Pakistan: पाकिस्तानी सेना की बढ़ी ताकत सिविल सेवा नियुक्तियों पर सरकार ने दिया अधिकार, विपक्ष ने शहबाज सरकार पर साधा निशाना

पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने पहले तीन दशकों तक देश पर शासन किया है जिसके कारण पाकिस्तान के सैन्य मामलों की लेखिका और विशेषज्ञ आयशा सिद्दीका ने कहा कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार के इस कदम ने राजनीतिक के दीर्घकालिक अशक्तीकरण के बीज बोए हैं।

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), जिसे पाकिस्तान की राजनीति में अहम माना जाता है, को अब शहबाज शरीफ सरकार द्वारा नौकरशाहों की नियुक्तियों की जांच करने की शक्ति प्रदान की गई है। जिसे विपक्षी दलों द्वारा "संविधान पर हमला" करार दिया जा रहा है।

एशियन लाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में राजनीतिक सेट-अप सदियों से सैन्य-संचालित रहा है और पाकिस्तान में यह भी माना जाता है कि राजनेताओं को सत्ता में आने के लिए सेना के समर्थन की आवश्यकता होती है, हालांकि, नवीनतम सुधार के बाद, अब कई लोगों को डर है कि नौकरशाहों को भी उनकी नियुक्ति और पोस्टिंग के लिए उसी समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।

टीटीपी आतंकी समूह ने 28 नवंबर को इस्लामाबाद के साथ शांति वार्ता पूरी तरह से खत्म कर दिया।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा हाल ही में जारी किए गए सुधार ने शहबाज शरीफ द्वारा इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) जासूसी एजेंसी को सिविल सेवा नियुक्तियों पर अधिकार देने के बाद सेना द्वारा देश के सार्वजनिक जीवन पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के बारे में आशंका जताई है।

एशियन लाइट ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सीनेटर मुस्तफा नवाज खोखर के हवाले से कहा, "अगर हम पाकिस्तान के अधिग्रहण के इतिहास और हमारी राजनीति पर सेना के प्रभाव को ध्यान में रखते हैं।

इमरान खान पर हमला एक सुनियोजित साजिश।

तो यह निर्णय नागरिक नौकरशाही को कमजोर करेगा और उनकी स्वतंत्रता से समझौता करेगा। "एक अन्य बयान में सीनेट के पूर्व अध्यक्ष रजा रब्बानी ने शरीफ के फैसले को संविधान पर हमला बताया।

पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने पहले तीन दशकों तक देश पर शासन किया है, जिसके कारण पाकिस्तान के सैन्य मामलों की लेखिका और विशेषज्ञ आयशा सिद्दीका ने कहा कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार के इस कदम ने राजनीतिक के दीर्घकालिक अशक्तीकरण के बीज बोए हैं।

पाकिस्तानी नागरिकों के साथ-साथ विदेशी नागरिकों को भी अपने साथ पहचान पत्र ले जाने को कहा गया है।

एशियन लाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीति पर सेना के नियंत्रण को कमजोर करने के लिए अपनी स्थिति और संसद की स्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता है।

पाकिस्तान की सेना व्यापार का सबसे बड़ा समूह

पूर्व प्रधान मंत्री, इमरान खान को अपदस्थ करने से पहले, अप्रैल में एक अविश्वास मत में, विपक्षी दलों ने राजनीति में दखल देने के लिए सेना की आलोचना की थी।

यूएनडीपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सेना देश की सबसे बड़ी शहरी रियल एस्टेट डेवलपर और प्रबंधक होने के साथ-साथ सार्वजनिक परियोजनाओं के निर्माण में व्यापक भागीदारी के साथ पाकिस्तान में "व्यापार के सबसे बड़े समूह" संस्थाओं में से एक है।

बलूचिस्तान आतंकी घटनाओं में 6 सुरक्षाकर्मी मारे गए

पाकिस्तान में सेना को अब आधिकारिक तौर पर सरकार में प्रमुख नागरिक नियुक्तियों और नियुक्तियों की देखरेख का काम सौंपा गया है। सेना की शक्तिशाली खुफिया शाखा इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को आधिकारिक तौर पर स्पेशल वेटिंग एजेंसी (SVA) का नाम दिया गया है।

जो पहले इस कार्य को करने वाले नागरिक इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को भी मात दे देगी। बता दें कि यह सेना प्रमुख सहित सभी नियुक्तियों में कार्यपालिका की शक्तियों को कम करने का काम करता है।

