फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज़ दरों के फायदे और नुकसान
फिक्स्ड या फ्लोटिंग ब्याज़ दरें, आपको क्या चुनना चाहिए?
फिक्स्ड या फ्लोटिंग ब्याज़ दरें, आपको क्या चुनना चाहिए?
पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करते समय अक्सर उधारकर्ता, प्रदान किए जाने वाले फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज़ दरों के बीच भ्रमित हो जाते हैं. ब्याज़ दर का चुनाव दो मुख्य फाइनेंशियल पहलुओं: देय EMI की राशि और पुनर्भुगतान योजना को प्रभावित करता है.
इसलिए सही विकल्प का निर्णय लेने के लिए, पर्सनल लोन जैसे एडवांस पर फिक्स्ड बनाम फ्लोटिंग ब्याज़ दरों का आकलन करके इस अंतर को समझें.
फिक्स्ड ब्याज़ दर क्या है?
फिक्स्ड लेंडिंग सुविधा के तहत, लोन की पूरी अवधि के दौरान निर्धारित दर पर ब्याज़ लिया जाता है. फिक्स्ड ब्याज़ दर का विकल्प चुनने पर, पूरी अवधि के लिए ब्याज़ समान रहता है.
उधारकर्ता निर्धारित ब्याज़ दर के तहत ईएमआई के रूप में अपने निश्चित मासिक भुगतान का आकलन कर सकते हैं और उसके अनुसार अपने फाइनेंस की योजना बना सकते हैं.. आमतौर पर फ्लेक्सिबल दरों की तुलना में ये ब्याज़ दरें 1 से 2% की उच्च मार्जिन पर सेट की जाती हैं.
फ्लोटिंग ब्याज़ दर क्या है?
फ्लोटिंग ब्याज़ दरों (जिसे परिवर्तनशील ब्याज़ दर भी कहा जाता है) के तहत, ब्याज़ दर रेपो रेट में बदलाव के साथ आवधिक संशोधन के अधीन होती है, जो RBI द्वारा निर्धारित लेंडिंग बेंचमार्क है.
लेंडर रेपो रेट में स्प्रेड या मार्जिन जोड़ते हैं और आरएलएलआर या रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट के नाम से जानी जाने वाली ब्याज दर को निर्धारित करते हैं. रेपो रेट में कोई भी बदलाव होने पर उधारकर्ताओं को दिए गए लोन और एडवांस पर लागू ब्याज दर में भी बदलाव होता है.
हालांकि ऐसे लोन की EMI में कोई परिवर्तन नहीं होता है, फिर भी फ्लोटिंग लेंडिंग रेट वेरिएंट के तहत ब्याज़ दर के एडजस्टमेंट से कुल पुनर्भुगतान देयता में वृद्धि के कारण लोन की अवधि बढ़ सकती है.
फिक्स्ड या फ्लोटिंग ब्याज़ दर में से बेहतर का चुनाव करना उधारकर्ता पर निर्भर करता है.
नीचे दी गई फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर जानकारी की मदद से आप फिक्स्ड बनाम वेरिएबल ब्याज़ दर के बीच चुनने में मदद पा सकते हैं.
फिक्स्ड बनाम फ्लोटिंग ब्याज़ दरें: एक तुलना
निम्न परिस्थितियों में फिक्स्ड लेंडिंग रेट का विकल्प चुनना बेहतर होता है:
- जब उधारकर्ता अपनी कुल पुनर्भुगतान देयता को बनाए रखना चाहते हैं और शुरुआत में आकलन किए गए EMI और उनके पुनर्भुगतान शिड्यूल में कोई बदलाव नहीं चाहते हैं.
- अगर वे लेंडिंग दरों से संबंधित मार्केट ट्रेंड में बदलाव के साथ जुड़े जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं हैं.
फिक्स्ड ब्याज़ दरों से बेहतर फाइनेंशियल योजना बनाई जा सकती हैं, क्योंकि पुनर्भुगतान अवधि बदली नहीं जाती है.
फ्लोटिंग ब्याज़ दरें उपयुक्त हो सकती हैं, अगर:
- उधारकर्ता रेपो रेट कट का ट्रेंड समझते हैं. इसमें पुनर्भुगतान देयता को देखने की ज़रूरत होती है, क्योंकि ब्याज़ समय के साथ कम होता है.
- इससे आय में वृद्धि की संभावना होती है. अपनी लोन देयता को प्री-पे करने का विकल्प चुनने से कुल पुनर्भुगतान राशि और प्री-पेमेंट शुल्क, दोनों पर महत्वपूर्ण बचत करने में मदद मिल सकती है.
फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज़ दरों के बीच बेहतर विकल्प का चुनाव, लोन के लिए अप्लाई करते समय आपकी उपयुक्तता पर निर्भर करता है. अगर एक लेंडिंग रेट के लाभ दूसरे को ओवरराइड करते हैं, तो न्यूनतम फीस के भुगतान पर ब्याज़ दर कन्वर्ज़न का विकल्प चुनें.
जानें, क्या है Fixed और Floating Interest Rates में अंतर, फायदे और नुकसान
Fixed and Floating Interest Rates Comparison: यहां जानें, क्या होता है फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट ऑफ इंट्रेस्ट और इनसे लोन पर क्या असर पड़ता है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
क्या हैं फायदे और नुकसान?
इसका सबसे बड़ा फायदा यही है कि मार्केट की कंडीशन के हिसाब से रेट बदलता नहीं है। इससे रीपमेंट के शेड्यूल और स्ट्रक्चर में कोई अनिश्चितता नहीं रहती है। यह उनके लिए अच्छा होता है जिन्हें हर महीने फिक्स्ड शेड्यूल चाहिए होता है।
इसका नुकसान यह है कि यह फ्लोटिंग रेट से 1-2.5% ज्यादा होता है। इसके अलावा अगर मार्केट में बदलाव के कारण रेट नीचे आए, तो भी इसमें उसका फायदा नहीं मिलेगा। इसे लेने से पहले कस्टमर को ध्यान रखना चाहिए कि रेट हमेशा के लिए फिक्स है या कुछ समय के लिए। अगर हाल के समय में मार्केट में रिस्क न हो तो यह अच्छा ऑप्शन होते हैं।
क्या होता है फ्लोटिंग रेट ऑफ इंट्रेस्ट?
फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट से उलट फ्लोटिंग रेट ऑफ इंट्रेस्ट मार्केट के हिसाब से बदलता रहता है। कभी यह फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट से 1-3 प्रतिशत तक कम रहता है, तो कभी इससे ज्यादा भी हो सकती है। हालांकि यह फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट से काफी सस्ता ही पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है कि फ्लोटिंग रेट फिक्स्ड से ऊपर चला जाए, लेकिन यह अस्थायी होता है और कुछ समय बाद सामान्य हो जाता है।
क्या हैं फायदे और नुकसान?
फिक्स्ड रेट से कम होना इसका सबसे बड़ा फायदा है। फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट में अगर बढ़ोतरी होती भी है तो यह फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट से कम ही रहती है। अगर फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट फिक्स्ड इंट्रेस्ट रेट से ज्यादा हो भी, तो थोड़े समय के लिए ही रहता है। ऐसी संभावना रहती है कि फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट कुछ समय बाद नीचे आ जाएगा।
हालांकि, इसमें किसी के लिए अपना बजट बनाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसका रेट ऑफ इंट्रेस्ट मार्केट के हिसाब से चलता है और हर महीने की किश्त अलग-अलग हो सकती है। फ्लोटिंग इंट्रेस्ट रेट में कई बार आपको अंदाजे से भी ज्यादा फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर पेमेंट करना पड़ सकता है। ऐसे में आपकी सेविंग और घर का बजट भी बिगड़ सकता है।
Home Loan कौन सा लें? Fixed या Floating? ब्याज दरें बढ़ने के माहौल में क्या होगा सही फैसला?
Fixed or Floating Home Loan: फिक्स्ड या फ्लोटिंग, इसका फैसला कुछ बातों को ध्यान में रखकर लिया जा सकता है.
अपने घर का सपना पूरा करने के लिए अधिकतर लोग बैंकों से लोन लेते हैं. लोन लेते समय ब्याज की क्या दर है, यह भी फैसला लेने में बड़ी भूमिका निभाता है. (Image- Pixabay)
Fixed or Floating Home Loan: अपने घर का सपना पूरा करने के लिए अधिकतर लोग बैंकों से लोन लेते हैं. लोन लेते समय ब्याज की क्या दर है, यह भी फैसला लेने में बड़ी भूमिका निभाता है. हालांकि ब्याज की दरों को लेकर भी एक अहम सवाल उठता है कि फिक्स्ड दर वाला होम लोन लिया जाये या फ्लोटिंग दर पर. इस महीने केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लंबे समय बाद अचानक नीतिगत दरों को तत्काल प्रभाव से बढ़ाने का ऐलान कर दिया. इसके बाद से कई बैंक अपने यहां कर्ज महंगा कर चुके हैं. ऐसे में घर खरीदारों को उलझन हो रही है कि कर्ज के किस विकल्प को चुना जाए, फिक्स्ड या फ्लोटिंग. इसका फैसला कुछ बातों को ध्यान में रखकर लिया जा सकता है.
