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एड्स एक्सचेंज क्या है पैसे कैसे कमाए | Ads Exchange Details In Hindi

Ads Exchange In Hindi: हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग Techshole के एक और नए आर्टिकल में जिसमें हम आपको Ads Exchange के बारे में पूरी जानकारी देंगें. इस आर्टिकल में आपको जानने को मिलेगा कि Ads Exchange क्या है, Ads Exchange में अकाउंट कैसे बनायें, Ads Exchange से पैसे कैसे कमाए और Ads Exchange रियल है या फेक.

Ads Exchange एक Money Earning प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ पर आप दिन में कुछ घंटे काम करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन क्या आप वास्तव में Ads Exchange के द्वारा पैसे कमा सकते हैं यह आपको इस आर्टिकल में जानने को मिलेगा.

UP Panchayat Chunav 2021: ग्राम प्रधान के पास क्या हैं अधिकार, कैसे करता है काम, जानिए पूरी ABCD

UP Panchayat Chunav 2021: हम इस खबर में ग्राम प्रधान बनने और उसके चुनाव, योग्यता, कार्य और अधिकार के बारे में बात करेंगे.

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Share Market में करना चाहते हैं एडीएक्स कैसे काम करता है? निवेश की शुरुआत, जानिए शेयर बाजार की ABCD

Vikash Tiwary

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 05, 2022 19:07 IST

Share Market में निवेश की शुरुआत करने से पहले ये जानें- India TV Hindi

Photo:INDIA TV Share Market में निवेश की शुरुआत करने से पहले ये जानें

What is Share Market: शेयर मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है। अगर आप नए हैं, आपने इससे पहले कभी किसी स्टॉक (Stock) में निवेश नहीं किया है और आपको इस बात की जानकारी नहीं है कि शेयर मार्केट क्या होता है और यह कैसे काम करता है? क्या स्टॉक मार्केट में सिर्फ शेयर ही खरीदे-बेचे जाते हैं? तो आज हम आपके इन सभी सवालों का जवाब इस खबर में देने जा रहे हैं।

शेयर मार्केट क्या है?

शेयर मार्केट एक ऐसा बाजार है, जहां खरीदार BSE(Bombay Stock Exchange) और NSE(National Stock एडीएक्स कैसे काम करता है? Exchange) पर सूचीबद्ध शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं। यह सेबी(Securities and Exchange Board of India) के देखरेख में काम करता है। सेबी भारत सरकार की संस्था है जो शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों पर नजर रखती है ताकि वह ग्राहक के साथ फ्रॉड ना कर सके। इसे दो भाग में क्लासिफाइड किया गया है। प्राइमरी और सेकेंडरी।

जब कोई कंपनी शेयरों के माध्यम से धन जुटाने के लिए पहली बार स्टॉक एक्सचेंज में खुद को रजिस्टर करती है तो उसे प्राइमरी कैटेगरी में रखा जाता है, वहीं एक बार जब कंपनी की नई सिक्योरिटी को प्राइमरी मार्केट में बेच दिया जाता है, तब उसका कारोबार सेकेंडरी में किया जाने लगता है। यहां निवेशकों को बाजार की मौजूदा कीमतों पर शेयर खरीदने और बेचने का मौका मिलता है।

शेयर के आलावा इनमें भी कर सकते हैं निवेश

स्टॉक एक्सचेंज में इन चार रूप (शेयर, बांड, म्यूचुअल फंड और Derivatives) में ट्रेडिंग होती है, जिसमें सबसे पहला स्थान शेयर का होता है। अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के उतने फीसदी के हिस्सेदार हो जाते हैं। कंपनी के नफा-नुकसान का असर सीधे आपके उपर पड़ता है।

बांड लंबी अवधि के लिए खरीदे जाते हैं। जब एक कंपनी को पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। पूंजी जुटाने का एक तरीका जनता को बांड जारी करना होता है। ये बांड कंपनी द्वारा लिए गए "ऋण" का प्रतिनिधित्व करते हैं। बांडधारक कंपनी के लेनदार बन जाते हैं और कूपन के रूप में समय पर ब्याज भुगतान प्राप्त करते हैं।

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की ABCD

बच्चों को A फॉर एप्पल और B फॉर बॉय सिखाने के दिन पुराने पड़ चुके है। आज बच्चे A फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, B फॉर बिग डेटा, R फॉर रोबोटिक्स और M फॉर मशीन लर्निंग जैसे शब्दों से परिचित है । यह सब उनके सिलेबस का हिस्सा है। मशीनों ने दुनिया को बदल कर रख दिया है इस कारण बच्चों की दुनिया बदली है इससे कोई भी अछूता नहीं रह सकता है।

आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की ABCD :

A : आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस
इंसानों ने तकनीक का इजाद किया। लेकिन बुद्धिमान मशीनों से इंसान को पीछे छोड़ दिया है।

