स्रोत: ट्रेडिंग व्यू

प्रवृत्ति विश्लेषण

प्रदूषण फैलाते वाहनों की एक प्रतीकात्मक तस्वीर (क्रिएटिव कॉमन्स)

स र्दियों के दौरान भारत के पूर्वी राज्य - बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा बढ़ते हुए वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं, सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के क्षेत्रीय प्रदूषण प्रवृत्तियों के एक नये विश्लेषण में यह बात सामने आयी है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि नवंबर की शुरुआत में उत्तर भारत को अपनी आगोश में लेने वाला शीतकालीन स्मॉग दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में पूर्व की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। सीएसई के इस अध्ययन में कहा गया है कि बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा इस दौरान ज्यादा प्रभावित होते हैं, जब तापमान न्यूनता और ठंडी एवं स्थिर परिस्थितियों में यह स्मॉग स्थानीय प्रदूषण को जकड़ लेता है, जो पहले से ही बढ़ा होता है।

अनुमिता रॉयचौधरी, कार्यकारी निदेशक, रिसर्च ऐंड एडवोकेसी, सीएसई, कहती हैं, “वर्ष 2019-2021 की अवधि के लिए वास्तविक समय वायु गुणवत्ता डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रदूषण में गिरावट, जो वर्ष 2020 में महामारी के कठिन लॉकडाउन चरणों से प्रेरित थी, 2021 में पहले से ही बढ़े हुए स्तर के साथ वापस उछाल का संकेत दे रही है। लेकिन, कई मामलों में, प्रदूषण स्तर अभी भी 2019 से नीचे हैं। यह अध्ययन, इस क्षेत्र में प्रदूषण की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सभी क्षेत्रों में कार्रवाई को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।”

अर्बन डेटा एनालिटिक्स लैब, सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी कहते हैं, “भले ही इन राज्यों में वायु गुणवत्ता पर अधिक अद्यतित और वास्तविक समय वायु गुणवत्ता निगरानी का विस्तार शुरू हो गया है, लेकिन अनुपलब्ध डेटा को लेकर गंभीर चिंताएं भी हैं, जो समुचित जोखिम मूल्यांकन को मुश्किल बनाती है। बिहार और ओडिशा के कुछ स्टेशनों में डेटा उपलब्धता इतनी कम है कि सही प्रवृत्तियों का आकलन नहीं किया जा सकता। डेटा का गुणवत्ता नियंत्रण आवश्यक है।”

सर्दियों के दौरान भारत के पूर्वी राज्य - बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा बढ़ते हुए वायु प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं, सेंटर प्रवृत्ति विश्लेषण फॉर साइंस ऐंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के क्षेत्रीय प्रदूषण प्रवृत्तियों के एक नये विश्लेषण में यह बात सामने आयी है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि नवंबर की शुरुआत में उत्तर भारत को अपनी आगोश में लेने वाला शीतकालीन स्मॉग दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में पूर्व की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। सीएसई के इस अध्ययन में कहा गया है कि बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा इस दौरान ज्यादा प्रभावित होते हैं, जब तापमान न्यूनता और ठंडी एवं स्थिर परिस्थितियों में यह स्मॉग स्थानीय प्रदूषण को जकड़ लेता है, जो पहले से ही बढ़ा होता है।

वास्तविक समय में प्रदूषण डेटा का यह नया विश्लेषण सीएसई की अर्बन डेटा एनालिटिक्स प्रवृत्ति विश्लेषण लैब की वायु गुणवत्ता ट्रैकर पहल का एक हिस्सा है। इस नये विश्लेषण का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण की प्रवृत्ति और परिमाण को समझना है, जहाँ वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली उपलब्ध है। यह 01 जनवरी, 2019 से 04 जनवरी, 2022 की अवधि के लिए PM 2.5 सांद्रता में वार्षिक और मौसमी रुझानों का आकलन है। यह विश्लेषण वर्तमान कार्यशील वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से उपलब्ध वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित है। इस विश्लेषण के लिए यूएसईपीए (यूनाइटेड स्टेट्स एन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी) की पद्धति के आधार पर बड़ी मात्रा में डेटा बिंदुओं को जोड़ा गया है और डेटा अंतराल को कम करने का प्रयास किया गया है।

