अन्य देशों की तरह 25 से 30 फीसदी किया जा सकता है एलटीसीजी टैक्स
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) पर अधिकतम 15 प्रतिशत अधिभार (सरचार्ज) लिया जा रहा, सरकार इसे बढ़ाकर 25 से 30 फीसदी करने की तैयारी में है. जानिए क्या होता है एलटीसीजी टैक्स, एक्सपर्ट का क्या कहना है.
हैदराबाद : केंद्र सरकार पूंजीगत लाभ कर प्रणाली (capital gains tax system) में बदलाव की तैयारी कर रही है. सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ाने के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) में सुधार करना चाहती है. इससे उसका राजस्व बढ़ेगा और वह जनकल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सकेगी. वित्त मंत्रालय के दो अधिकारियों ने बजट के बाद ही इसके संकेत दे दिए थे. उनके मुताबिक कई देशों में लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स 25 से 30 फीसदी है. ऐसे में भारत इससे अलग नहीं हो सकता. जाहिर है कि आने वाले समय में एलटीसीजी टैक्स बढ़ सकता है.
वित्त मंत्रालय इसे लागू किए जाने पर अध्ययन कर रहा है. प्रस्ताव के केंद्र में सरकार का मानना है कि पूंजी बाजार से अर्जित निष्क्रिय आय पर व्यापार करने से अर्जित आय की तुलना में कम दर पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए, जिसमें उद्यमशीलता का जोखिम उठाना और रोजगार सृजन शामिल है. यह योजना सरकार के कल्याणवाद के विचार में भी निहित है जिसके लिए राजस्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. हालांकि एक अधिकारी का कहना है कि पूंजीगत लाभ कर प्रणाली को ज्यादा किफायती बनाने के लिए विधायी बदलावों की आवश्यकता है. इसमें अगले बजट तक का समय लग सकता है.
जानिए क्या होता है कैपिटल गेन : एक साल से अधिक समय के म्यूचुअल फंड इक्विटी में निवेश पर रिटर्न को लांग टर्म कैपिटल गेन्स कहा जाता है और इस पर किसी वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक की रकम पर 10 फीसदी कर लगता है. पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था यह निर्धारित करने के लिए होल्डिंग अवधि निर्धारित करती है कि संपत्ति बेचते समय प्राप्त लाभ अल्पावधि या दीर्घकालिक है या नहीं.
सूचीबद्ध शेयरों के मामले में एक वर्ष से कम समय के लिए रखे गए सूचीबद्ध इक्विटी पर अल्पकालिक निष्क्रिय आय और कमाई क्या है पूंजीगत लाभ पर 15% कर लगाया जाता है और यदि यह असूचीबद्ध है तो लागू कर स्लैब. 2004-05 के बजट में तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को हटाकर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) लगाया था. फिर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे 2016 में दोबारा शुरू किया था. टैक्स पेयर्स को उम्मीद थी कि 2022 के बजट के समय इसे हटा दिया जाएगा लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐसा नहीं किया था.निष्क्रिय आय और कमाई क्या है
बजट के समय वित्तमंत्री ने ये कहा था : फरवरी 2022 में इस कर को नहीं हटाने को लेकर पूछे गए सवाल पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बजट में लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) कर हटाने का फैसला इसलिए नहीं लिया गया, क्योंकि सरकार को इससे अब तक कोई फायदा नहीं मिला. उन्होंने कहा था कि बाजार की स्थिति खराब रहने के कारण इस कर की उपयोगिता की जांच नहीं हो पाई, इसलिए सरकार इससे प्राप्त रिटर्न का आकलन नहीं कर पाई है.
