Panchsheel Agreement: पांच सिद्धातों पर आधारित था पंचशील समझौता।

सोशल मीडिया ब्रेक के स्वस्थ मानसिक लाभ: मानसिक स्वास्थ्य

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे के 2022 के क्रॉस-नेशनल ऑनलाइन सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन लोगों ने मनोरंजन के लिए या महामारी के दौरान अकेलेपन को कम करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया, उन्होंने खराब मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव किया।

जबकि व्यक्तिगत संपर्क के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना और संबंध बनाए रखना बेहतर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा था, फिर भी सोशल मीडिया पर दैनिक समय में वृद्धि और समग्र रूप से खराब मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध था।

दूसरी ओर, 68 विश्वविद्यालय के छात्रों के 2021 के पायलट अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश छात्रों ने सोशल मीडिया से ब्रेक के दौरान और तुरंत बाद मूड में सकारात्मक बदलाव, कम चिंता और नींद में सुधार की सूचना दी। डेटा बहुत साफ दिखता है। यदि आप खराब आत्म-छवि, चिंता, अवसाद, अकेलापन और यहां तक कि खराब नींद का अनुभव नहीं करना चाहते हैं, तो अपने सोशल मीडिया के समय और लाभ के बीच संबंध क्या है उपयोग में कुछ बदलाव करना एक अच्छा विचार हो सकता है।

अगर आप आराम करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं

यदि आप पाते हैं कि जब आपके पास थोड़ा खाली समय होता है तो आप अपने फोन तक पहुंच जाते हैं, इसके बजाय इन विकल्पों की अदला-बदली करने पर विचार करें:

· ब्लॉक के चारों ओर टहलें।

· मोमबत्तियों के साथ मूड सेट करें या कुछ आवश्यक तेलों की खुशबू का लुफ्त उठाएं ।

भारत और रूस के बीच सम्बन्ध – India-Russia Relations in Hindi

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भारत और रूस के बीच 1947 से ही बेहतर सम्बन्ध रहे हैं. रूस ने भारी मशीन-निर्माण, खनन, ऊर्जा उत्पादन और इस्पात संयंत्रों के क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत की सहायता की थी.

भूमिका

अगस्त 1971 में भारत और सोवियत संघ ने शांति, मैत्री एवं सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किये. यह दोनों देशों के साझा लक्ष्यों की अभिव्यक्ति थी. इसके साथ ही यह क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति और सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने की रुपरेखा (blue print) भी थी.

सोवियत संघ के विघटन के बाद दोनों देशों द्वारा जनवरी 1993 में शांति, मैत्री एवं सहयोग की एक नई संधि को अपनाया गया था. उसके बाद समय और लाभ के बीच संबंध क्या है 1994 में द्विपक्षीय सैन्य-तकनीकी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. वर्ष 2000 में दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी आरम्भ की. इसके साथ ही दोनों देशों द्वारा वर्ष 2017 समय और लाभ के बीच संबंध क्या है को राजनयिक सम्बन्धों की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ के रूप में चिन्हित किया गया था.

भारत-रूस सम्बन्धों में ठहराव

जहाँ एक ओर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध समय और लाभ के बीच संबंध क्या है विवाद सम्बन्ध विवाद मुक्त दिखाई देते हैं, वहीं भू-राजनीतिक आयामों में हाल ही हुए परिवर्तन नए समीकरणों की ओर संकेत करते हैं. इन्हें निम्नलिखित कारकों के माध्यम से समझा जा सकता है :-

रूस और चीन के मध्य बढ़ते आर्थिक सम्बन्ध

आर्थिक गतिहीनता और अमेरिका एवं यूरोपीय देशों द्वारा लगाये गये आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है.

  • रूस ने मुख्यतः यूक्रेन संकट के समय चीन की ओर रणनीतिक पहुँच बनाने के प्रयास किये थे, क्योंकि विश्व स्तर पर भारत की तुलना में चीन के विचार अधिक महत्त्व रखते हैं. हाल ही में रूस ने चीन को SU-30 30 MKK/MK2 फाइटर और विशेष रूप से S-35, S-400 लॉन्ग रेंज एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों को बेचा है.
  • इसके अतिरिक्त रूस का झुकाव पाकिस्तान की ओर भी बढ़ रहा है. रूस पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास और रक्षा व्यापार भी आरम्भ कर रहा है.