इस विश्लेषण में तीन राज्यों के 12 शहरों में फैले 29 निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों को शामिल किया गया है। इनमें पश्चिम बंगाल - कोलकाता में सात स्टेशन, हावड़ा में तीन स्टेशन, और आसनसोल, सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, हल्दिया में एक-एक स्टेशन; बिहार - पटना में छह स्टेशन, गया में तीन स्टेशन, मुजफ्फरपुर में तीन स्टेशन और हाजीपुर में एक स्टेशन; ओडिशा - तालचेर और ब्रजराजनगर में एक-एक रीयल टाइम स्टेशन शामिल हैं।

सीएसई के वक्तव्य के अनुसार, इन राज्यों के कुछ अन्य शहरों में अधिक रीयल टाइम मॉनिटर हैं, लेकिन डेटा अंतराल और गुणवत्ता डेटा की कमी के कारण उन पर विचार नहीं किया जा सका है। इसके अलावा, कई मामलों में प्रवृत्ति विश्लेषण रियल टाइम मॉनिटर हाल ही में स्थापित किए गए हैं। इसलिए दीर्घकालिक डेटा उपलब्ध नहीं है। बिहार के कई शहरों को जुलाई और नवंबर 2021 के बीच अपने रियल टाइम मॉनिटर मिले हैं। भागलपुर में दो स्टेशन और बेतिया, बिहारशरीफ, दरभंगा, मोतिहारी, अररिया, आरा, बक्सर, छपरा, कटिहार, किशनगंज, मंगुराहा, मुंगेर, पूर्णिया, राजगीर, सहरसा, सासाराम और सीवान में एक-एक स्टेशन हैं। लेकिन, इन स्टेशनों से अत्यधिक मात्रा में डेटा नहीं होने के कारण सार्थक विश्लेषण संभव नहीं हो पाया।

पश्चिम बंगाल में, प्रवृत्ति विश्लेषण दुर्गापुर और हल्दिया में रीयल टाइम मॉनिटर वर्ष 2020 के अंत में ही चालू हुए थे, जो इन शहरों के लिए दीर्घकालिक प्रवृत्ति विश्लेषण करने की संभावना को सीमित करता है। ओडिशा में वास्तविक समय की निगरानी बहुत सीमित है। इसलिए, डेटा मध्यम और छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति और सूक्ष्म कण प्रदूषण में मौसमी बदलाव के संकेतों को दर्शाता है।

बिटकॉइन बॉटम सिग्नल चमकने लगते हैं लेकिन क्या इससे पहले एक और लेग डाउन आ रहा है? (बीटीसी मूल्य विश्लेषण)

बिटकॉइन की कीमत नए साल की छुट्टियों में एक बहुत ही तंग सीमा में दोलन कर रही है, जो अगले महत्वपूर्ण कदम की दिशा में थोड़ा सुराग दे रही है। फिर भी, बाजार बहुत निर्णायक क्षेत्र में बना हुआ है, और अगले कुछ दिनों में इसका भाग्य सामने आ सकता है।

तकनीकी विश्लेषण

द डेली चार्ट

दैनिक चार्ट पर, कीमत कुछ समय के लिए $ 16,700 के आसपास 50-दिवसीय मूविंग एवरेज से जूझ रही है, लेकिन अभी तक इसे किसी भी दिशा में तोड़ना बाकी है। एक तेजी से ब्रेकआउट के मामले में, $ 18K के स्तर की ओर एक रैली और बड़े गिरने वाले वेज पैटर्न की उच्च सीमा की भी उम्मीद की जा सकती है।

उल्लिखित कील को मौजूदा बाजार की स्थिति में एक तेजी से उलट पैटर्न माना जाता है और अगर ऊपर की ओर तोड़ा जाता है तो यह मध्यावधि तेजी के चरण की शुरुआत कर सकता है। दूसरी ओर, यदि 50-दिवसीय मूविंग एवरेज मूल्य को कम रखता है और अस्वीकार करता है, तो $ 15K क्षेत्र की ओर गिरावट और गिरने वाली कील की निचली प्रवृत्ति आसन्न होगी।

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स्रोत: ट्रेडिंग व्यू

4 घंटे का चार्ट

4 घंटे की समय सीमा को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि पिछले सप्ताह में कई बार परीक्षण करने के बाद कीमत अंततः $16,900 के स्तर से गिर गई है।

हालांकि, हाल की मोमबत्तियां तेजी से गिरने के लिए कीमतों की अनिच्छा दर्शाती हैं, जो उल्लेखित प्रतिरोध स्तर के एक और संभावित पुनर्परीक्षण की ओर इशारा करती हैं।

