• क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
  • क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
  • सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
  • उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
  • 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
  • एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
  • उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
  • सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
  • उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
  • सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
  • उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
  • मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
  • 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
  • सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
  • 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
  • सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
  • उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
  • वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:

पीलीभीत: गन्ने की दलाली पड़ी भारी, सचिव ने कराई एफआईआर

पीलीभीत, अमृत विचार। एलएच चीनी मिल का पेराई सत्र बंद होने को है। किसानों का बाकी गन्ना खरीदने के बाद मिल को बंद करने की तैयारी है। इसी बीच दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। किसानों से कम दाम पर गन्ना खरीदकर मुनाफा कमाने की जोर आजमाइश तेज कर दी है। इससे जुड़ा एक मामला …

पीलीभीत, अमृत विचार। एलएच चीनी मिल का पेराई सत्र बंद होने को है। किसानों का बाकी गन्ना खरीदने के बाद मिल को बंद करने की तैयारी है। इसी बीच दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। किसानों से कम दाम पर गन्ना खरीदकर मुनाफा कमाने की जोर आजमाइश तेज कर दी है। इससे जुड़ा एक मामला संज्ञान में आने पर गन्ना समिति सचिव की ओर से कथित दलाल के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है।

सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव प्रदीप कुमार अग्निहोत्री ने सुनगढ़ी पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि 24 अप्रैल की रात करीब 11 बजे उनके मोबाइल पर एक ऑडियो क्लिप व सट्टे की पर्ची मोबाइल पर भेजी गई। इसमें कस्बा जहानाबाद निवासी भूप किशोर राठौर एक किसान से एलएच चीनी मिल के गेट पर सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से कम पर गन्ना खरीद को लेकर बातचीत कर रहा था। वह किसानों से कम दाम पर गन्ना खरीदने का दबाव बना रहा था।

जोकि सरकार की मंशा के खिलाफ एवं किसान का शोषण किए जाने से जुड़ा है। ऑडियो का संज्ञान लेते हुए जानकारी जुटाई। सट्टे की दलाल कौन बन सकता है? पर्ची पर नाम पते का जिक्र था, जिसकी मदद से किसान से संपर्क कर पूरी जानकारी की गई। फिर मामला सीधे तौर पर गन्ने की दलाली से जुड़ा निकला। अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद सचिव ने पुलिस को तहरीर दी। सुनगढ़ी पुलिस ने धोखाधड़ी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की।

एक ऑडियो क्लिप प्राप्त हुई थी। इसे गंभीरता से लेते हुए जांच कराई गई। जिसमें मामला किसानों से धोखाधड़ी से जुड़ा निकला। समिति सचिव की ओर से एफआईआर दर्ज करा दी गई है। — जितेंद्र कुमार मिश्रा, जिला गन्ना अधिकारी

Natasha Dalal की हर अदा पर जान छिड़कते हैं Varun Dhawan, रोमांटिक तस्वीरें हैं इस बात का सबूत

Bollywood news: जन्मदिन के मौके पर हम आपको वरुण धवन (Varun Dhawan) और उनकी गर्लफ्रेंड नताशा दलाल (Natasha Dalal) की रोमांटिक तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं। वरुण के जन्मदिन पर इन दोनों की सगाई का ऐलान होना था लेकिन कोरोना वायरस आउटब्रेक के चलते वरुण धवन और नताशा की सगाई कुछ समय के लिए टाल दी गई है।

  • By Bollywood Staff
  • | Updated: April 24 2020, 12:55 PM IST

Natasha Dalal पर जान छिड़कते हैं Varun Dhawan

Natasha Dalal पर जान छिड़कते हैं Varun Dhawan

वरुण धवन अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने से जरा भी नहीं डरते हैं। आए दिन उनकी शादी की खबरें सोशल मीडिया पर तहलका मचाती रहती हैं। वहीं इन दोनों का परिवार भी वरुण और नताशा के रिश्ते को लेकर काफी गंभीर है। आज यानी वरुण धवन के जन्मदिन पर इन दोनों की सगाई होनी थी लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते पूरे प्लॉन पर पानी फिर गया। अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको वरुण धवन और उनकी गर्लफ्रेंड नताशा दलाल की कुछ रोमांटिक तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं जिनमें इन दोनों की जबरदस्त केमिस्ट्री और प्यार साफ झलकता है। देखें तस्वीरें-

कौन है हम्टी शर्मा की दुल्हनिया

कौन है हम्टी शर्मा की दुल्हनिया

नताशा दलाल एक फैशन डिजाइनर हैं। उन्होंने फैशन इंस्टीट्यूज और टेक्नोलॉजी न्यू यॉर्क से ग्रेजुएशन किया है। Also Read - इस बार अपनी गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के साथ हाथों में हाथ डाले नज़र नहीं आये वरुण धवन- देखें तस्वीरें!