विविधतापूर्ण रक्षा खरीद

भारत द्वारा अपनी रक्षा खरीद को विविधता प्रदान की जा रही है जिसके परिणामस्वरूप USA, इजराइल और फ्रांस जैसे अन्य भागीदार इसमें शामिल हो गये हैं. इस प्रक्रिया ने भी भारत और रूस के सम्बन्धों को प्रभावित किया है. विदित हो कि भारत-रूस के बीच व्यापक रक्षा सम्बन्ध (Comprehensive समय और लाभ के बीच संबंध क्या है defense relationship between India and Russia) बहुत जरुरी है. इन संबंधों में किसी भी प्रकार की गिरावट के भारत-रूस संबंधों (India-Russia Relations) पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं.

संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती निकटता

भारत और अमेरिका के बीच विस्तृत होते सम्बन्ध एवं बढ़ता रक्षा सहयोग तथा भारत के अमेरिकी नेतृत्व वाले चतुष्पक्षीय समूह (समय और लाभ के बीच संबंध क्या है quadrilateral group) में शामिल होने के कारण रूस ने भारत के प्रति अपनी विदेश नीति में रणनीतिक परिवर्तन किये हैं.

सहयोग के संभावित क्षेत्र

  • रक्षा साझेदारी में भारत के विविधीकरण के बावजूद भारत की रक्षा सूची में अभी भी 70% रूस का ही योगदान है. वस्तुतः यदि परमाणु पनडुब्बियों जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण सन्दर्भों में देखा जाए तो रूस के महत्त्व को कम नहीं किया जा सकता.
  • यदि ईरान से गुजरने वाला अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा (INSC) और व्लादिवोस्तोक-चेन्नई समुद्री मार्ग प्रारम्भ हो जाए तो रूस और भारत के बीच व्यापार के क्षेत्र में अभी भी सुधार की संभावनाएँ विद्यमान हैं.
  • भारत आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, बायो-टेक्नोलॉजी, आउटर-स्पेस और नैनो-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रूस के साथ उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग का लाभ उठा सकता है.
  • भारत अपने शोध और शिक्षा सुविधाओं को आधुनिक बनाने में रूस का सहयोग प्राप्त कर सकता है. इसी प्रकार परस्पर निवेश के अतिरिक्त, ऊर्जा क्षेत्र में भी अपार वृद्धि की संभावनाएँ हैं. प्राकृतिक संसाधनों जैसे काष्ठ और कृषि के व्यापार से भी लाभ उठाये जा सकते हैं.
  • सामरिक और आर्थिक स्तर पर, रूस चीन पर अपनी अत्यधिक निर्भरता पर गंभीरता से विचार कर रहा है तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) और आसियान के माध्यम से जापान, वियतनाम और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने का भी प्रयास कर रहा है. इन देशों के साथ भारत के दीर्घकालिक सम्बन्ध को देखते हुए, भारत इन संबंधों के संचालन में रूस की सहायता कर सकता है.

निष्कर्ष

  • यदि भू-सामरिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत-रूस सम्बन्धों (India-Russia Relations) में गिरावट आने से परिधि बनाम केंद्र प्रतिस्पर्द्धा (periphery vs. core competition) और भी कठोर हो जायेगी जो अभी केवल आकार ही ग्रहण कर रहा है. इससे जहाँ एक ओर भारत मध्य एशिया से बहिष्कृत हो जायेगा वहीं रूस की चीन पर निर्भरता में वृद्धि हो जाएगी. ऐसे में यह निर्धारित करना कठिन होगा कि दोनों के बीच सम्बन्धों में कड़वापन आने से अधिक हानि किसे होगी?
  • इन मतभेदों के बावजूद, सुदृढ़ भारत-रूस सम्बन्धों का होना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों देशों को अन्य अभिकर्ताओं के साथ बेहतर सौदेबाजी की क्षमता प्रदान करते हैं.
  • दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन (अक्टूबर, 2018) बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में रूस सहित अमेरिका और चीन के साथ भारत के सम्बन्धों को संतुलित करने और परस्पर विश्वास का पुनर्निर्माण करने के दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था.

Tags: भारत और रूस के बीच सामरिक, रक्षा सम्बन्ध (India-Russia Relations) in Hindi. History of India and Russia Relationship, recent developments, आर्थिक सम्बन्ध.