इन परिस्थितियों में चुनें फिक्स्ड रेट होम लोन
फिक्स्ड रेट होम लोन में कर्ज लेते समय ही ब्याज दर तय हो जाती है और पूरे लोन टेन्योर में यही दर बनी रहती है. नीचे दी गई परिस्थितियों के मुताबिक आप फिक्स्ड रेट होम लोन चुन सकते हैं.
Petrol and Diesel Price Today: पेट्रोल और डीजल के भी लेटेस्ट रेट जारी, कहां सबसे सस्ता और कहां महंगा है तेल?
RBI Bulletin: रिजर्व बैंक का अनुमान, महंगाई के खिलाफ लंबी चलेगी लड़ाई, लेकिन सितंबर के ऊंचे स्तर से मिलेगी राहत
- अगर आपको लगता है कि अब ब्याज दर में कमी नहीं होगी.
- ब्याज दर कम हो गई हो और आप उसी दर को लॉक करना चाहते हैं.
- आपके कर्ज की जो मौजूदा दर पर ईएमआई बन रही है, वह आपके लिए कंफर्टेबल है.
फ्लोटिंग रेट पर होम लोन का इन कंडीशंस में करें विचार
बाजार के हिसाब से फ्लोटिंग लोन रेट भी ऊपर-नीचे होता है और यह दर बेंचमार्क रेट से जुड़ा होता है. जैसे कि अभी आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों ने भी अपना कर्ज महंगा कर दिया और अगर आरबीआई आगे भी दर बढ़ाता है तो बैंक भी अपनी दरें बढ़ा सकता है. नीचे कुछ परिस्थितियां हैं, जिनमें आप फ्लोटिंग रेट पर होम लोन पर विचार कर सकते हैं.
- फिक्स्ड होम लोन की दर आमतौर पर फ्लोटिंग रेट लोन से थोड़ी अधिक होती है. अगर यह अंतर बहुत अधिक है तो आप इस पर विचार कर सकते हैं. इससे आप कम अवधि में ब्याज का कुछ खर्च बचा सकते हैं.
- अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में ब्याज दरें गिर सकती हैं.
- अगर आप लोन के प्रीपेमेंट के मामले में पेनाल्टी से बचना चाहते हैं.
अभी भी हो रही उलझन?
अगर आपको अभी भी उलझन हो रही है तो आप दोनों का कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं जो थोड़ा फिक्स्ड और थोड़ा फ्लोटिंग होता है. जैसे कि अभी आप किसी लोन की किश्त चुका रहे हैं तो आप अपने होम लोन के लिए फिक्स्ड दर पर होम लोन चुन सकते हैं और फिर इसके बाद आप शेष टर्म के लिए फ्लोटिंग विकल्प चुन सकते हैं. इस स्विचिंग के लिए बैंक कुछ शुल्क ले सकते हैं.
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.
Home Loan: सस्ते होम लोन के मौजूदा दौर में किसका करें फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर चुनाव? फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में कौन सा विकल्प रहेगा बेहतर?
फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट, दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं. यहां हमने बताया है कि इन दोनों में क्या अंतर है और इनमें से कौन सा विकल्प बेहतर हो सकता है.
कई एक्सपर्ट्स का फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर मानना है कि यह समय होम लोन पर बेस्ट डील पाने का एक अच्छा समय है.
Home Loan: होम लोन की ब्याज दरें कई सालों के निचले स्तर पर हैं. ऐसे में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह समय होम लोन पर बेस्ट डील पाने का एक फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर फ्लोटिंग और फिक्स्ड स्प्रेड के बीच अंतर अच्छा समय है. होम लोन खरीदने से पहले केवल यह जानना पर्याप्त नहीं है कि ब्याज दर कितनी है और आपको इसके लिए कितना EMI चुकाना होगा. होम लोन की चुकौती प्रक्रिया लंबी अवधि तक चलती है, इसलिए होम लोन के साथ आने वाले फीचर्स और विकल्पों को पूरी तरह समझना जरूरी है ताकि आपको एक बेहतर डील मिल सके. होम लोन खरीदारों के मन में एक सवाल यह आता है कि उनके लिए फिक्स्ड रेट बेहतर है या फ्लोटिंग रेट. इसका फैसला सावधानी के साथ करना चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव आपकी वित्तीय स्थिति पर पड़ता है. दोनों के ही अपने फायदे और नुकसान हैं. यहां हमने बताया है कि इन दोनों में क्या अंतर है और इनमें से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है.