एलटीसीजी को यथावत रखने के फैसले के संबंध में वित्तमंत्री ने बताया, 'बाजार ही नहीं बल्कि अनेक दूसरे लोगों की भी मांग थी. हमने कुछ समायोजन करने की कोशिश की. हमने डीडीटी का समायोजन किया, लेकिन एलटीसीजी का नहीं.' उन्होंने कहा, 'एलटीसीजी दो साल पहले लाई गई थी. इससे कुछ फायदा हम देखते हैं कि इससे पहले बाजार ने गोता लगाया और इससे हमें कोई बड़ा रिटर्न नहीं मिला.' बाजार में अधिकांश लोगों को अनुमान था कि सरकार इसे वापस ले सकती है.
जानिए क्या कहना है एक्सपर्ट्स का : हालांकि टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने से दूसरी व्यावहारिक दिक्कतें निष्क्रिय आय और कमाई क्या है भी आ सकती हैं. पूंजीगत लाभ और लाभांश पर कर शेयरधारकों के हाथ में कराधान की दूसरी लेयर है क्योंकि कॉर्पोरेट इकाई पहले ही अपने मुनाफे पर कर चुका चुकी है. सभी पूंजीगत लाभ को निष्क्रिय आय के रूप में संदर्भित करना सटीक नहीं हो सकता है. क्योंकि शुरुआत से एक कंपनी बनाने वाले उद्यमी शेयरधारक होंगे, हालांकि शेयरों को असूचीबद्ध किया जाएगा. देश में उद्यमशीलता की गति को देखते हुए, इक्विटी होल्डिंग से सभी लाभ को निष्क्रिय आय के रूप में संदर्भित करना सही नहीं है. कराधान में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल को ध्यान में रखना होगा क्योंकि लोग और पूंजी दोनों अत्यधिक गतिशील हैं.
इनकम टैक्स नियमों में बदलाव, इन 5 जरूरी बातों का रखें ध्यान
नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। एक अप्रैल से इनकम टैक्स के कुछ नए नियम लागू किए गए हैं। यहां जानिए नए नियम क्या है।
नई दिल्ली: नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई है और कुछ नए इनकम टैक्स नियम 1 अप्रैल से लागू हो गए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में केंद्रीय बजट 2021 को पेश करते हुए कुछ बदलावों की घोषणा की थी जो निष्क्रिय आय और कमाई क्या है 1 अप्रैल से लागू हो गया। क्या आप इस नए नियम को जानते हैं। नीचे विस्तार से जानिए।
आईटीआर या संशोधित आईटीआर दाखिल करने के लिए कम अवधि
इससे पहले, अगर आप 31 जुलाई की नियत तारीख तक अपना आईटीआर दर्ज करने में असफल रहे, तो आप 31 मार्च तक लेट फीस के साथ फाइल कर सकते हैं। आप अपने आईटीआर को उसी वर्ष के 31 मार्च तक संशोधित कर सकते हैं। हालांकि, 2021-2022 के फाइनेंस बिल में इस समय सीमा को तीन महीने तक कम करने का प्रस्ताव है और इसलिए आपके पास अपने वित्त वर्ष की आईटीआर दाखिल करने या उसी वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक अपने आईटीआर को संशोधित करने का समय होगा। यह आपके लिए उपलब्ध आईटीआर या संशोधित आईटीआर फाइल करने के लिए उपलब्ध समय को प्रभावी रूप से तीन महीने कम कर देता है।
आईटीआर में लाभांश आय का समावेश
31 मार्च 2020 तक, भारतीय कंपनियों के साथ-साथ म्यूचुअल फंड योजनाओं से प्राप्त लाभांश आपके हाथों में टैक्स फ्री था क्योंकि कंपनी या म्यूचुअल फंड द्वारा वितरित लाभांश या आय पर टैक्स का भुगतान किया गया था। हालांकि, बजट 2020 ने लाभांश आय पर छूट को हटा दिया था और इसे आपके हाथों में टैक्स योग्य बना दिया था। अगर आपके द्वारा भुगतान किए गए लाभांश की राशि 5,000 रुपए से अधिक है, तो कंपनी या फंड हाउस ने लाभांश को आपके खाते में जमा करने के लिए टैक्स में कटौती करेगी। अगर कोई टीडीएस आपके फॉर्म नंबर 26AS में दिख रहा है, तो आपको अपनी टैक्स योग्य लाभांश आय के उचित और सही प्रकटीकरण के लिए अपने खाते में जमा किए गए लाभांश की राशि में कटौती की गई राशि को जोड़कर अपनी लाभांश आय को ग्रॉस करना होगा।