महिलाओं की स्थिति: परिवारों में ही है बदलाव की बुनियाद

परिवारों के रूपों में बदलाव से नीतियों में भी बदलाव होते हैं. कंबोडिया में एलजीबीटी समुदाय के सम्मान के लिए आयोजित एक कार्यक्रिम में एक महिला अपनी महिला पार्टनर से प्रेम जताते हुए

महिलाओं की अधिकारों की स्थिति में हाल के दशकों के दौरान अलबत्ता काफ़ी सुधार देखा गया है लेकिन पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता (लिंग भेद) और परिवारो में ही महिलाओं के अन्य बुनियादी अधिकारों के उल्लंघन के गंभीर मामले अब भी सामने आते हैं.

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी – यूएन वीमैन ने मंगलवार को जारी ताज़ा रिपोर्ट में ये निष्कर्ष पेश किए हैं. इस रिपोर्ट को नाम दिया गया है – “विश्व भर की महिलाओं की प्रगति 2019-2020: बदलती दुनिया में परिवार”.

रिपोर्ट कहती है कि परिवार एक विविधता वाला ऐसा स्थान होते हैं जहाँ अगर सदस्य चाहें तो लड़के-लड़कियों और महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता के बीज आसानी से बोए जा सकते हैं.

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक फ्यूमज़िले म्लाम्बो ग्यूका ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “इसके लिए ज़रूरी है कि परिवारों के प्रभावशाली सदस्यों को महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक होकर उन्हें हर नीति और फ़ैसले के समय और लाभ के बीच संबंध क्या है केंद्र में रखना होगा.”

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लेकिन उसी साँस में उन्होंने ये भी कहा कि वही परिवार लड़ाई-झगड़ों, अदावत, अमानता और कभी-कभी तो हिंसक बर्तावों का बीज बोने के लिए भी उपजाऊ जगह बन जाते हैं.

रिपोर्ट में विश्व भर से आँकड़े एकत्र करके गहराई से परिवारों में मौजूद परंपराओं, संस्कृति और मनोवृत्तियों का अध्ययन किया गया है.

इसमें कहा गया है कि ऐसे क़ानून, नीतियाँ और कार्यक्रम लागू करने की ज़रूर है जिनसे परिवारों के सभी सदस्यों की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उनकी प्रगति और ख़ुशहाली के लिए अनुकूल माहौल बन सके. विशेष रूप से ये लड़कियों और महिलाओं के लिए ज़रूरी है.

कार्यकारी निदेशक का कहना था, “दुनिया भर में हम महिलाओं के वजूद, अधिकारों और निर्णय लेने की उनकी क्षमता को नकारने का चलन देख रहे हैं. और ये सब परिवारों की संस्कृति और मूल्यों को बचाने के नाम पर किया जाता है.”

आज के दौर में लगभग तीन अरब महिलाएँ ऐसे देशों में रहती हैं जहाँ वैवाहिक जीवन में बलात्कार को अपराध नहीं समझा जाता है. लेकिन अन्याय और अधिकारों का उल्लंघन अनेक अन्य रूपों में भी होता है.

लगभग पाँच में से एक देश में लड़कियों को लड़कों के समान संपत्ति और विरासत के अधिकार नहीं मिलते हैं.

लगभग 19 देशों में महिलाओं को अपने पति का आदेश मानने की क़ानूनी बाध्यता होती है. इससे भी ज़्यादा, विकासशील देशों में लगभग एक तिहाई विवाहित महिलाओं ने बताया कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में ख़ुद निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता, या बहुत कम होता है.

क्या चलन हैं.

रिपोर्ट बताती है कि सभी क्षेत्रों में विवाह की औसत उम्र कुछ बढ़ी है जबकि बच्चों की जन्म दर कुछ कम हुई है. साथ ही महिलाओं को कुछ ज़्यादा आर्थिक स्वायत्तता मिली है.

वैश्विक स्तर पर 38 प्रतिशत परिवारों में दंपत्तियों के पास बच्चे हैं और 27 प्रतिशत परिवारों में निकट परिजनों के अलावा अन्य संबंधित रिश्तेदार भी रहते हैं जिन्हें व्यापक परिवार कहा जाता है.

ऐसे परिवार जिसमें सिर्फ़ एक ही अभिभावक है और वो भी महिला, उनकी संख्या लगभग आठ फ़ीसदी है.

लेकिन ऐसे परिवारों में महिलाओं को आय अर्जित करने के लिए कामकाज करने, बच्चों की देखभाल करने और घर संभालने की ज़िम्मेदारी भी निभानी पड़ती है जिसका उन्हें कोई मेहनताना नहीं मिलता.