देश में पॉजीटीविटी रेट 0.4 प्रतिशत था और 16 गंभीर मरीज दर्ज किए गए हैं।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कार्रवाई रही अटकलों का विषय

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार की कार्रवाई अटकलों का विषय रही है क्योंकि कार्यपालिका की कटौती और वास्तव में, विधायिका की भूमिका के बारे में आशंकाएं पहले ही व्यक्त की जा चुकी है। आशंका है कि अधिक से अधिक सैन्य कर्मियों, सेवारत और सेवानिवृत्त, जिनकी पहले से जांच की जा रही है, को नागरिक सेवाओं के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है।

पाकिस्तानी व्यापारी का दावा: 'भारत के साथ पिछले दरवाजे से बातचीत जारी, मोदी अगले महीने ही कर सकते हैं दौरा'

चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के मशहूर निशात ग्रुप के चेयरमैन मियां मोहम्मद मंशा ने यह बातें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में जुटे व्यापारियों के सामने कहीं।

पाकिस्तान के जाने-माने बिजनेसमैन मियां मंशा ने कहा कि पीएम मोदी एक महीने में ही भारत का दौरा कर सकते हैं।

पाकिस्तान के जाने-माने बिजनेसमैन मियां मंशा ने कहा कि पीएम मोदी एक पाकिस्तानी व्यापारियों के लिए सेवाएं महीने में ही भारत का दौरा कर सकते हैं। - फोटो : Social Media

पाकिस्तान के एक जाने-माने व्यापारी मियां मोहम्मद मंशा ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परदे के पीछे बातचीत जारी है और जल्द ही इससे कुछ बेहतर नतीजे मिलने की संभावना है। मंशा ने उम्मीद जताई है कि अगर दोनों पड़ोसी देशों के बीच स्थितियां सुधरीं, तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने ही पाकिस्तान जा सकते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के मशहूर निशात ग्रुप के चेयरमैन मियां मोहम्मद मंशा ने यह बातें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में जुटे व्यापारियों के सामने कहीं। उन्होंने सलाह दी कि दोनों ही देशों को अपने विवाद सुलझाकर व्यापार शुरू करना चाहिए, ताकि क्षेत्र में फैली गरीबी से निपटा जा सके।

उन्होंने पाकिस्तान के लिए आगे कठिन समय का जिक्र करते हुए कहा कि अगर हमारी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो देश को खतरनाक नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। पाकिस्तान को भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने चाहिए और आर्थिक विकास के लिए क्षेत्रीय नजरिया अपनाना चाहिए। यूरोप ने दो युद्ध लड़े हैं, लेकिन अंततः उसने क्षेत्रीय विकास के मुद्दे पर शांति स्थापित कर ली। कहीं भी स्थायी दुश्मनी नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि भारत ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तानी सरकार ने दुश्मन जैसा रवैया अपनाते हुए भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म करने शुरू कर दिए। पिछली गर्मियों में दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत शुरू होने की बात सामने आई थी, लेकिन ये बातचीत बाद में बंद हो गई।

विस्तार

पाकिस्तान के एक जाने-माने व्यापारी मियां मोहम्मद मंशा ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परदे के पीछे बातचीत जारी है और जल्द ही इससे कुछ बेहतर नतीजे मिलने की संभावना है। मंशा ने उम्मीद जताई है कि अगर दोनों पड़ोसी देशों के बीच स्थितियां सुधरीं, तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने ही पाकिस्तान जा सकते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के मशहूर निशात ग्रुप के चेयरमैन मियां मोहम्मद मंशा ने यह बातें लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में जुटे व्यापारियों के सामने कहीं। उन्होंने सलाह दी कि दोनों ही देशों को अपने विवाद सुलझाकर व्यापार शुरू करना चाहिए, ताकि क्षेत्र में फैली गरीबी से निपटा जा सके।

उन्होंने पाकिस्तान के लिए आगे कठिन समय का जिक्र करते हुए कहा कि अगर हमारी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो देश को खतरनाक नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। पाकिस्तान को भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने चाहिए और आर्थिक विकास के लिए क्षेत्रीय नजरिया अपनाना चाहिए। यूरोप ने दो युद्ध लड़े हैं, लेकिन अंततः उसने क्षेत्रीय विकास के मुद्दे पर शांति स्थापित कर ली। कहीं भी स्थायी दुश्मनी नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि भारत ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तानी सरकार ने दुश्मन जैसा रवैया अपनाते हुए भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म करने शुरू कर दिए। पिछली गर्मियों में दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत शुरू होने की बात सामने आई थी, लेकिन ये बातचीत बाद में बंद हो गई।

महंगाई की मार के बाद पाकिस्तान को याद आया भारत, कहा- फिर से शुरू करेंगे व्यापार, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को भारतीय आयात में 2 फीसदी की हिस्सेदारी मिल सकती है, तो यह 8 अरब डॉलर होगा, लेकिन राजनीति के लिए इस मौके की लगातार अनदेखी की जा रही है.