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"इस कहानी में इंसान की स्वाभाविक और भावनात्मक पहलूओं को गिरफ़्त में लिया गया है जिनके तहत वो कर्म करते हैं। कहानी की केन्द्रीय पात्र एक वेश्या है जिसे इस बात से कोई सरोकार नहीं कि वो किस के साथ रात गुज़ारने जा रही है और उसे कितना मुआवज़ा मिलेगा बल्कि वो दलाल के इशारे पर कर्म करने और किसी तरह काम ख़त्म करने के बाद अपनी नींद पूरी करना चाहती है। आख़िर-कार तंग आकर अंजाम की परवाह किए बिना वो दलाल का ख़ून कर देती है और गहरी नींद सो जाती है।"

वो चौक में क़ैसर पार्क के बाहर जहां टांगे खड़े रहते हैं। बिजली के एक खंबे के साथ ख़ामोश खड़ा था और दिल ही दिल में सोच रहा था। कोई वीरानी सी वीरानी है!

यही पार्क जो सिर्फ़ दो बरस पहले इतनी पुररौनक़ जगह थी, अब उजड़ी पचड़ी दिखाई थी। जहां पहले औरत और मर्द शोख़-ओ-शंग फ़ैशन के लिबासों में चलते फिरते थे। वहां अब बेहद मैले कुचैले कपड़ों में लोग इधर-उधर बे मक़सद फिर रहे थे। बाज़ार में काफ़ी भीड़ थी मगर उसमें वो रंग नहीं था जो एक मेंले–ठेले का हुआ करता था। आस पास की सीमेंट से बनी हुई बिल्डिंगें अपना रूप खो चुकी थीं। सर झाड़ मुँह फाड़ एक दूसरे की तरफ़ फटी फटी आँखों से देख रही थीं, जैसे बेवा औरतें।

वो हैरान था कि वो ग़ाज़ा कहाँ गया, वो सिंदूर कहाँ उड़ गया। वो सर कहाँ ग़ायब हो गए जो उसने कभी यहां देखे और सुने थे। ज़्यादा अर्से की बात नहीं, अभी वो कल ही तो (दो बरस भी कोई अर्सा होता है) यहां आया था। कलकत्ते से जब उसे यहां की एक फ़र्म ने अच्छी तनख़्वाह पर बुलाया था तो उसने क़ैसर पार्क में कितनी कोशिश की कि उसे किराए पर एक कमरा ही मिल जाये मगर वो नाकाम रहा था। हज़ार फ़रमाइशों के बावजूद।

मगर अब उसने देखा कि जिस कंजड़े, जोलाहे और मोची की तबीअत चाहती थी, फ़्लैटों और कमरों पर अपना क़ब्ज़ा जमा रहा था।

जहां किसी शानदार फ़िल्म कंपनी का दफ़्तर हुआ करता था, वहां चूल्हे सुलग रहे हैं। जहां कभी शहर की बड़ी बड़ी रंगीन हस्तियां जमा होती थीं, वहां धोबी मैले कपड़े धो रहे हैं।

दो बरस में इतना बड़ा इन्क़िलाब!

वो हैरान था, लेकिन उसको इस इन्क़िलाब का पसमंज़र मालूम था। अख़बारों के ज़रिये से और उन दोस्तों से जो शहर में मौजूद थे। उसे सब पता लग चुका था कि यहां कैसा तूफ़ान आया था। मगर वो सोचता था कि ये कोई अजीब-ओ-ग़रीब तूफ़ान था जो इमारतों का रंग-ओ-रूप भी चूस कर ले गया। इंसानों ने इंसान क़त्ल किए। औरतों की बेइज़्ज़ती की, लेकिन इमारतों की ख़ुश्क लकड़ियों और उनकी ईंटों से भी यही सुलूक किया।

उसने सुना था कि उस तूफ़ान में औरतों को नंगा किया गया था, उनकी छातियां काटी गई थीं। यहां उसके आस पास जो कुछ था, सब नंगा और जोबन बुरीदा था।