सभी क्षेत्रों में समान लिंग यानी महिलाओं और महिलाओं व पुरुषों और पुरुषों के बीच संबंधों वाले परिवारों का चलन भी बढ़ता देखा गया है.

रिपोर्ट बताती है कि कामकाजी और श्रम दुनिया में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ रही है.

लेकिन विवाह और माँ बनने की वजह से कामकाजी दुनिया में उनकी मौजूदगी कम भी हो रही है. साथ ही उनकी आमदनी और अन्य तरह के लाभों में भी कमी हो जाती है.

नए आँकड़े बताते हैं कि 25 से 54 वर्ष की उम्र की महिलाओं में से लगभग आधी संख्या, परिवार में अकेले रहने वाली महिलाओं में से दो तिहाई और 96 प्रतिशत विवाहित पुरुष कामकाजी दुनिया में दाख़िल होकर मौजूद रहते हैं.

ये एक कटु सच्चाई है कि महिलाएँ देखभाल और घरेलू कामकाज तीन गुना ज़्यादा करती हैं और इसका उन्हें कोई मेहनताना नहीं मिलता है, यही पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता का एक मुख्य कारण है.

रिपोर्ट में पिताओं द्वारा बच्चों की देखभाल के लिए ली जाने वाली छुट्टियों के फ़ायदों की तरफ़ भी ध्यान दिलाया गया है.

इसमें लगातार ज़्यादा संख्या में पुरुष शामिल हो रहे हैं.

ख़ासतौर से उन देशों में जहाँ कामकाजी पुरुषों को अपने बच्चों की देखभाल के लिए ‘डैडी कोटा’ और अन्य लाभ दिए जाते हैं.

रिपोर्ट ध्यान दिलाती है कि परिवार ही वो प्रमुख स्थान हैं जहाँ समानता और न्यायपूर्ण माहौल की समय और लाभ के बीच संबंध क्या है बुनियाद पड़ती है.

ये सिर्फ़ नैतिक रूप में ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भी अहम है.

ध्यान रहे कि दुनिया भर में मानव प्रगति सुनिश्चित करने के लिए ये टिकाऊ विकास लक्ष्य बहुत व्यापक एजेंडा और अवसर पेश करते हैं.

Panchsheel Agreement: जानिए क्या है भारत और चीन के बीच हुआ पंचशील समझौता, जानें महत्व

Panchsheel Agreement: इस समझौते से दुनिया को ये संकेत देने की कोशिश हुई थी कि चीन और भारत ने अपने संबंधों को आर्थिक, सांस्कृतिक या सैन्य नींव पर नहीं, बल्कि वैचारिक आधारों पर परिभाषित किया है।

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Panchsheel Agreement: पांच सिद्धातों पर आधारित था पंचशील समझौता।

हाइलाइट्स

  • जवाहरलाल नेहरू और झोउ एनलाई की मौजूदगी में हुआ था समझौता।
  • वैचारिक आधारों पर हुई थी संधि।
  • पांच सिद्धातों को किया गया है शामिल।

पंचशील का इतिहास
1949 में, चीन ने खुद को एक वन-पार्टी कम्युनिस्ट राष्ट्र में बदल दिया, जिसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना कहा जाता है। 1950 में, भारत के प्रभुत्व ने औपचारिक रूप से ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की और भारत गणराज्य बन गया। दोनों राष्ट्र 1950 के दशक के द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया में एक स्थान का बनाने की चाहत मे थे। चीन अपनी पुरानी प्रमुखता हासिल करना चाहता था और यह साबित करना चाहता था कि वह सोवियत संघ के मार्गदर्शन के बिना अपने मामलों की देखरेख कर सकता है। जबकि भारत ब्रिटिश साम्राज्य के बिना अपने स्वयं के अंतर्राष्ट्रीय संबंध बनाना शुरू करना चाहता था। दोनों यह साबित करना चाहते थे कि वे किसी और के नियंत्रण में आए बिना दुनिया के प्रतियोगिता का हिस्सा बन सकते हैं।

1953 में दोनों देशों की अपनी-अपनी इच्छा पूरी हुई। भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू और चीन के पहले प्रधान समय और लाभ के बीच संबंध क्या है मंत्री, झोउ एनलाई ने अपने दोनों देशों के बीच संबंधों को परिभाषित करने के लिए मुलाकात की। उनका समझौता चीन और भारत के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार पर 1954 के समझौते में प्रस्तुत किया गया था और दुनिया को ये संकेत देने की कोशिश हुई थी कि चीन और भारत ने अपने संबंधों को आर्थिक, सांस्कृतिक या सैन्य नींव पर नहीं, बल्कि वैचारिक आधारों पर परिभाषित किया है।