महंगाई की मार के बाद पाकिस्तान को याद आया भारत, कहा- फिर से शुरू करेंगे व्यापार, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

देश में बढ़ती महंगाई के बीच पाकिस्तान (Pakistan) के नेशनल बिजनेस ग्रुप के चेयरमैन ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध फिर से शुरू करने का ऐलान किया है. नेशनल बिजनेस ग्रुप (National Business Group) पाकिस्तान के अध्यक्ष और पूर्व प्रांतीय मंत्री मियां जाहिद हुसैन ने बुधवार को कहा कि भारत से कच्चे माल (Raw Material) और अन्य आदानों के प्रत्यक्ष आयात से उत्पादन की लागत कम होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. द फ्रंटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार हुसैन ने कहा कि महंगाई (Inflation) कम करके पाकिस्तानी लोगों को राहत देने का प्रभावी तरीका विवादास्पद और अव्यवहारिक पैकेज नहीं है.उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापारिक संबंध बहाल होने से पाकिस्तान में महंगाई कम करने में मदद मिलेगी.

पाकिस्तानी कारोबारी नेता के मुताबिक, रूस से दोगुनी अर्थव्यवस्था वाले पड़ोसी देश के साथ व्यापार संबंध बहाल करना राजनीति का बंधक बना हुआ है.उन्होंने कहा कि भारत के साथ कुछ व्यापार संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से हो रहा है, लेकिन इससे कीमतें बढ़ जाती हैं और उत्पादन और निर्यात अधिक महंगा हो जाता है. स्थिति को समझते हुए जाहिद हुसैन ने तर्क दिया कि भारत के साथ व्यापार खोला जाना चाहिए ताकि देश में उत्पादन की लागत और मुद्रास्फीति को कम किया जा सके.

पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग पर गहरा असर

जानकारी के मुताबिक, भारत सालाना 400 बिलियन अमरीकी डालर के सामान का आयात करता है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से पाकिस्तान के कुछ आयात शामिल हैं.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को भारतीय आयात में 2 फीसदी की हिस्सेदारी मिल सकती है, तो यह 8 अरब डॉलर होगा, लेकिन राजनीति के लिए इस मौके की लगातार अनदेखी की जा रही है. इससे पहले 2019 में, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के नई दिल्ली के फैसले के बाद, भारत के साथ सभी हवाई और भूमि संपर्क और व्यापार और रेलवे सेवाओं को निलंबित कर दिया था.

पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग इस व्यापार प्रतिबंध से प्रभावित हुआ है, वहीं भारत के सीमेंट, सेंधा नमक और छुहारे आदि ड्राई फ्रूट्स के बाजार पर इस प्रतिबंध का असर पड़ा है.पाकिस्तान पर इस व्यापार प्रतिबंध का ज्यादा असर हुआ है. वहां का कपड़ा और दवा उद्योग कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर है और प्रतिबंधों का इन पर खासा असर पड़ा है.

क्या कहती है विश्व बैंक की रिपोर्ट

भारत और पाकिस्तान के बीच कम व्यापार होने का एक कारण हाई टैरिफ, कठिन वीजा नीति और व्यापार की मुश्किल प्रक्रिया भी है. साल 2018 में आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दोनों देश व्यापार प्रक्रिया को आसान बनाते हैं, टैरिफ को कम करते हैं और वीजा नीति को आसान बनाते हैं तो दोनों का व्यापार 2 अरब डॉलर से बढ़कर 37 अरब डॉलर का हो सकता है.

भारत पर नहीं पड़ेगा पाकिस्तान के कारोबारी फैसले का असर, महज 0.31% है पाकिस्तान से कारोबार

Pakistan trade: पाकिस्तान के साथ कारोबार में 80 प्रतिशत माल भारत से पाकिस्तान जाता है, जबकि पाकिस्तान से महज 20 फीसदी माल भारत आता है. भारत और पाकिस्तान के बीच 37 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होने की क्षमता है.