दो टैक्स व्यवस्थाओं का विकल्प
बजट 2020-21 ने एक नई टैक्स व्यवस्था पेश की गई, जिसे कोई व्यक्तिगत करदाता चुन सकता है, कम टैक्स दरों के साथ जो कि निष्क्रिय आय और कमाई क्या है बहुत कम कटौती उपलब्ध है और नियमित टैक्स व्यवस्था के बजाय कम छूट भत्ते उपलब्ध हैं। जहां आपको उच्च दरों पर टैक्स का भुगतान करना होगा लेकिन विभिन्न छूट और कटौती का दावा करने का अधिकार है। यह पहला वर्ष है जब आपको पुराने टैक्स व्यवस्था में बने रहने या नई टैक्स व्यवस्था में माइग्रेट करने के विकल्प का प्रयोग करना होगा।
ईपीएफ कराधान नियम
एक अप्रैल, 2021 से ईपीएफ में कर्मचारी की हिस्सेदारी का योगदान एक साल में 2.5 लाख से अधिक होने पर ब्याज टैक्स योग्य होगा। यह विशेष रूप से एचएनआई के लिए अतिरिक्त टैक्स देयता को बढ़ावा देगा, जो अधिक योगदान करते हैं, और स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) योगदान को भी हतोत्साहित करेंगे। अगर टैक्सपेयर का नियोक्ता कर्मचारी के भविष्य निधि में योगदान नहीं करता है, तो टैक्स फ्री सीमा 5 लाख रुपए होगी।
यूलिप निवेश
बजट में यूलिप को टैक्स छूट वापस लेने का फैसला किया गया, अगर उनका वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से अधिक है। इससे पहले, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) एक EEE (छूट, छूट, छूट) कैटेगरी टैक्स बचत साधन है। इसका मतलब यह है कि यह निवेश के सभी तीन चरणों में इनकम टैक्स के तहत छूट दी गई थी (यानी, निवेश के समय इनकम टैक्स कटौती, निष्क्रिय आय और प्लान के तहत राशि की प्राप्ति के समय इनकम टैक्स छूट)।
अब, अगर ULIP का कुल वार्षिक प्रीमियम मूल्य 2.5 लाख से अधिक है, तो मैच्योरिटी पर धारा 10 (10 डी) के तहत टैक्स छूट उपलब्ध नहीं होगी। इसलिए, धारा 10 (10 डी) के तहत राहत यूलिप योजना के लिए वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपए से अधिक होने पर भी उपलब्ध नहीं होगी, भले ही बीमा राशि पॉलिसी की वार्षिक प्रीमियम के 10 गुना से अधिक हो।
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PPF में निवेश से मिलती आयकर में तीन बड़ी छूट, जानें क्या है इसके बड़े फायदे
पीपीएफ में निवेश की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का जोखिम नहीं है. भारत सरकार आपके निवेश को सुरक्षित रखने की गारंटी देती है. इस स्कीम के तहत आयकर में आपको छूट मिलती है. इसमें तीन तरह के टैक्स में फायदे है.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) निवेश कितना जरूरी है ? कितना फायदा है ? कितने का निवेश करना चाहिए ? आयकर में किस तरह की छूट मिलती है. इससे जुड़े कई सवालों के जवाब आज एक्सपर्ट के तौर पर सीए. रंजीत बजाज दे रहे हैं.
पीपीएफ में निवेश के क्या फायदे हैं ? कितना निवेश करना जरूरी है ?