क्या है फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट ऐसा रेट है जो बाजार की स्थिति के साथ नहीं बदलता है. फिक्स्ड रेट लोन में होम लोन लेते समय ब्याज दर तय होती है और यह दर होम लोन की अवधि के खत्म होने तक बनी रहती है. इसका मतलब कि अगर आप फिक्स्ड रेट का चुनाव करने जा रहे हैं तो आसानी से अपनी EMI का अनुमान लगा सकते हैं. इसके ज़रिए आपको अपना बजट बनाने में भी आसानी होती है. इसके अलावा, ब्याज दर के स्थिर रहने पर आप आसानी से होम लोन रीपेमेंट का प्लान भी कर सकते हैं.
Bharat Bond ETF: ‘AAA’ रेटिंग वाली PSU कंपनियों में पैसा लगाने का मौका, सरकार ने पेश किया भारत बांड ईटीएफ
कब करें फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का चुनाव
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि फिक्स्ड रेट लोन की कीमत आमतौर पर फ्लोटिंग रेट लोन की तुलना में थोड़ी ज्यादा होती है. अगर यह अंतर काफी बड़ा है, तो आप फ्लोटिंग रेट लोन का चुनाव भी कर सकते हैं. लेकिन अगर वे लगभग बराबर हैं या अंतर बहुत कम है, तो आप अपनी स्थिति और जरूरतों का आकलन करते हुए दोनों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं. इसका चुनाव बेहतर तब होता है जब होम लोन खरीदते समय ब्याज दर कम हो.
क्या है फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के तहत होम लोन खरीदने पर आपकी ब्याज दर बाजार की स्थिति के साथ कम या ज्यादा होती रहती है. इसके तहत होन लोन में आप अपनी EMI का अनुमान पहले से नहीं लगा सकते. फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का बड़ा फायदा यह है कि जब ब्याज दरें कम होती है तो इस स्थिति में आपको कम EMI चुकाना होता है. हालांकि, ब्याज दरें बढ़ने पर आपको इसमें ज्यादा EMI चुकाना होगा. हालांकि, होम लोन की ब्याज दर बार-बार बढ़ने की स्थिति में, आप अपने लेंडर से टेन्योर बढ़ाने के लिए भी अनुरोध कर सकते हैं.
कब करें फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का चुनाव
अगर आपको लगता है कि समय के साथ सामान्य रूप से ब्याज दरों में गिरावट होगी, तो ऐसी स्थिति में फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन का चुनाव किया जा सकता है. ब्याज दरों के कम होने से भविष्य में आपके लोन पर लागू ब्याज दर भी गिर जाएगी. अगर आप रियल एस्टेट बाजार से अच्छी तरह वाकिफ हैं, तो फ्लोटिंग इंटरेस्ट होम लोन चुनना बेहतर होगा. साथ ही, अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि होम लोन की दरें जल्द ही घटेंगी, तो यह विकल्प चुनना फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा फ्लोटिंग इंटरेस्ट होम लोन लेना फायदेमंद है क्योंकि आपको इंडिविजुअल बॉरोअर के रूप में पार्ट-प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है.
कॉम्बिनेशन लोन का भी है ऑप्शन
अगर आपको यह तय करने में दिक्कत हो रही है कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर होगा, तो इस स्थिति में आप कॉम्बिनेशन लोन का चुनाव भी कर सकते हैं. इसका कुछ हिस्सा फिक्स्ड होता है तो वहीं कुछ हिस्सा फ्लोटिंग होता है. आमतौर पर, यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि भविष्य में होम लोन की दरें क्या होंगी. हो सकता है कि लोन की ब्याज दरें आपके अनुमान के अनुसार न बदलें. इस स्थिति में आपके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. हालांकि इसे लेकर बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर आप चाहें तो किसी भी समय फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट लोन के बीच स्विच कर सकते हैं. हालांकि, स्विच करने के लिए आपको लेंडर को एक मामूली शुल्क का भुगतान करना होगा. फिक्स्ड या फ्लोटिंग होम लोन इंटरेस्ट रेट में से किसी एक को चुनना आपकी फाइनेंशियल कंडीशन पर निर्भर करता है. इसलिए आपके लिए कौन सा विकल्प बेहतर हो सकता है यह आपको ही चुनना होगा.
Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 433