वो बिजली के खंबे के साथ लगा अपने एक दोस्त का इंतिज़ार कर रहा था जिसकी मदद से वो अपनी रिहाइश का कोई बंदोबस्त करना चाहता था। उस दोस्त ने उससे कहा कि तुम क़ैसर पार्क के पास जहां तांगे खड़े रहा करते हैं मेरा इंतिज़ार करना।

दो बरस हुए जब वो मुलाज़मत के सिलसिले में यहां आया तो ये टांगों का अड्डा बहुत मशहूर जगह थी, सबसे उम्दा, सबसे बाँके टांगे सिर्फ़ यहीं खड़े रहते थे क्योंकि यहां से अय्याशी का हर सामान मुहय्या हो जाता था। अच्छे से अच्छा रेस्टोरेंट और होटल क़रीब था। बेहतरीन चाय, बेहतरीन खाना और दूसरे लवाज़मात भी।

शहर के जितने बड़े दलाल थे वो यहीं दस्तयाब होते थे। इसलिए कि क़ैसर पार्क में बड़ी बड़ी कंपनियों के बाइस रुपया और शराब पानी की तरह बहते थे।

उसको याद आया कि दो बरस पहले उसने अपने दोस्त के साथ बड़े ऐश किए थे। अच्छी से अच्छी लड़की हर रात को उनकी आग़ोश में होती थी। स्काच जंग के बाइस नायाब थी मगर एक मिनट में दर्जनों बोतलें मुहय्या हो जाती थीं।

टांगे अब भी खड़े थे मगर उन पर वो कलग़ियाँ, वो फुंदने, वो पीतल के पालिश किए हुए साज़-ओ-सामान की चमक-दमक नहीं थी। ये भी शायद दूसरी चीज़ों के साथ उड़ गई थी।

उसने घड़ी में वक़्त देखा, पाँच बज चुके थे। फ़रवरी के दिन थे। शाम के साए छाने शुरू हो गए थे। उसने दिल ही दिल में अपने दोस्त को लअनत-मलामत की और दाएं हाथ के वीरान होटल में मोरी के पानी से बनाई हुई चाय पीने के लिए जाने ही वाला था कि किसी ने उसको हौले से पुकारा। उसने ख़याल किया कि शायद उसका दोस्त आ गया। मगर जब उसने मुड़ कर देखा तो एक अजनबी था। आम शक्ल-ओ-सूरत का, लट्ठे की नई शलवार में जिसमें अब और ज़्यादा शिकनों की गुंजाइश नहीं थी। नीली पाप्लीन की क़मीज़ जो लांड्री में जाने के लिए बेताब थी।

उसने पूछा, “क्यूँ भई। तुमने मुझे बुलाया?”

उसने हौले से जवाब दिया, “जी हाँ।”

उसने ख़्याल किया, मुहाजिर है, भीक मांगना चाहता है, “क्या मांगते हो?”

उसने उसी लहजे में जवाब दिया, “जी कुछ नहीं।” फिर क़रीब आ कर कहा, “कुछ चाहिए आपको?”

“कोई लड़की-वड़की।” ये कह कर वो पीछे हट गया।

उसके सीने में एक तीर सा लगा कि देखो इस ज़माने में भी ये लोगों के जिन्सी जज़्बात टटोलता फिरता है और फिर इंसानियत के मुतअल्लिक़ ऊपर-तले उसके दिमाग़ में बड़े हौसला शिकन ख़्यालात आए। उन्ही ख़्यालात के ज़ेर-ए-असर उसने पूछा, “कहाँ है?”

उसका लहजा दलाल के लिए उम्मीद अफ़्ज़ा नहीं था। चुनांचे क़दम उठाते हुए उसने कहा, “जी नहीं, आपको ज़रूरत नहीं मालूम होती।”

उसने उसको रोका, “ये तुम ने किस तरह जाना। इंसान को हर वक़्त उस चीज़ की ज़रूरत होती है जो तुम मुहय्या कर सकते हो. वो सूली पर भी. जलती चिता में भी।”

वो फ़लसफ़ी बनने ही वाला था कि रुक गया, “देखो. अगर कहीं पास ही है तो मैं चलने के लिए तैयार हूँ। मैंने यहाँ एक दोस्त को वक़्त दे रखा है।”