आजादी के 18 सालों बाद तक दोनों देशों के बीच कारोबार काफी अधिक था. (रॉयटर्स)

आर्टिकल-370 पर भारत के फैसले से तिलमिलाए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ सभी द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों को निलंबित करने का फैसला किया है. लेकिन इस फैसले से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश के कुल विदेश व्यापार का महज 0.31 प्रतिशत ही पाकिस्तान के साथ होता है. इसके अलावा पाकिस्तान के साथ कारोबार में 80 प्रतिशत माल भारत से पाकिस्तान जाता है, जबकि पाकिस्तान से महज 20 फीसदी माल भारत आता है. वहीं, दूसरी तरफ दोनों पड़ोसी देशों के बीच व्यापार बंद होने का पाकिस्तान को भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत के साथ पाकिस्तान का व्यापार उसके कुल विदेश व्यापार का महज 3.2 फीसदी है. इससे पहले भी पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिए थे और वहां से आनेवाले माल पर 200 फीसदी सीमा शुल्क लगा दिया था.

दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ने से पहले भारत ने पाकिस्तान को कारोबार में सबसे तरजीही देश का दर्जा दे रखा था. लेकिन इस दर्जे से भी दोनों देशों के बीच व्यापार में कोई उल्लेखनीय प्रगति देखने को नहीं मिली थी. वित्त वर्ष 2017-18 में दोनों देशों के बीच व्यापार महज 2.4 अरब डॉलर रहा, जो कि भारत के कुल विदेश व्यापार का 0.31 फीसदी और पाकिस्तान के कुल विदेश व्यापार महज 3.2 फीसदी है.

समाचार पत्र 'द न्यूज' की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान द्वारा भारत को 7.83 करोड़ डॉलर मूल्य के सीमेंट, 3.49 करोड़ डॉलर मूल्य के उर्वरक, 11.28 करोड़ डॉलर मूल्य के फल, 6.04 करोड़ डॉलर मूल्य के रसायन और चमड़े व संबंधित उत्पादों का निर्यात किया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में पुलवामा के बाद भारत ने कई दंडात्मक कदम उठाए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित हुआ.

भारत से पाकिस्तान को किए जानेवाले निर्यात में कच्चा कॉटन, कॉटन यार्न, रसायन, प्लास्टिक, हस्तनिर्मित ऊन और डाइज हैं. भारत ने पाकिस्तान के गिरते रुपये को देखते हुए पहले से ही उसे रोकने के उपाय शुरू कर दिए थे. क्योंकि पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में कमी से भारतीय बाजार के लिए वह माल सस्ता हो जाता, जिसका स्थानीय कारोबार पर असर पड़ता.

दूसरी तरफ, चीन पाकिस्तान में सीपीईसी परियोजना बना रहा है. अगर यह परियोजना पूरी हो जाती है, तो वैसे भी पाकिस्तान के भौगोलिक रूप से भारत पाकिस्तानी व्यापारियों के लिए सेवाएं से जुड़े होने का जो फायदा दोनों देशों के बीच व्यापार को मिलता है, उसका बहुत अधिक महत्व नहीं रह जाएगा. इसके बाद पाकिस्तान भारत के बजाए चीन के साथ व्यापार करना अधिक पसंद करेगा. चीनी सामान और सेवाएं दुनिया में सबसे सस्ती हैं, ऐसे में पाकिस्तान के लिए भारत के बजाए चीन से व्यापार करना ज्यादा फायदेमंद होगा. हालांकि इस परियोजना का पूरा होना आसान नहीं है, क्योंकि भारत इसका पुरजोर विरोध करता है.

trade

हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच 37 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार होने की क्षमता है. विश्व बैंक द्वारा हाल में ही किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है. लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध खराब होने के कारण इस क्षमता का 10 फीसदी भी उपयोग नहीं हो पाया है. भारत खासतौर से वस्त्र और कृषि क्षेत्र में पाकिस्तानी वस्तुओं पर शुल्क को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं का निराकरण नहीं करता है, जिसके जवाब में पाकिस्तान भी भारतीय वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाता है.

भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार के इतिहास को देखें तो आजादी के 18 सालों बाद तक दोनों देशों के बीच कारोबार काफी अधिक था. क्योंकि दोनों ही देश एक-दूसरे पर सीमा शुल्क नहीं लगाते थे. लेकिन 1965 के युद्ध के बाद स्थितियां बदल गईं और भारत ने पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारतीय वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगा दिया.

