रूप से अपने पासवर्ड बदलें और मुश्किल से अनुमान लगाने वाले पासवर्ड का ही उपयोग करें।
पासवर्ड चुनते समय हमेशा अक्षरों, संख्याओं और प्रतीकों (symbols) के संयोजन का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है, जिसमें सभी रिकॉर्ड एक्सेल वर्कशीट या डिवाइस के नोटपैड के बजाय ऑफ़लाइन बनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित करें कि मोबाइल उपकरणों को एडवांस लॉगिन फीचर्स से सुरक्षित किया गया है जैसे कि जहां भी संभव हो चेहरा पहचान (face recognition) का उपयोग करें। इसके अलावा अपरिचितों या छोटे बच्चों को यथासंभव एक्सेस से रोकें।
अधिकतर साइबर अपराधी या हैकर्स आमतौर पर सार्वजनिक वाई-फाई सिस्टम से जुड़े उपकरणों या असुरक्षित/अज्ञात वेबसाइटों पर विजिट करने वाले व्यक्तियों को टारगेट करते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप हमेशा वेबसाइट पर जाने से पहले उसकी सिक्योरिटी को वेरीफाई करें, खासकर जब ईमेल या एसएमएस लिंक के माध्यम से उन पर रीडायरेक्ट किया जा रहा हो।
मोबाइल डिवाइस के मामले में, कुछ लक्षण जैसे कि अनजान एप्लिकेशन आटोमेटिक रूप से डाउनलोड होना, बैटरी अधिक डिस्चार्ज होना या डाटा ज्यादा यूज होना आदि इस बात के संकेत हैं कि डिवाइस से छेड़छाड़ की गई है। ऐसे मामलों में, ऐसे उपकरणों से तुरंत लॉग ऑफ करने और मोबाइल सिक्योरिटी एक्सपर्ट के माध्यम से इसकी जांच कराने की सलाह दी जाती है।
ऐसी स्थिति में जहां आप आश्वस्त हों कि आप साइबर अपराध का शिकार हो चुके हैं, तुरंत राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 या 1930 पर इसकी रिपोर्ट करें, जिसे साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित किया गया है. नहीं तो आप राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल ( www.cybercrime.gov.in) पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं और मोबाइल डिवाइस के मामले में, डिवाइस को फ़ैक्टरी रीसेट का ऑप्शन अपनाएं।
आपके द्वारा उठाये गए ये कदम धोखाधड़ी होने की स्थिति में डेटा, सूचना या वित्तीय नुकसान को कम कर सकते हैं और अधिकारियों को अपराधियों की धर पकड़ करने में आसानी होगी। ऊपर बताये गए कदम बुनियादी सावधानियां हैं जो सभी व्यक्तियों को लेनी चाहिए। पर साइबर हमले के बाद होने वाले सभी खर्चों और देनदारियों से खुद को बचाने के लिए साइबर इंश्योरेंस ले लेना सबसे सही है।
कोई भी साइबर इंश्योरेंस स्कीम एक रैंसमवेयर हमले या साइबर जबरन वसूली, आईटी चोरी या हानि, ई-मेल स्पूफिंग और फिशिंग, नुकसान और पहचान की चोरी से संबंधित रक्षा और अभियोजन लागत से संबंधित खर्चों और वित्तीय नुकसान को कवर करती है। इसके अलावा साइबर स्टॉकिंग, मैलवेयर के एंट्री से क्षतिग्रस्त डेटा या कंप्यूटर प्रोग्राम को पुनः प्राप्त करने या रीइंस्टाल करने की लागत भी कवर हो जाती है।
यह परामर्श सेवाओं पर होने वाले खर्चों के लिए भी कवरेज प्रदान करता है जो किसी साइबर हमले के शिकार होने के बाद तनाव के परिणामस्वरूप विकसित हो सकते हैं। गोपनीयता भंग और डेटा उल्लंघन के लिए थर्ड पार्टी के खिलाफ हर्जाने का क्लेम और कोर्ट के सम्मन में भाग लेने के लिए आने जाने का खर्च भी पॉलिसी के तहत कवर किया गया है।
आज के डिजिटल क्रांति के दौर में सोफिस्टिकेटेड साइबर क्राइम में होना तय है और इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम इससे होने वाले संभावित नुकसान से सुरक्षित रहें, इसके लिए अधिक कठोर प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता है।
साइबर इंश्योरेंस इस महत्वपूर्ण अंतर को भरने और रिस्क को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण टूल साबित होने वाला है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आप बिना किसी चिंता के ऑनलाइन लेन-देन, ब्राउज़ और सर्फ कर सकें और सुरक्षित रहें।
Flipkart और बजाज आलियांज लाए ‘साइबर इंश्योरेंस प्लान’, ऑनलाइन होने वाली वित्तीय धोखाधड़ी को करेगा कवर
फ्लिपकार्ट और बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने साथ मिलकर ग्राहकों के लिए डिजिटल सुरक्षा ग्रुप इंश्योरेंस पेश किया है.
Hence, many venture capitalist and private equity investors have started appointing cyber experts to carry cyber risk assessment as part of the due diligence process.
फ्लिपकार्ट (Flipkart) और बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस (Bajaj Allianz General Insurance) कंपनी ने साथ मिलकर ग्राहकों के लिए डिजिटल सुरक्षा ग्रुप इंश्योरेंस पेश किया है. यह उन ग्राहकों के लिए है जो अपने साथ साइबर अटैक, साइबर फ्रॉड या अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी किसी दूसरी धोखाधड़ी की घटना से होने वाले वित्तीय नुकसान (इंश्योरेंस की राशि तक) के लिए कवर चाहते हैं.
इंश्योरेंस में अप्रमाणित डिजिटल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की वजह से होने वाले सीधे वित्तीय नुकसान की भरपाई होती है. दोनों कंपनियों की ओर से जारी वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है ज्वॉइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि ये ट्रांजैक्शन साइबर अटैक, फिशिंग/स्पूफिंग और सिम जैकिंग के कारण होने वाले आइडेंटिटी थेफ्ट से होते हैं. बयान में आगे कहा गया है कि ग्राहक एक साल का कवर चुन सकते हैं. 50 हजार रुपये के कवर के लिए 183 रुपये का प्रीमियम देना होगा.
Oppo के ज्यादातर 5G स्मार्टफोन जियो 5G नेटवर्क को करेंगे सपोर्ट, चेक करें कंपैटिबल हैंडसेट्स की लिस्ट
WhatsApp India के प्रमुख अभिजीत बोस का इस्तीफा, मेटा इंडिया के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर राजीव अग्रवाल ने भी छोड़ी कंपनी
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