भारत एक नई सोच

Poonam Dalal Dahiya: सिर पर यूपीएससी की परीक्षा और पेट में बच्चा, बन गई टीचर से कमिश्नर…

Poonam Dalal Dahiya

Poonam Dalal Dahiya

Poonam Dalal Dahiya झज्जर जिले की रहने वाली है

हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली Poonam Dalal Dahiya की। जिन्होंने गर्भवती होते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी तथा उसे पास करने का अपना सपना पूरा कर लिया। पूनम दलाल देश की उन हजारों महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जो जरा सी मुश्किल आते ही हौसना छोड़ देती हैं। लेकिन पूनम दलाल ने तो अपने जज्बे तथा हौसले को कभी कम नहीं होने दिया। यूपीएससी में सिलेक्ट होने से पहले पूनम हरियाणा में डीएसपी के पद पर भी रही हैं। फिलहाल वो इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमीशन के पद पर कार्यरत हैं।

सफलता कठिन संघर्षों से पाई

पहली बार यूपीएससी करने के बाद से पूनम को रेलवे में आरपीएफ की रैंक मिली। जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया तथा दोबारा से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। दूसरी बार भी उन्हें पास होने पर कम रैक के चलते रेलवे ही मिला। मगर इससे भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया और तीसरी बार तैयारी करना बेहतर समझा।

दरअसल तीसरी बार में उनके साथ किस्मत ने खूब मजाक किया। यूपीएससी में जनरल श्रेणी के लिए अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष थी। पूनम ने जब तीसरी पर परीक्षा दी तो उनकी उम्र तय सीमा से पार हो गई थी। ये वर्ष 11 की बात है तथा Poonam Dalal Dahiya का प्रीलिम्स क्लियर नहीं हुआ था। तब उम्र सीमा के चलते यह पूनम की यूपीएससी की यात्रा वहीं समाप्त हो गई थी।

शानदार मौका दिया कुदरत ने

यहां वर्ष 2015 की बात है उस वक्त Poonam Dalal Dahiya गर्भवती थी तथा नवा महीना चल रहा था। इसके बावजूद भी उन्होंने बिना थके तथा हार माने प्रीलिम्स की परीक्षा दी। इसके बाद से जब मेंन्स का पेपर आया तो उनका बेटा ढाई महीने का हो चुका था। लेकिन जब इस बार पूनम का रिजल्ट आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि इस बार पूनम को इंडियन रिवेन्यू सर्विस मिला तथा वह इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बनी।

इस प्रकार से हरियाणा की इस दलाल कौन बन सकता है? बेटी ने अपने हौसले, जज्बे तथा कठिन परिश्रम के बल पर यूपीएससी में अपने मन मुताबिक परिणाम लाने के लिए कठिन तपस्या की तथा जिस मंजिल को वह चाहती थी उसे पाने के लिए सफलता हासिल की। ‌

Sucheta Dalal (Journalist) उम्र, Biography, पति, बच्चे, परिवार, Facts in Hindi

Sucheta Dalal

  • क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
  • क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
  • सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
  • उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
  • 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
  • एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
  • उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
  • सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
  • उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा दलाल कौन बन सकता है? क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
  • सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
  • उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
  • मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
  • 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
  • सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
  • 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
  • सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
  • उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
  • वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:

  • वह 1992 के हर्षद मेहता घोटाला, एनरॉन घोटाला, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक घोटाला, केतन पारेख घोटाले में पाए गए विभिन्न जांच मामलों पर अपने अविश्वसनीय रूप से उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं।
  • पत्रकारिता के अलावा, वह मनीलाइफ स्मार्ट सेवर्स नेटवर्क चलाते हैं, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत निवेशकों को निवेश में बेहतर और अधिक प्रतिभाशाली बनने के लिए शिक्षित करना है।
  • यह लोगों को एक क्रेडिट हेल्पलाइन के माध्यम से म्यूचुअल फंड, निवेश, बीमा क्षतिपूर्ति तंत्र और अन्य वित्तीय समस्याओं से संबंधित कठिनाइयों में भी मदद करता है।
  • उन्हें हर्षद मेहता घोटाले पर उनके काम के लिए फेमिना वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड और पत्रकारिता में उनकी श्रेष्ठता के लिए मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चमेली देवी पुरस्कार भी मिला।
  • उनकी स्थापित फाउंडेशन मनीलाइफ फाउंडेशन को प्रतिष्ठित 10वें एमआर पाई मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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