अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति - रूस और यूक्रेन के बीच तनातनी शांत होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है। शांति वार्ता के परिणामस्वरूप किसी भी तरह के संघर्ष की संभावना नहीं है। नतीजतन, वैश्विक निवेशकों ने भारत जैसे उभरते देशों में निवेश करने से परहेज किया है और अपने जोखिम को कम कर दिया है। इस प्रकार हमने पिछले कुछ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को शुद्ध विक्रेता होते हुए देखा है और डॉलर के सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ रहे हैं।

India foreign exchange reserves

भारत एफएक्स रिजर्व - घबराहट का समय?

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले सितंबर में 642 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं पर पहुंच गया। तब से भंडार गिर गया है। विदेशी मुद्रा भंडार 38 अरब अमेरिकी डॉलर घटा है, जिसमें से 28 अरब अमेरिकी डॉलर पिछले पांच हफ्तों में ही आया है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि यह गिरावट किसी भी समय धीमी होने की संभावना नहीं है क्योंकि घरेलू इक्विटी और बॉन्ड बाजारों से डॉलर का बहिर्वाह जारी रहने की संभावना है। यदि लगभग 6 बिलियन अमरीकी डालर की साप्ताहिक गिरावट की वर्तमान गति जारी रहती है, तो भंडार केवल चार महीनों में 100 बिलियन अमरीकी डालर तक गिर सकता है! इस गिरावट का कारण क्या है और क्या हमें जल्द ही पैनिक बटन दबाने की जरूरत है? आइए जानें

विदेशी मुद्रा भंडार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक के पास संपत्ति है। हमें विदेशी ऋण के साथ-साथ आयात का भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता है। मुद्रा के अवमूल्यन जैसी आपात स्थिति के मामले में उनका उपयोग बैकअप फंड के रूप में भी किया जाता है। भारत में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रिजर्व रखता है। किसी भी चीज़ से अधिक, उनका उपयोग आराम प्रदान करने के लिए किया जाता है कि भविष्य में आने वाले किसी भी भुगतान संतुलन या दिवाला संकट से निपटने के लिए पर्याप्त बफर है।

बाजार में आई गिरावट में आम निवेशक को भारी पड़ेगी ये गलतियां, उठा लेंगे तगड़ा नुकसान

बाजार में आई गिरावट में आम निवेशक को भारी पड़ेगी ये गलतियां, उठा लेंगे तगड़ा नुकसान

विदेशी बाजारों से मिले नकारात्मक संकेतों की वजह से घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिल रही है. शुक्रवार को ही बाजार में निवेशकों ने 6 लाख करोड़ रुपये गंवा दिये है. वहीं बाजार के जानकार आगे भी अनिश्चितता के बीच बाजार में दबाव बने रहने की बात कर रहे हैं. ऐसे में आम लोगों के बीच डर और लालच दोनों ही बढ़ने की आशंका बन गई है. बाजार के अधिकांश जानकार आम निवेशकों से हर स्थिति में सोचसमझ कर फैसला लेने की बात करते हैं. लेकिन डर या लालच हावी होने पर आम निवेशक अक्सर ऐसा फैसला ले लेतें हैं जिससे उनका नुकसान होना तय हो जाता है. जानिए अगर बाजार में गिरावट हावी हो रही हो तो आपको किन गलतियों से दूर रहने की जरूरत है.

घबराहट में बिकवाली करना

शेयर बाजार में गिरावट आने पर बिना सोचे समझे शेयर बेचने से बड़ी गलती कोई नहीं है. हालांकि ये भी सही नहीं है कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें. अगर आपने सिर्फ स्टॉक के प्रदर्शन को देखकर जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में कहीं निवेश किया है तो तुरंत निवेश की समीक्षा करें और तेजी के साथ फैसला लें . हालांकि अगर आपने किसी कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर सोच समझकर निवेश किया है तो शांत रहें, मजबूत कंपनियों में संभावना होती है कि वो रिकवरी के संकेत दिखते ही न केवल अपने नुकसान की भरपाई करती हैं वहीं इस गति के साथ वो और बढ़त भी दर्ज करती हैं. सलाह दी जाती है कि निवेश सोचसमझ कर करें फिर अपने इस फैसले पर भरोसा बनाए रखें..