1948-49 की अवधि में भारत के कुल निर्यात का 23.60 फीसदी पाकिस्तान को जाता था, जबकि पाकिस्तान का 50.60 फीसदी निर्यात भारत को किया जाता था. 1965 की लड़ाई के बाद दोनों देशों के पाकिस्तानी व्यापारियों के लिए सेवाएं बीच कारोबारी संबंध दोबारा जुड़ने में करीब एक दशक का वक्त लगा. वित्त वर्ष 1975-76 में भारत के कुल निर्यात का 1.3 फीसदी पाकिस्तान को किया गया, जबकि पाकिस्तान के कुल निर्यात का करीब 0.6 फीसदी भारत को किया गया.

महंगाई की मार के बाद पाकिस्तान को याद आया भारत, कहा- फिर से शुरू करेंगे व्यापार, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को भारतीय आयात में 2 फीसदी की हिस्सेदारी मिल सकती है, तो यह 8 अरब डॉलर होगा, लेकिन राजनीति के लिए इस मौके की लगातार अनदेखी की जा रही है.

महंगाई की मार के बाद पाकिस्तान को याद आया भारत, कहा- फिर से शुरू करेंगे व्यापार, निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

देश में बढ़ती महंगाई के बीच पाकिस्तान (Pakistan) के नेशनल बिजनेस ग्रुप के चेयरमैन ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध पाकिस्तानी व्यापारियों के लिए सेवाएं फिर से शुरू करने का ऐलान किया है. नेशनल बिजनेस ग्रुप (National Business Group) पाकिस्तान के अध्यक्ष और पूर्व प्रांतीय मंत्री मियां जाहिद हुसैन ने बुधवार को कहा कि भारत से कच्चे माल (Raw Material) और अन्य आदानों के प्रत्यक्ष आयात से उत्पादन की लागत कम होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. द फ्रंटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार हुसैन ने कहा कि महंगाई (Inflation) कम करके पाकिस्तानी लोगों को राहत देने का प्रभावी तरीका विवादास्पद और अव्यवहारिक पैकेज नहीं है.उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापारिक संबंध बहाल होने से पाकिस्तान में महंगाई कम करने में मदद मिलेगी.

पाकिस्तानी कारोबारी नेता के मुताबिक, रूस से दोगुनी अर्थव्यवस्था वाले पड़ोसी देश के साथ व्यापार संबंध बहाल करना राजनीति का बंधक बना हुआ है.उन्होंने कहा कि भारत के साथ कुछ व्यापार संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से हो रहा है, लेकिन इससे कीमतें बढ़ जाती हैं और उत्पादन और निर्यात अधिक महंगा हो जाता है. स्थिति को समझते हुए जाहिद हुसैन ने तर्क दिया कि भारत के साथ व्यापार खोला जाना चाहिए ताकि देश में उत्पादन की लागत और मुद्रास्फीति को कम किया जा सके.

पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग पर गहरा असर

जानकारी के मुताबिक, भारत सालाना 400 बिलियन अमरीकी डालर के सामान का आयात करता है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से पाकिस्तान के कुछ आयात शामिल हैं.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को भारतीय आयात में 2 फीसदी की हिस्सेदारी मिल सकती है, तो यह 8 अरब डॉलर होगा, लेकिन राजनीति के लिए इस मौके की लगातार अनदेखी की जा रही है. इससे पहले 2019 में, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के नई दिल्ली के फैसले के बाद, भारत के साथ सभी हवाई और भूमि संपर्क और व्यापार और रेलवे सेवाओं को निलंबित कर दिया था.

पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग इस व्यापार प्रतिबंध से प्रभावित हुआ है, वहीं भारत के सीमेंट, सेंधा नमक और छुहारे आदि ड्राई फ्रूट्स के बाजार पर इस प्रतिबंध का असर पड़ा है.पाकिस्तान पर इस व्यापार प्रतिबंध का ज्यादा असर हुआ है. वहां का कपड़ा और दवा उद्योग कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर है और प्रतिबंधों का इन पर खासा असर पड़ा है.

क्या कहती है विश्व बैंक की रिपोर्ट

भारत और पाकिस्तान के बीच कम व्यापार होने का एक कारण हाई टैरिफ, कठिन वीजा नीति और व्यापार की मुश्किल प्रक्रिया भी है. साल 2018 में आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दोनों देश व्यापार प्रक्रिया को आसान बनाते हैं, टैरिफ को कम करते हैं और वीजा नीति को आसान बनाते हैं तो दोनों का व्यापार 2 अरब डॉलर से बढ़कर 37 अरब डॉलर का हो सकता है.

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