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CG की वादियों में ‘द जुरासिक पार्क’:युवाओं ने खोज निकाला, यहां रहते थे शाकाहारी डायनासोर; 90 फीट ऊपर से गिरता है पानी…!!

छत्तीसगढ़ के बस्तर में बैलाडीला की पहाड़ी में 90 फीट ऊंचे जलप्रपात की स्थानीय युवाओं ने खोज की है। हरी घाटी में स्थित इस जलप्रपात के चारों तरफ ट्री फर्न के सैकड़ों पेड़-पौधे भी मिले हैं। अफसरों का दावा है कि यह जुरासिक काल के हैं। बताया जा रहा है कि बैलाडीला की इस घनघोर वादियों में हजारों साल पहले शाकाहारी डायनासोर की प्राजाति रहती थी। उनका मुख्य आहार ट्री फर्न था। ट्री फर्न की पत्तियों को खाकर वे इस जल प्रपात के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे। अब स्थानीय लोगों ने भी इस जगह को ‘द जुरासिक पार्क’ नाम दे दिया है।

दरअसल, दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल शहर से महज 10 से 12 किमी की दूर बैलाडीला की पहाड़ी में एक जल प्रपात और ट्री फर्न का बगीचा स्थित है। जो आज तक लोगों की नजरों से ओझल था। जिस जगह यह स्थित है उस इलाके को स्थानीय लोग हरी घाटी के नाम से जानते हैं। ये इसलिए क्योंकि, यह इलाका हमेशा घने पेड़-पौधों से हरा-भरा रहता है। हालांकि, यहां तक पहुंचना भी किसी के लिए आसान नहीं है। क्योंकि, आज इस डायनासोर घाटी राज्य पार्क इन पहाड़ों में माओवादियों का डेरा है। इसके अलावा NMDC लीज के दायरे में यह आता है। फिर भी घने जंगल पहाड़ी रास्तों का पैदल सफर तय कर स्थानीय युवा यहां पहुंचे। जिसके बाद पहली बार इस जलप्रपात और ट्री फर्न के बगीचा की तस्वीर सामने आई है।

प्रकृति की गोद में स्थित हरी घाटी का यह जल प्रपात में करीब 90 फीट की ऊंचाई से पानी नीचे गिरता है। पानी सफेद मोतियों की तरह नजर आता है। बारिश के दिनों में यहां 3 से ज्यादा धाराएं नीचे गिरती हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि बैलाडीला के पहाड़ी पानी से यह जल प्रपात बनता है। प्रपात से पानी नीचे गिरने के बाद नीचे एक कुंड में जमा होता है। फिर वहां से एक धार में बहकर पास के ही एक बरसाती नाले में जाकर इसका पानी मिल जाता है। इस जल प्रपात तक पहुंचने से पहले ट्री फर्न के पेड़ों के बीच से एक पतली पगडंडी से गुजरना पड़ता है।

बैलाडीला में दूसरी बार ट्री फर्न की हुई पुष्टि

बैलाडीला की पहाड़ी में कई दुर्लभ प्राजाति की वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं। इनमें से एक ट्री फर्न भी है। कुछ साल पहले बैलाडीला की पहाड़ी पर आकाश नगर के पास ट्री फर्न के कुछ छोटे-छोटे पेड़ पौधे मिले थे। जिसे राष्ट्रीय औषधि और पादप मंडल ने संरक्षित कर रखा है। ट्री फर्न के मिलने के बाद ही डायनासोर घाटी राज्य पार्क इस बात की पुष्टि हुई थी कि बैलाडीला की पहाड़ी छ्त्तीसगढ़ का एक मात्र ऐसा इलाका था जहां हजारों साल पहले शाकाहारी डायनासोर की प्राजाति रहती थी। वन विभाग के SDO अशोक सोनवानी ने बताया कि, ट्री फर्न के पौधे को पेड़ का रूप लेने में करीब 2 से ढाई हजार साल का समय लगता है।

तस्वीरें आने के बाद बोले- करेंगे संरक्षण

अशोक सोनवानी ने कहा कि, पूरे विश्व में अफ्रीका और अमेरिका के बाद बैलाडीला की पहाड़ी में जुरासिक काल का ट्री फर्न डायनासोर घाटी राज्य पार्क का पौधा है। ट्री फर्न के पेड़-पौधे मिलने के बाद जो रिपोर्ट्स सामने आई थी उसके मुताबिक यह अनुमान लगाया गया था कि, जुरासिक काल में यहां भी शाकाहारी डायनासोर की प्रजाति थी। जिन जगहों पर बहुतायत से ट्री फर्न होते थे वहां डायनासोर की संख्या भी अधिक होती थी। ट्री फर्न के मिलने से डायनासोर के वहां पाए जाने का प्रमाण मिलता है। अब जिन-जिन जगहों पर ट्री फर्न मिले डायनासोर घाटी राज्य पार्क हैं उन जगहों का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, इसके लिए ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है।

भारत में डायनासोर ट्रेल की खोज करें

डायनासोर हमारे बचपन के दिनों से ही एक प्रमुख आकर्षण के लिए खाते हैं। हम सभी को जुरासिक पार्क देखना और उनके चारों ओर एक जीवन की कल्पना डायनासोर घाटी राज्य पार्क करना पसंद था। जब भी हमने उनके बारे में एक कहानी सुनाई, उनके बारे में पढ़ा या उनकी तस्वीरें देखीं तो हमारे जबड़े एकजुट हो गए। वे सच होने के लिए बहुत बड़े थे, लेकिन वे वहां थे और यहां भारत में रहते थे।