छोटे निवेशकों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो बाजार में गिरावट आते ही उसको लेकर नकारात्मक छवि गढ़ लेते हैं. ध्यान रखें की बाजार एक ऐसी जगह है जहां कई लोग तब भी कमा रहे होते हैं जब बाजार गिर रहा होता है…हालांकि इसके लिए बाजार की काफी अच्छी जानकारी होनी चाहिए. छोटे निवेशकों को चाहिए कि वो किसी भरोसे के मार्केट एक्सपर्ट के संपर्क में बने रहें. और गिरावट के बीच उनसे निवेशक के विकल्प के बारे में सलाह ले सकते हैं. सलाह है कि बाजार को लेकर सकारात्मक या नकारात्मक कोई राय न बनाएं. बेहतर है कि बाजार को समझने की कोशिश करें, जानकारों से बात करें उनसे सलाह लें और निवेश के विकल्प हमेशा खुले रखें

एसआईपी को बंद करना

बाजार में गिरावट के बीच ये एक और बड़ी गलती है जिसे छोटे निवेशक करते है. बाजार अगर गिरता है तो कई स्कीम के रिटर्न निगेटिव दिखने लगते हैं. ऐसे में कई लोग एसआईपी बंद करा देते हैं. हालांकि वो नहीं समझ पाते कि उन्होने दोगुना नुकसान उठाया है. पहला वो निवेश का चक्र तोड़ देते हैं वहीं निचले स्तरों पर पहुंचे स्टॉक्स की खरीद का फायदा गंवा देते हैं. साल 2008 में आए क्रैश के दौरान कई लोगों ने अपनी एसआईपी बंद कर दी थी. हालांकि जिन लोगो ने निवेश जारी रखा उन्हें बाजार में रिकवरी के साथ तगड़ा मुनाफा मिला. बाजार में एसआईपी के जरिए निवेश किसी भी छोटे निवेशक के लिए सबसे कारगर तरीका होता है हर महीने छोटी रकम के साथ निवेशक बाजार के एक्सपर्ट्स की रणनीतियों का फायदा उठाते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि आप स्कीम पर नजर रखना ही छोड़ दें. आपको अपने निवेश की जानकारी होनी जरूरी है. ध्यान रखें कि एसआईपी समय से पहले बंद करने के नुकसान होते हैं इसलिए सोचसमझ कर ही इस पर निर्णय लिया जाना जरूरी है.

Russia Ukraine युद्ध से शेयर बाजार में भारी गिरावट, अब क्या करें रिटेल निवेशक?

Russia Ukraine युद्ध से शेयर बाजार में भारी गिरावट, अब क्या करें रिटेल निवेशक?

रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए जंग को 12 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. इसके कारण निवेशकों के बीच काफी डर का माहौल बना हुआ है. युद्ध के कारण मार्केट में पिछले 3 हफ्तों से भारी गिरावट देखने को मिल रही है. बाजार की इस हफ्ते की शुरुआत भी कमजोर रही. सोमवार को भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 2% से ज्यादा की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.

खरीदारी करने का सही समय नहीं

ब्रोकरेज हाउस Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामत को लगता है मार्केट में पैसा लगाने का यह सही समय नहीं होगा. उन्होंने लाइवमिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि

"बाजार में अभी इतना करेक्शन नहीं हुआ है, मार्केट 100% ऊपर गए हैं और अभी केवल 12-13% नीचे आए हैं. लेकिन अस्थिरता के मामले में, जब भी आप 10-12% की गिरावट देखते हैं, तो इस बात की संभावना होती है कि वे और नीचे जायेंगे. इसलिए, मैं यह नहीं कहना चाहूंगा कि यह खरीदने का एक अच्छा समय है. इस जियोपोलिटिकल क्राइसिस को लेकर हर घंटे कई खबरें सामने आ रही हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि लोगों को इंतजार करना चाहिए, देखें कि इन्फेलेशन (महंगाई) के साथ क्या होता है. मुझे नहीं लगता कि अभी 'डिप खरीदने' का सही समय है".

