(5) धन संचय करने में कठिनाई - वस्तु विनिमय में भविष्य दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ के लिए धन संचय करना कठिन था। सामान्य तौर पर देखा जाए तो कुछ वस्तुएँ टिकाऊ नहीं होती, कुछ समय बाद नष्ट हो जाती हैं तथा उसका मूल्य घटकर शून्य हो जाता है। अर्थात वस्तु विनिमय में धन का संचय सड़ने, गलने व मूल्य में परिवर्तन होने के कारण नहीं किया जा सकता था।
फ्री विडियो डाउनलोड कक्षा १२ विषय अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय का लेखांकन में शामिल है चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय व स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय, मध्यवर्ती वस्तुएँ व अंतिम वस्तुएँ, प्रवाह एवं स्टॉक अवधारणाएँ, आर्थिक (घरेलू) सीमा, देश के सामान्य दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ निवासी, अचल पूँजी का उपभोग या मूल्यह्रास, साधन लागत और बाज़ार कीमत, विदेशों से शुद्ध साधन आय, उत्पादन का मूल्य और मूल्य वृद्धि, साधन भुगतान , आय के चक्रीय प्रवाह, उत्पाद विधि, दोहरी गणना की समस्या, आय विधि,व्यय विधि, निजी आय, वैयक्तिक आय, राष्ट्रीय प्रयोज्य आय, वैयक्तिक प्रयोज्य आय.
विडियो फ्री में डाउनलोड करे मुद्रा और बैंकिंग में शामिल है वस्तु विनियम प्रणाली तथा इसकी सीमाएँ, मुद्रा का अर्थ एवं रूप, मुद्रा के रूप, मुद्रा के कार्य, मुद्रा की माँग, मुद्रा की पूर्ति, बैंक एव बैंकिंग की परिभाषा, बैंक के प्रकार, वाणिज्यिक बैंक का अर्थ व कार्य, साख निर्माण की प्रक्रिया, केन्द्रीय बैंक का अर्थ और कार्य, केन्द्रीय बैंक और वाणिज्यिक बैंक में अंतर.
सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था
विडियो डाउनलोड फ्री सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था में शामिल है सरकारी बजट का अर्थ, बजट के उद्देश्य व महत्त्व, बजट के अवयव या घटक, राजस्व प्राप्तियों और पूँजीगत प्राप्तियों दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ में अंतर, सरकारी व्यय का अर्थ व वर्गीकरण, राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ अंतर, योजना व्यय और गैर-योजना व्यय में अंतर, विकासात्मक व्यय और गैर-विकासात्मक व्यय में अंतर, बजट घाटा, राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा, प्राथमिक घाटा.
Complete Guide for CBSE Students
NCERT Solutions, NCERT Exemplars, Revison Notes, Free Videos, CBSE Papers, MCQ Tests & more.
भुगतान संतुलन
वीडियोस कक्षा १२ विषय अर्थशास्त्र डाउनलोड फ्री.; खुली अर्थव्यवस्था भुगतान संतुलन में शामिल है अदायगी-संतुलन, भुगतान शेष/अदायगी संतुलन में संतुलन तथा असंतुलन, भुगतान शेष की स्वायत्त और समायोजक मदें, व्यापार शेष तथा भुगतान शेष, विदेशी विनिमय दर का अर्थ, विनिमय दर की प्रणाली, स्थिर विनिमय दर प्रणाली, नम्य विनिमय दर प्रणाली, विदेशी करेंसी की माँग, विदेशी करेंसी की पूर्ति, विनिमय की संतुलन दर का निर्धारण, विदेशी विनिमय बाज़ार, हाजिर बाज़ार और वायदा बाज़ार, प्रबंधित तरणशीलता.
विडियो स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थशास्त्र. भारत की वर्तमान अर्थव्यवस्था की जड़ें ब्रिटिश शासन में है. भारत में ब्रिटिश शासन का आरंभ 1757 में प्लासी को लडाई में विजय के साथ हुआ और लगभग २०० वर्ष तक चला.
वस्तु विनिमय प्रणाली की प्रमुख समस्याएँ क्या थीं ? ꘡ मुद्रा के अविष्कार ने वस्तु विनिमय की कठिनाइयों को कैसे दूर किया ?
आप सभी अच्छी तरह जानते हैं कि मानव जीवन के लिए मुद्रा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यानि की हम यह मान दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ सकते हैं कि किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रा उतनी ही ज़रूरी है जितना कि शरीर के अंदर रक्त का संचार होना ज़रूरी है। मुद्रा के बिना किसी भी देश के आर्थिक, सामाजिक या राजनैतिक ढाँचे की कल्पना करना ही असंभव है। मुद्रा के बिना किसी भी प्रकार के लेनदेन के बारे में सोचना भी कितना कठिन सा लगता है।
अब ज़रा सोचिए कि आर्थिक विकास के प्रारंभिक युग में लेनदेन किस प्रकार किया जाता रहा होगा। विशेषकर जब मुद्रा का अभाव था। या यूँ कहिए कि उस समय किसी भी प्रकार की मुद्रा का चलन नहीं था।
वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? | Vastu vinimay pranali kya hai?