गुजरात राज्य ने डायनासोर के जीवन के बारे में जानने में कुछ आश्चर्यजनक योगदान दिया है। उन्होंने पूरे राज्य को बिट्स और टुकड़ों में शामिल किया, जिससे अंडों, जीवाश्मों, पैरों आदि के माध्यम से अपने जीवन के निशान निकल गए। नीचे उल्लिखित में, आप पाएंगे कि भारत आपको अतीत के साथ चलने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यहां बताया गया है कि आप गुजरात को एक उत्साही डायनासोर प्रेमी के रूप में कैसे खोज सकते हैं।

    25 विभिन्न प्रकार के डायनासोर भारत में रहते थे।

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कच्छ में सबसे पुराना डायनासोर अवशेष भी मिला था

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अंडों में 14-18 सेमी की परिधि होती है और बाहरी परत 2-2.4 मिलीमीटर मोटी होती है।

अगर डायनासोर घाटी राज्य पार्क केवल मुझे पता था कि भारत का इतिहास डायनासोर के साथ इतनी बारीकी से बुना हुआ है, तो मैं किसी भी विदेशी व्यक्ति की तुलना में उन्हें अपनी भूमि में कल्पना करूँगा! यह जानने के लिए एक बड़ी बात है कि पूरे अध्ययन में भारत इतना बड़ा योगदानकर्ता है।

प्लस साइड पर, यह पूरी दुनिया में एकमात्र जगह है जो आपको जीवाश्मों को छूने की अनुमति देती है।

लेखक के बारे में:

शेवाली खाना बनाना पसंद करती है। वह ज्यादातर यात्रा कर रही है; अगर blabbering या gorging नहीं है। बस आज के लिए इतना ही!

Valley of Flowers NATIONAL PARK Uttarakhand

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जबलपुर शहर मध्यप्रदेश राज्य का एक जिला है जबलपुर में बहुत सारे दर्शनीय और अपनी और आकर्षित करने वाले पर्यटक स्थल है जो लोगो के आकर्षण का केंद्र है.

आर्यन सिंह

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आर्यन सिंह और में एक ट्रेवल ब्लॉगर, लेखक हूँ, में इस ब्लॉग के माध्यम से आपको वहुत ही सुंदर जगह की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी देता रहूँगा।

aryango.com का उद्धेश्य हैं की आप सभी को नयी-नयी जगह की रोचक जानकारी का आपकों सुन्दर तरीके से बताना हैं।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने मध्य प्रदेश के किस जिले के लम्हेटा गांव में भारत के पहले भूवैज्ञानिक पार्क की स्थापना को मंजूरी दे दी है?

Key Points

  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में नर्मदा नदी के तट पर लम्हेटा गांव में भारत के पहले भूवैज्ञानिक पार्क की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
  • GSI ने भूवैज्ञानिक चट्टान संरचनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए ₹1.30 करोड़ मंजूर किए हैं।
  • एक जियोपार्क एक एकीकृत क्षेत्र है जो एक स्थायी तरीके से भूवैज्ञानिक विरासत के संरक्षण और उपयोग को आगे बढ़ाता डायनासोर घाटी राज्य पार्क है।

Important Points

  • इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹ 35 करोड़ है और यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत करने का प्रावधान है, क्योंकि आगामी डायनासोर घाटी राज्य पार्क भू-पार्क के आसपास के क्षेत्र को विकसित किया जाएगा।
  • यह स्थल प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए UNESCO की भू-विरासत की अस्थायी सूची में पहले से मौजूद है।
  • डायनासोर घाटी राज्य पार्क
  • जबलपुर जिले में भी भेड़ाघाट में एक विज्ञान केंद्र बनेगा, जो सफेद संगमरमर की चट्टानों के निर्माण के लिए जाना जाता है और केंद्र और राज्य द्वारा साझा किए जाने वाले ₹ 15.20 करोड़ की लागत से एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
  • यह परियोजना सात एकड़ भूमि पर फैली होगी जिसे जबलपुर जिला प्रशासन द्वारा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को पहले ही हस्तांतरित किया जा चुका है।

डायनासोर घाटी राज्य पार्क Additional Information

  • विशेष रूप से जबलपुर के भेड़ाघाट-लमेटा घाट क्षेत्र में नर्मदा डायनासोर घाटी राज्य पार्क घाटी में कई डायनासोर के जीवाश्म पाए गए थे।
  • 1828 में, भारतीय सिविल सेवा (ICS) अधिकारी विलियम स्लीमैन द्वारा लमेटा बेड से पहला डायनासोर जीवाश्म पाया गया था।

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Last updated on Nov 28, 2022

MPPSC State Service Mains 2019 Registration Process has been postponed till further order by MPPSC. Earlier, the MPPSC State Service 2019 mains exam notice was released on 5th December 2022. As per the notice, the Admit card for the main exam will be available from 1st February 2023. The main exam will be conducted from 6th February 2023 till 11th February 2023. Earlier, The Madhya Pradesh Public Service Commission (MPPSC) released the MPPSC State Service Exam Calendar for the year 2023-24. The MPPSC State Service exam to recruit eligible candidates for the posts of State Civil Services, State Police Services, Naib Tehsildar, etc. A total number of 283 vacancies were released. The selection process of the MPPSC State Service exam consists of 3 stages i.e. prelims, mains, and interview. The collective marks of the mains and interviews will be taken into consideration to prepare the final merit list.

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