पीपीएफ में निवेश की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का जोखिम नहीं है. भारत सरकार आपके निवेश को सुरक्षित रखने की गारंटी देती है. इस स्कीम के तहत आयकर में आपको छूट मिलती है. इसमें तीन तरह के टैक्स में फायदे है.
एक तो निवेश के वक्त आपको लाभ मिलता है. जब आपको ब्याज मिलता है तब छूट मिलती है. निवेश का वक्त पूरा हो गया जब आपको पैसा मिलने लगता है तब भी छूट मिलती है.
पीपीएफ में निवेश की पूरी प्रक्रिया क्या है, कैसे अकाउंट खोला जा सकता है. ?
आप इस योजना का लाभ पोस्ट ऑफिस, बैंक , ऑनलाइन या ऑफलाइन ले सकते हैं. आपको फार्म ए भरना होगा. इसमें अकाउंट खोलने में बहुत कम वक्त लगता है एक मिनट के अंदर अकाउंट खुल जाता है आपको सारे कागजात जमा करने होंगे.
क्या कई व्यक्ति एक से ज्यादा पीपीएफ अकाउंट खोल सकता है ?
नहीं, कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा नहीं खोल सकता है. हां अपने बच्चों के नाम से अकाउंट खोल सकते हैं. मेरी राय है कि सभी को पीपीएफ अकाउंट खोलना चाहिए क्योंकि एक तो ब्याज दर अच्छा मिल रहा है दूसरा 15 सालों तक का लौकिंग पीरियड है जिसमें आप भविष्य की योजनाओं के तहत पैसा जमा कर सकते हैं. आप बैंक में चाहें तो बैंक या जहां चाहें वहां अकाउंट खोल सकते हैं. इस योजना के लिए कई विकल्प हैं.
अगर एक बैंक से दूसरे बैंक में पीपीएफ अकाउंट ट्रांसफर करना चाहिए तो क्या प्रक्रिया है ?
अगर आप पीपीएफ अकाउंट दूसरे बैंक में ट्रांसफर करना चाहते हैं तो आपको फार्म 5 डी भरना होगा. इस फार्म में पूरी जानकारी देने के बाद 30 दिनों के अंदर आपका उकाउंट ट्रांसफर हो जायेगा.
पीपीएफ में निवेश की तुलना किसी दूसरे स्कीम से करें तो कितना फर्क दिखता है ?
अक्सर लोग निवेश को मिलने वाले रिटर्न से समझते हैं. यह सही भी है कि आप पैसा लगा रहे हैं तो आपके पास रिटर्न कितना आ रहा है यह देखना जरूरी है. इस निवेश में आपको भारत सरकार की गारंटी है, आयकर में छूट है तीन तरह के फायदे हैं. सरकार इसमें कई तरह की रियायत दे रही है. इस संपत्ति को कोर्ट के आदेश से भी हासिल नहीं किया जा सकता है. यह बड़ी बात है. आयकर विभाग को इससे अलग रखा गया है.
पीपीएफ में निवेश की सही उम्र क्या है ? कितना निवेश करें कि बेहतर रिटर्न मिले ?
इसमें निवेश की कोई उम्र सीमा तय नहीं है. आप पांच सौ रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं और बेहतर रिटर्न के लिए आपको ज्यााद निवेश करना होगा.
क्या पीपीएफ से जरूरत पड़ने पर पैसे निकाल सकते हैं ?
अगर जरूरत पड़ी तो आप लोन ले सकते हैं. सात साल के बाद अगर कोई अंश लेना चाहते हैं तो इससे ले सकते हैं. पांच साल से पहले आप निकाल नहीं पायेंगे. लोन का रेट ऑफ इंट्रेस्ट भी काफी कम होगा.
किसी वजह से पीपीएफ अकाउंट बंद हो गया है, तो उसे कैसे दोबारा शुरू किया जा सकता है ?