जिस व्यक्ति को किसी विशिष्ट वस्तु के उत्पादन में रुचि या प्रवीणता होती थी। वह उस वस्तु का आवश्यकता से अधिक उत्पादन कर लिया करता था। फ़िर वह उस वस्तु के बदले में किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा उत्पादित वस्तु का विनिमय कर लेता था। जिसकी उसे आवश्यकता होती थी। वस्तु विनिमय प्रणाली किसे कहते हैं? barter system meaning in hindi को सरल रूप में समझने दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ के लिए आइये हम एक उदाहरण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ | वस्तु विनिमय प्रणाली की सीमाएँ | (Disadvantage of Barter System in hindi)
(1) वस्तु के विभाजन में कठिनाइयाँ - कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें विभाजित नहीं किया जा सकता। यदि इन वस्तुओं से किसी भी वस्तु के साथ विनिमय किया जाए तो किसी एक व्यक्ति को निश्चित रूप से हानि उठानी पड़ सकती है। वस्तुओं के विभाजन करने के स्थिति में बहुत कठिनाइयाँ होती हैं। क्योंकि विभाजित करने से कुछ वस्तुओं की उपयोगिता नष्ट हो जाती है।
उन्हें विभाजित ही नहीं किया जा सकता है। जैसे- मान लिया दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ जाए कि कोई व्यक्ति चाय, चीनी, गेहूँ और कपड़ा, ये चार वस्तुएँ एक भैंस के बदले प्राप्त करना चाहता है। परंतु उसकी आवश्यकता की उन चारों वस्तुओं के बदले एक भैंस को चार भागों में विभाजित करना असंभव होता है।
(2) दोहरे संयोग का अभाव - वस्तु विनिमय संभव तभी हो सकता है जब दूसरे पक्ष को हमारी अतिरिक्त वस्तु की आवश्यकता हो। कोई व्यक्ति अपनी वस्तु देना तो चाहता है किंतु उसे हमारे पास उपलब्ध वस्तु की आवश्यकता ना हो तब ऐसी स्थिति में दोहरे संयोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
मुद्रा द्वारा वस्तु-विनिमय की कठिनाइयाँ दूर करना (to remove difficulties of barter by money in hindi)
मुद्रा के आविष्कार ने वस्तु-विनिमय की कठिनाइयों को दूर कर दिया। मुद्रा के द्वारा ये समस्याएँ निम्न प्रकार दूर हो गईं-
(1) दोहरा संयोग - मुद्रा का आविष्कार हो जाने के कारण वस्तु के विनिमय से उत्पन्न दोहरे दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ संयोग की समस्या से छुटकारा मिल गया। अब हम मुद्रा देकर अपनी आवश्यकता की वस्तु किसी से भी, कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं।
(2) मूल्य का मापन - अब हम किसी भी वस्तु का मूल्य मुद्रा के रूप में ज्ञात कर सकते हैं। मुद्रा के बदले अब आसानी से कोई भी वस्तु प्राप्त कर सकते हैं।
(4) मूल्य का संचय - मुद्रा के मूल्य में स्थिरता पायी जाती है। यह शीघ्र नष्ट नहीं होता। अर्थात यह वस्तुओं की भाँति शीघ्र नष्ट होने वाली नहीं होती। अतः इसका संचय करना संभव हो जाता है।
मुद्रा और बैंकिंग
भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रा की पूर्ति के वैकल्पिक मापों को चार रूपों में प्रकाशित करता है, नामत: M1, M2, M3 और M4 ।
ये सभी निम्नलिखित तरह से परिभाषित किये जाते हैं:
M1 = C + DD + OD
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमाएँ
M3 = M1 + व्यावसायिक बैंकों की निवल आवधिक जमाएँ
M4 = M3 + डाकघर बचत संस्थाओं में कुल जमाएँ
जहाँ ,
C = जनता के पास करेंसी
DD = माँग जमाएँ
OD = रिज़र्व बैंक के पास अन्य जमाएँ
M1 and M2 संकुचित मुद्रा (Narrow Money) कहलाती है। M3 और M4 को व्यापक मुद्रा (Broad Money) कहते हैं।
M1 संव्यवहार के लिए सबसे तरल और आसान है, जबकि M4 इनमें सबसे कम तरल है।
दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई दोहरी विनिमय दरों की सीमाएँ हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 557