सभी चीजों पर विचार किया जाए, जहां तक ​​कीमत $17K मार्क से नीचे रहती है, $15K रेंज की ओर गिरावट सबसे संभावित परिणाम होगा। RSI संकेतक भी 50 से नीचे के मान दिखाता है, जो संकेत देता है कि गति मंदडि़यों के पक्ष में है, जो अल्पावधि में गिरावट की संभावना को और बढ़ाता है।

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स्रोत: ट्रेडिंग व्यू

ऑन-चेन विश्लेषण

बिटकॉइन लॉन्ग टर्म होल्डर SOPR

बिटकॉइन के दीर्घकालिक धारक एक आवश्यक समूह हैं, क्योंकि उनका व्यवहार भविष्य के बाजार के रुझान में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। लंबी अवधि के धारकों का SOPR एक शक्तिशाली मीट्रिक है जो इन बाजार सहभागियों द्वारा महसूस किए गए लाभ और हानि के अनुपात को मापता है और ऑन-चेन विश्लेषण के लिए गो-टू मेट्रिक्स में से एक है। 1 से ऊपर का मान लाभ का संकेत देता है, और 1 से नीचे का मान नुकसान का संकेत देता है।

यह चार्ट LTH SOPR के 100-दिवसीय मानक मूविंग एवरेज को प्रदर्शित करता है। मीट्रिक में एक साल से अधिक समय से गिरावट आ रही है, इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि लंबी अवधि के धारकों का लाभ मार्जिन लगातार घट रहा था और पिछले कुछ महीनों में 1 से नीचे गिर गया है, क्योंकि ये निवेशक कुछ समय से घाटे का एहसास कर रहे हैं।

हालाँकि, मीट्रिक हाल ही में एक रोमांचक स्तर पर पहुँच गया है, जिसने पिछले चक्र के भालू बाजार के तल को चिह्नित किया है। इसलिए, एक मैक्रो और बहु-चक्रीय दृष्टिकोण से, भालू बाजार की निचली सीमा दूर नहीं लगती है और इस प्रवृत्ति विश्लेषण समय बन भी सकती है।

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स्रोत: क्रिप्टोक्वांट

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नौसैनिक बेस, कोच्चि में वार्षिक संभार सम्मेलन का आयोजन

नौसैनिक बेस, कोच्चि में वार्षिक संभार सम्मेलन का आयोजन

"संभार का पुनरुद्धार; संक्रिया के लिए युतिप्रभावी दृष्टिकोण" की थीम के साथ 06-07 नवंबर के दौरान नौसैनिक बेस कोच्चि में दो दिवसीय वार्षिक संभार सम्मेलन (एएलसी) -2017 का आयोजन किया गया। भारतीय नौसेना के संभार नियंत्रक, उप नौसेना अध्यक्ष सुनील आनंद, एनएम की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन 06 नवंबर, 17 को उप नौसेना अध्यक्ष ए. आर. कर्वे, एवीएसएम, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, दक्षिणी नौसेना कमान ने किया।

नौसैनिक बेस, कोच्चि में वार्षिक संभार सम्मेलन का आयोजन

प्रवर्तमान एएलसी

इस सम्मेलन में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन तथा संक्रियात्मक संभार क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया और इस विषय पर सामयिक प्रगति एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया। इस सम्मेलन में तेजी से प्रगतिशील नौसेना की संभार से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के विषय पर चर्चा की गई, जो अपने संक्रियात्मक दायरे का निरंतर विस्तार करने के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) और उससे परे स्थित मित्रवत देशों के साथ संबद्धता को बढ़ा रहा है। यह सम्मेलन एक कार्यक्षम संभार समर्थन के लिए नीतियों के निर्माण हेतु आधार तैयार करेगा। सम्मेलन के दौरान, संभार के समर्थन की प्रवृत्ति विश्लेषण किया गया तथा व्यवस्थापन, खरीद और निपटान के संदर्भ में संभार को बेहतर बनाने पर विशेष बल दिया गया।

नौसैनिक बेस, कोच्चि में वार्षिक संभार सम्मेलन का आयोजन

नौसेना एएलसी जैसे मंचों के माध्यम से इन अवधारणाओं, प्रक्रियाओं और बुनियादी ढांचे की निरंतर समीक्षा एवं परिष्करण करती है, जिसमें भारतीय नौसेना के सभी वरिष्ठ संभार अधिकारीगण शामिल होते हैं।

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