इसमें अकाउंट बंद नहीं होता डीएक्टिवेट हो जाता है. अगर आप सालाना पैसा जमा नहीं कर पाये तो यह इनएक्टिव हो जाता है. 50 रुपये हर साल का जुर्माना है यह भरकर इसे आप दोबारा शुरू कर सकते हैं.
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किसानों की आय कैसे होगी दोगुनी, मोदी सरकार ने बनाया 10 सूत्री प्लान
बजट के फौरन बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में सोमवार को बुलाई गई राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक दिल्ली में की गई. इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की आय बढ़ाने के अभियान में राज्यों का सक्रिय सहयोग मांगते हुए 10 सूत्रीय रुप रेखा बनाई.
कुबूल अहमद
- नई दिल्ली,
- 09 जुलाई 2019,
- (अपडेटेड 09 जुलाई 2019, 3:14 PM IST)
किसानों से जुड़े मोदी सरकार के एजेंडे को जमीन पर उतारने के लिए कृषि मंत्रालय जुट गया है. देश के किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की रणनीति के तहत सभी संभव उपायों की तलाश के लिए कृषि मंत्रालय ने कवायद शुरू कर दी है. कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ के भारी भरकम निवेश से तस्वीर बदलने की लकीर खींची गई है और साथ ही इस दिशा में राज्यवार रणनीति बनाने पर भी काम शुरू हो गया है.
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट के फौरन बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में सोमवार को बुलाई गई राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक दिल्ली में की गई. इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की आय बढ़ाने के अभियान में राज्यों का सक्रिय सहयोग मांगते हुए 10 सूत्रीय रुप रेखा बनाई.
1. पीएम किसान सम्मान निधि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की दशा सुधारने के लिए 'पीएम किसान सम्मान निधि' योजना का आरंभ चुनाव से पहले ही कर दिया था. इसके तहत किसानों को खेती के लिए सालाना 6 हजार रुपए को तीन किस्तों में दिया जा रहा है. किसानों को पहली किस्त मिल चुकी है. देश के सभी 14.5 करोड़ किसान परिवारों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक सरकार महज साढ़े तीन करोड़ किसानों तक ही इसका लाभ पहुंचा सकी है. ऐसे में बाकी बचे किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
2. जैविक खेती और जीरो बजट प्राकृतिक खेती
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में जीरो फार्मिंग के जरिए पारंपरिक और मूलभूत तरीके पर लौटने पर जोर दिया गया. इसीलिए सम्मेलन में सबसे ज्यादा फोकस इसी पर रहा. जीरो बजट फार्मिंग में किसान जो भी फसल उगाएं उसमें फर्टिलाइजर, कीटनाशकों के बजाय किसान प्राकृतिक खेती करें. इसमें रासायनिक खाद के स्थान पर गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़ और मिटटी से बने खाद का इस्तेमाल किया जाए. किसानों को जीरो बजट फार्मिंग की तरफ ले जाने के लिए कई तरह की सहायता देने की बात कही गई है.
3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते भारत में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से उनकी फसल खराब हो जाती है. उन्हें ऐसे संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है. ऐसे में देश के सभी किसानों तक इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि इस योजना का जिस तरह से लाभ किसानों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है.
मोदी सरकार कृषि मंडी सुधार के जरिए किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करना चाहती है. राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मलेन में केंद्रीय मंत्री ने मंडी सुधार के लिए राज्य सरकारों से सहयोग की मांग की, क्योंकि इस काम को राज्य रकार ही अंजाम दे सकती है. मोदी सरकार 2.0 ने अपने बजट में 10 हजार नए कृषि उत्पादक संगठन बनाने की बात कही है.
5. किसान क्रेडिट कार्ड अभियान
मोदी सरकार किसान क्रेडिट कार्ड से देश भर के किसानों को जोड़ने की दिशा में जोर दिया है. सरकार खेती के साथ डेयरी क्षेत्र और मात्स्यिकी पर जोर देते हुए उसे किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में शामिल कर रही है ताकि किसानों को साहूकारों के आगे हाथ पसारने को विवश न होना पड़े. सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 4 फीसदी ब्याज पर तीन लाख तक का लोन देती है.
6. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत सुस्थिर आधार पर गेहूं, चावल और दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाना ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके. दो करोड़ किसानों को डिजिटल साक्षरता, दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता के साथ क्लस्टरों की स्थापना की पहल भी की गई है.
7. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों से आए कृषि मंत्रियों से कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर रुचि दिखाएं और राज्य सरकारें इस दिशा में कदम बढ़ाएं. इस दौरान कृषि मंत्री ने कॉन्ट्रैक्ट खेती के मामलों को भी प्रोत्साहन देने की बात कही, लेकिन राज्यों के कृषि मंत्री अपनी ओर से इस दिशा में हाथ डालने से कतरा रहे हैं. दरअसल, कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी कॉरपोरेट या मल्टीनेशनल कंपनी के लिए. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता.
8. कृषि आयात-निर्यात नीतियां
केंद्र सरकार ने कृषि पर आयात और निर्यात में नीतियां बनाने की बात कही है. सरकार ने इसके जरिए किसानों की फसलों को निर्यात कर उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की बात कही है, लेकिन सवाल है कि किसान आज भी अपनी फसल को सरकारी ब्रिकी केंद्र पर बेचने के बजाय आढ़तियों के हाथ बेचता है.
9. अन्नदाता बने ऊर्जादाता
मोदी सरकार ने बजट में घोषणा की है कि देश के अन्नदाता को ऊजार्दाता बनाने के लिए योजनाएं शुरू की जाएंगी. इस बात को राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में भी जोर दिया गया है कि राज्य सरकारें इस दिशा में प्लान बनाएं कि किसानों को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए और कृषि संसाधनों के जरिए वे ऊर्जादाता बनें. इसमें सोलर पंप से जहां वो अपनी खेती करने के साथ-साथ जो बिजली उत्पादन करेंगे, उसका उन्हें लाभ मिलेगा. कृषि से संबधित ग्रामीण उद्योग में 75 हजार नये उद्यमी तैयार करने की योजना है.
10. कृषि अवसंरचना में निवेश
किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ मोदी सरकार कृषि एवं संबद्ध कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचा के विकास में काफी बड़ा निवेश करेगी एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर निजी उद्यमियों को बढ़ावा देगी. केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में कहा था कि 'कारोबार सुगमता' एवं 'जीवन सुगमता' किसानों पर भी लागू होना चाहिए. इसके लिए हम कृषि अवसंरचना में काफी अधिक निवेश करेंगे.
निष्क्रिय बैंक खाते में पड़ी रकम भी निकाल सकते हैं आप, क्या है तरीका और किन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत?
अनक्लेम्ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और, रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है.
बैंकों में हर साल दावारहित राशि (Unclaimed Deposits) में बढ़ोतरी हो रही है. वित्त वर्ष 2021 में यह राशि 39,264 करोड़ रु . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 19, 2022, 15:14 IST
हाइलाइट्स
वित्त वर्ष 2021 में बैंकों के पास दावारहित राशि 39,264 करोड़ रुपये थी.
अनक्लेम्ड राशि को प्राप्त करने के लिए कुछ कागजी कार्रवाई करनी होती है.
नॉमिनी का नाम दर्ज न होने पर अनक्लेम्ड राशि लेने में ज्यादा दिक्कत आती है.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, यदि कोई उपभोक्ता अपने खाते से 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं करता है, तो उस खाते में जमा रकम अनक्लेम्ड (Unclaimed) हो जाती है. जिस खाते से लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वह निष्क्रिय हो जाता है. अनक्लेम्ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट और, रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है. अनक्लेम्ड राशि को रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में डाल दिया जाता है.