B: बायस
मशीनें भेद भाव कर सकती है यह सुन कर विश्वास नहीं होता लेकिन यह भेदभाव कई अर्थों में सामने आया है जो मानव को सोचने पर मजबूर करता है। मशीनों में जो डेटा फीड होता है वह एल्गोरिदम की बुनियाद पर काम करता है। बनाने वालों ने इनके साथ भी भेदभाव किया। मर्दों और औरतों के बीच भेद भाव और गोरे और काले रंग वालों के बीच भेद भाव करना बड़ी समस्या बनकर उभरा है।

होमिओपेथी दवाई कैसे बनाई जाती है | How is homeopathy medicine prepared?

होमियोपैथी के आविष्कार के समय प्रारम्भ में दवाओं को मूल रूप (मदर टिंक्चर) में दिया जाता था परन्तु एडीएक्स कैसे काम करता है? बाद में अनुभव किया गया कि दवाओं को मूल रूप में देने पर उनका उतना असर नहीं होता था जितना उन्हें Dilute करके देने से होता था। इस आधार पर दवाओं को शक्तिकृत करने का सिद्धान्त खोजा गया।

होम्योपैथिक औषधियों के स्केल- होमियोपैथिक दवाओं के नाम के आगे जो गिनतियाँ जैसे- Q, 3,6,12, 30, 200, 1M, 10M, 50M, 1CM आदि लिखा रहता हैं, उन्हें उस दवा की ‘पोटेन्सी’ (Power) कहते है। यह ‘पोटेन्सी’ दवा की शक्ति की प्रतीक होती हैं। यह क्रम से शक्तिशाली होती है, जैसा कि सूची में दिया गया है। Q का अर्थ है मूल अर्क या मदरटिंक्चर।

होमियोपैथिक दवा बनाने की विधि बड़ी ही विचित्र है। इस विधि में औषधि के स्थूल रूप को इतने सूक्ष्मतम रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है कि दवा की 6 पोटेंसी से ऊपर की दवा में दवा का स्थूल अंश तो क्या, दवा के सूक्ष्म अंशका भी पता नहीं लगाया जा सकता।

होमियोपैथिक चिकित्सा का इतिहास | History of Homeopathy in Hindi

होमियोपैथी का आविष्कार 10 अप्रैल सन् 1755 को जर्मनी के माइसेन नामक नगर में जन्मे डॉ० क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमन ने किया था।

डॉ० हैनिमन प्रारम्भ में स्वयं एलोपैथिक चिकित्सक थे परन्तु वह इस चिकित्सा से कभी सन्तुष्ट नहीं हुये क्योंकि उन्होंने देखा था कि ‘एलोपैथिक चिकित्सा’ (विपरीत विधान चिकित्सा) से रोगी के रोग का शमन तो हो जाता है लेकिन बाद में इसका दुष्प्रभाव अन्य एडीएक्स कैसे काम करता है? रोगों के रूप में प्रकट होता है।

एक बार उन्होंने अंग्रेजी की एक ‘एलोपैथिक मेटेरिया मेडिका’ में पढ़ा कि ‘सिनकोना’ नामक औषध ठण्ड लगकर आने वाले बुखार को दूर करती है लेकिन यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति ‘सिनकोना’ खा ले तो उसे ठण्ड लगकर बुखार आ जाता है । उन्होंने ‘सिनकोना’ के इस गुण का परीक्षण अपने ऊपर किया और इसी दृष्टि से अन्य औषधियों का भी परीक्षण किया। इस प्रकार होमियोपैथी का जन्म हुआ।

होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली के बारे में कुछ व्यावहारिक जानकारी | Some practical information about homeopathy

(1) होम्योपैथी दवा के कोई साइड इफ़ेक्ट (दुष्प्रभाव) नहीं होते हैं। इसका अर्थ यह नही कि मनमाने ढंग से दवाई लेने भी दुष्प्रभाव नही होगा।

(2) होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति सरल है, सस्ती है। और पुराने रोगोंमें स्थायी लाभ देनेका सामर्थ्य रखती है।

(3) होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली में रोगी के लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। इसी लिए सामान्यतः भारी भरकम खर्चीली जाँचें नहीं करायी जाती।

(4) होम्योपैथी दवा में कोई विशेष परहेज नहीं होता है। इसमें केवल तेज गन्धवाली वस्तुओंसे परहेज करना है।

(5) दवाको हाथ नहीं लगाना चाहिये, शीशीके ढक्कन से या सफेद कागज के टुकड़े पर लेकर सीधे मुँह में डालकर चूस लेना चाहिये।

(6) दवा लेने के 30 मिनिट पहले तथा दवा लेनेके 30 मिनिट बाद तक कुछ खाना / पीना नही चाहिए।

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