Mutual Fund Investment: म्यूचुअल निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं फंड में पहली बार कर रहे हैं निवेश, तो भूल कर भी न करें ये गलतियां, वरना डूब सकता है पैसा

Mutual Fund Investment: म्यूचुअल फंड में पहली बार कर रहे हैं निवेश, तो भूल कर भी न करें ये गलतियां, वरना डूब सकता है पैसा

बाजार रैली से उत्साहित होकर, पहली बार के निवेशक को म्युचुअल फंड (MF) के इक्विटी सेगमेंट में भारी निवेश नहीं करना चाहिए.

Mutual Fund Investment: ऐसा कहा जाता है कि किसी को भी अपने दोनों पैरों से पानी की गहराई नहीं मापनी चाहिए. इसी तरह, किसी भी बाजार रैली से उत्साहित होकर, पहली बार के निवेशक को म्युचुअल फंड (MF) के इक्विटी सेगमेंट में भारी निवेश नहीं करना चाहिए. म्यूचुअल फंड में निवेश धैर्य और जोखिम की बेहतर समझ की मांग करता है. हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश ऑप्शन की भरमार और बाजार के मौजूदा हालात को देखते हुए सही फंड का चुनाव आसान नहीं है. फिर भी म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़ी कुछ बुनियादी सावधानियों को ध्यान में रखेंगे तो आपको घाटा नहीं होगा.

कभी भी बड़ी रकम को एक साथ निवेश ना करें.

एक निवेशक को इक्विटी में बड़ी रकम को एक साथ निवेश करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि बाजार में गिरावट आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. पहली बार के निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव की समझ नहीं होती होती है. ऐसे में वे थोड़ा नुकसान होने पर घबरा जाते हैं. इस घबराहट में नए निवेशक अक्सर अपना पैसा निकालने का फैसला करते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के ज़रिए किया जाना चाहिए.

बाजार के उतार-चढ़ाव के आदी होने के लिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड के बजाय पहली बार निवेशकों के लिए बेहतर यह है कि वे संतुलित फंडों में निवेश करें. नए निवेशकों को ऐसे फंडों में निवेश करना चाहिए जहां जोखिम कम हो या हो भी तो ज्यादा नहीं. इस तरह के फंडों में बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, प्योर इक्विटी फंड से कम उतार-चढ़ाव होता है. इससे नए निवेशकों के लिए घबराहट की स्थिति नहीं बनती है. इससे नए निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रह सकते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझ सकते हैं. इसलिए, ज्यादा जोखिम वाले प्योर इक्विटी फंड से शुरू करने के बजाय, उन फंडों में निवेश करना बेहतर है, जो तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले हैं.

निवेश करने से पहले फाइनेंशियल प्लानिंग करें.

अगर कोई निवेशक सही फाइनेंशियल प्लानिंग द्वारा लॉन्ग टर्म गोल्स को हासिल करने के लिए इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों में निवेश करना शुरू करता है, तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि निवेशक बाजार में ज्यादा समय तक बने रहे. लंबी अवधि के गोल्स के लिए निवेश करने वाले निवेशक बाजार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर देते हैं. वहीं तुरंत रिटर्न हासिल करने के लिए निवेश करने वाले नए निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराकर तुरंत अपना पैसा निकाल लेते हैं. इसलिए, निवेश करने से पहले किस कैटेगरी के फंड में कितना निवेश करना है, यह तय करने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहतर है.

(Article : Amitava Chakrabarty)

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कम जोखिम में कमाना हो ज्यादा मुनाफा तो स्वैप है सटीक रास्ता

India TV Business Desk
Updated on: June 17, 2015 15:00 IST

कम जोखिम में कमाना हो. - India TV Hindi

कम जोखिम में कमाना हो ज्यादा मुनाफा तो स्वैप है सटीक रास्ता

नई दिल्ली: ऐसे में जब देश-दुनिया भर के कमोडिटी बाजार की हालत पतली है, घरेलू एवं विदेशी समीकरणों ने बाजार में उहापोह की स्थिति पैदा कर दी है और बाजार के हालात के मद्देनजर निवेशकों में निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं में घबराहट का माहौल है हम आपको अपनी खबर में स्वैप रेश्यो के जरिए कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफे वाले निवेश की रणनीति के बारे में बताएंगे। तो सबसे पहले जानिए क्या है स्वैप ट्रेडिंग।

स्वैप ट्रेडिंग-

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