बैंकों में हर साल दावारहित राशि में बढ़ोतरी हो रही है. वित्त वर्ष 2021 में यह राशि 39,264 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष निष्क्रिय आय और कमाई क्या है 2019 के अंत तक बैंकों में यह आंकड़ा 18,380 करोड़ रुपये था. सेविंग और करंट अकाउंट में अगर दो वर्ष तक ही लेनदेन न किया जाए तो यह अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है. इसी तरह एफडी और आरडी खाता में अगर मेच्योरिटी के दो साल बाद लेनदेन न किया जाए तो वह अनक्लेम्ड हो जाता है. जो अकाउंट आठ साल से निष्क्रिय होता है, उस अकाउंट में पड़ी राशि को डीईएएफ में भेज दिया जाता है.
क्यों बढ़ रही है अनक्लेम्ड राशि?
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन्हेरिटेंस नीड्स सर्विसेज के फाउंडर रजत दत्ता का कहना है कि अनक्लेम्ड राशि इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि बहुत से खाते लंबे समय से निष्क्रिय पड़े हैं. हर साल ऐसे खातों में से पैसा डीईएएफ में जाता है. किसी बैंक अकाउंट के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अकाउंट होल्डर की मौत होना, परिवार वालों को मृतक के अकाउंट के बारे में जानकारी न होना, गलत पता या फिर खाते में नॉमिनी दर्ज न होना.
कैसे करें क्लेम?
अगर किसी निष्क्रिय बैंक अकाउंट के डॉक्यूमेंट में किसी नॉमिनी का नाम दर्ज है तो नॉमिनी आसानी से अनक्लेम्ड राशि पर दावा कर सकता है. नॉमिनी को खाताधारक का मृत्यु प्रमाण-पत्र देना होगा. साथ ही उसे अपने केवाईसी डॉक्यूमेंट भी देने होंगे. अगर जॉइन्ट अकाउंट है तो बैंक जिस अकाउंट होल्डर की मौत हो चुकी है, उसका नाम काट देगा और जीवित निष्क्रिय आय और कमाई क्या है निष्क्रिय आय और कमाई क्या है अकाउंट होल्डर को सारे अधिकार दे देगा.
अगर न हो नॉमिनी?
अगर किसी अकाउंट में नॉमिनी दर्ज नहीं है तो फिर अनक्लेम्ड खाते से पैसे निकलवाने के लिए जो व्यक्ति बैंक से संपर्क करेगा, उसे छोटी रकम की निकासी के लिए उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र और बड़ी रकम निकाले के लिए सक्सेशन सर्टिफिकेट बैंक में देना होगा. अगर अकाउंट होल्डर की कोई वसीयत है, तो उसकी भी जांच की जाएगी. दत्ता का कहना है कि ऐसे अनक्लेम्ड अकाउंट पर दावा करने की कोई सीमा नहीं है. आमतौर पर बैंक क्लेम दाखिल करने के 15 दिन के अंदर इसका निपटारा कर देता है.
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बैंक वेबसाइट पर मिलती है जानकारी
अगर कोई अनक्लेम्ड अकाउंट की राशि डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस अकाउंट में चली गई है तो इसे वापस पाने के लिए बैंक से ही संपर्क करना होगा. शेयर समाधान के को-फाउंडर विकास जैन का कहना है कि अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स के बारे में जानकारी आमतौर पर बैंक वेबसाइट्स पर ही मिल जाती है. अकाउंट होल्डर के पैन कार्ड, जन्मतिथि, नाम और पते से यह जानकारी ली जा सकती है कि क्या अकाउंट होल्डर के खाते में अनक्लेम्ड राशि पड़ी है.
दत्ता का कहना है कि बैंक सामान्य पूछताछ और जरूरी दस्तावेज लेकर निष्क्रिय अकाउंट में पड़ी राशि को ब्याज सहित लौटा देते हैं. दत्ता का कहना है कि अकाउंट में निष्क्रिय आय और कमाई क्या है नॉमिनी का नाम न होने पर अनक्लेम्ड डिपॉजिट को हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाता है.
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