पंचशील के पांच सिद्धांत
पंचशील समझौते में, चीन और भारत के नेताओं ने अपनी नीति को रेखांकित किया और इसे पांच वैचारिक सिद्धांतों के माध्यम से परिभाषित किया। वे पांच सिद्धांत निम्न हैं:
1. एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान
2. आपसी गैर- आक्रामकता
3. आपसी गैर- हस्तक्षेप
4. आपसी लाभ के लिए समानता और सहयोग
5. शांतिपूर्ण सह- अस्तित्व

समय और लाभ के बीच संबंध क्या है

प्रस्तावना: भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म के तानो बानो, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बाँध कर हुआ हैं| एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ की भावना ने विविधता में एक विशेष एकता को सक्षम किया है, जो राष्ट्रवाद की एक लौ के रूप में सामने आती है जिसे भविष्य में पोषित और अभिलषित करने की आवश्यकता है।

समय और तकनीक ने संपर्क और संचार के मामले में दूरियों को कम कर दिया है। ऐसे युग में जो गतिशीलता और आगे बढने की सुविधा प्रदान करता है, विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के सामान्य दृष्टि कोण समय और लाभ के बीच संबंध क्या है के द्वारा आपसी रिश्तो में मजबूती करना और राष्ट्र-निर्माण महत्वपूर्ण है। आपसी समझ और विश्वास भारत की ताकत की नींव है और भारत के सभी नागरिकों को सांस्कृतिक रूप से एकीकृत महसूस करना चाहिए।

31 अक्टूबर, 2015 को आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाने की कल्पना की गई थी जिसके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के संप्रदायों के बीच एक निरंतर और संरचित सांस्कृतिक संबंध बनाये जा सके। माननीय प्रधानमंत्री ने यह प्रतिपादित किया कि सांस्कृतिक विविधता एक खुशी है जिसे विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच पारस्परिक संपर्क और पारस्परिकता के माध्यम से मनाया जाना चाहिए ताकि देश भर में समझ की एक सामान्य भावना प्रतिध्वनित हो। देश के प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश का एक वर्ष के लिए किसी अन्य राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के साथ जोड़ा बनाया जाएगा, इस दौरान वे भाषा, साहित्य, भोजन, त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्यटन आदि क्षेत्रों में एक दूसरे के साथ जुडेगे| भागीदार राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश आपस में एक दूसरे को सास्कृतिक रूप से अंगीकृत करेंगे।

भारत में सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को एक पूरे वर्ष के लिए जोड़ो में निर्धारित किया गया हैं ।जोड़े गए राज्य / केंद्र शासित प्रदेश एक दूसरे के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे, जो विभिन्न गतिविधियों को पूरे वर्ष भर करेंगे। प्रत्येक जोड़े के लिए एक गतिविधि कैलेंडर आपसी परामर्श के माध्यम से तैयार किया जाएगा, जिससे आपसी जुड़ाव की एक साल की लंबी प्रक्रिया का मार्गप्रशस्त होगा। सांस्कृतिक स्तर पर राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के प्रत्येक जोड़े की आबादी के विभिन्न क्षेत्रों के बीच इस तरह की बातचीत, लोगों के बीच समझ और प्रशंसा की भावना पैदा करेगी और आपसी संबंध बनाएगी, जिससे राष्ट्र एकता की भावना में समृधि हासिल होगी।

एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए राज्यों की भागीदारी : देखें (सोमवार, 20 जनवरी, 2020 - 10:30 बजे) - (758 केबी)

स्कूलों में "एक भारत श्रेष्ठ भारत" कार्यक्रम के तहत संचालित होने वाली गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश : देखें (मंगलवार, 21 जनवरी, 2020 - 6:30 बजे) - (1.76 एमबी)

एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत स्कूलों के लिए प्रस्तावित कैलेंडर : देखें (बुधवार, 30 सितंबर, 2020 - 14:38) - (633 केबी)

एक भारतश्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) पर पत्र/पत्राचार: देखें

नोडल अधिकारियों की सूची: देखें

सांस्कृतिक विविधता में एकता - पुस्तिका : देखें (मंगलवार, 14 जनवरी, 2020 - 6:30 बजे) - (42.9 केबी)

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