छोटे और पीले नाखून व्यक्ति के मक्कार स्वभाव को प्रदर्शित करते हैं, जबकि गोलाकार नाखून व्यक्ति के सशक्त विचारों व तुरंत निर्णय लेने की क्षमता को बताते हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी, यह वह स्थिति है, जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता। इस स्थिति में श्रमिक के पास कोई विकल्प नहीं होता बल्कि किसी खास काम को करने की मजबूरी होती है।
उदाहरण:
(i) ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। इसलिए, यहां तक कि अगर हम कुछ लोगों को (कृषि व्यवसाय से) बाहर ले जाते हैं, तो उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
(ii) शहरी क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र में हजारों अनियत कर्मचारी हैं जहां वे पूरे दिन काम करते हैं परन्तु बहुत कम कमा पाते हैं, एक ही दुकान पर आपको कई भाई काम करते मिल जाएँगे। उनको अलग अलग दुकान चलाना चाहिए लेकिन सही अवसर के अभाव में उन्हें एक ही दुकान पर काम करने को बाध्य होना पड़ता है।
नाखूनों को देखकर ऐसे जानें अपना भविष्य
- नई दिल्ली,
- 08 मार्च 2018,
- (अपडेटेड 08 मार्च 2018, 3:25 PM IST)
नाखून भले ही डेड सेल से बने हों, लेकिन फिर भी ये हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. समुद्र शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के नाखून देखकर भी उसके स्वभाव के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है. नाखून के अनुसार जानिए कैसा होता है किसका स्वभाव-
उत्तम नाखून जो आर्थिक उन्नति और अमीरी को दर्शाते हैं उनके विषय में कहा गया है कि, जिनके नाखून रेखा और धब्बा रहित चिकने और लालिमा युक्त होते हैं वह धनवान होता हैं. नाखून का आकार उंगली के पहले पोर का आधा होना उत्तम माना गया है.
छोटी-छोटी बातों पर भी आपको ज्यादा गुस्सा क्यों आता है? जानें गुस्सा कंट्रोल करने के खास टिप्स
Written by: Monika Agarwal Updated at: Apr 04, 2022 18:01 IST
आज की इस व्यस्त जीवनशैली में काम के तनाव के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत अधिक प्रेशर में रहने लगा है। जिसकी वजह से अक्सर छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ाना एक आम समस्या बन गया है। लेकिन यह चिड़चिड़ाहाट कभी-कभी विकराल गुस्से का रूप ले लेती है। क्या आपके साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है? अगर आपका जवाब हां है तो आपके लिए एक चिंता का विषय है। आपके लिए बेहद जरूरी है यह जानना कि आपको इतना गुस्सा क्यों आता है क्योंकि इसकी वजह से आप हाई ब्लड प्रेशर दिल संबंधी रोग डिप्रेशन आदि रोगों से घिर सकते हैं। इससे दूसरों पर भले ही कुछ समय के लिए असर पड़ रहा हो लेकिन इन कुछ पलों में जो हमारा खून जलता है वह हमारे लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अगर ज्यादा गुस्सा आता है तो कुछ तकनीकों जैसे गहरी सांसे लेना या फिर मेडिटेशन करने से गुस्से को शांत किया जा सकता है। जानते हैं विस्तार से।
क्यों आता है अधिक गुस्सा
गुस्सा हर किसी को आता है और हर किसी का इससे डील करने का तरीका अलग अलग हो सकता है। कुछ लोगों को कम गुस्सा आता है और वह अपने परिवार वालो से थोड़ा बहुत नाराजगी दिखा कर ही गुस्से को शांत कर लेते हैं। तो कुछ लोग गुस्सा में आसमान सिर पर उठा लेते हैं और वह गुस्सा आने के बाद चीजों को इधर-उधर फेंकते हैं। खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। कुछ लोगों का गुस्सा रोने के बाद ही शांत होता है। कभी कभार किसी बात पर गुस्सा आना ठीक है लेकिन अगर रोजाना ही बेवजह गुस्सा होते रहते हैं तो इस स्थिति को ठीक करना भी काफी जरूरी बन जाता है।
गुस्से को नियंत्रित करना क्यों है जरूरी?
अपने गुस्से को शांत करने के लिए दूसरों को मारना, उनसे लड़ाई झगड़ा करना या फिर किसी चीज को तोड़ना अच्छा तरीका नहीं होता। इसलिए गुस्से को शांत करना ताकि आप दूसरों को भी कोई नुकसान न पहुंचा सके काफी आवश्यक हो जाता है। इन तरीकों में कुछ थेरेप्टिक प्रक्रिया भी शामिल होती हैं जो आपको यह समझने में मदद करती हैं कि जो आप कर रहे हैं उसका कोई लाभ नहीं है। आपके गुस्से के कारणों को शांत करना भी इसी प्रकार के उपचार में शामिल होता है। इसलिए अपने आप को शांत करें और किसी प्रोडक्टिव काम में लगा दें।
गुस्सा शांत करने की कुछ टिप्स
- योग ट्राई करें।
- जब तक आपको शांत महसूस नहीं होता तब तक लंबी लंबी सांस ले।
- अपने आप को रिलैक्स रहने के लिए बोलें।
- चिल्लाने की बजाए आराम से बात करने की कोशिश करें।
- अपने आप को थोड़ा ब्रेक दे और जो चीज आपको पसंद है वह करें।
कब डॉक्टर की सलाह लें
जब गुस्से की वजह से आप मानसिक और शारीरिक रूप से भी बीमार महसूस करें तो इसका मतलब है अब प्रोफेशनल की सहायता लेने का समय आ गया है। लेकिन इस स्थिति को कैसे पहचान सकते हैं यह सवाल भी आपके मन में जरूर आया होगा। तो अगर आपको निम्न लक्षण दिखते हैं तो तुरंत गुस्से को कंट्रोल करने की पहल करें।
- ब्लड प्रेशर लेवल का अधिक बढ़ना।
- धड़कन का ज्यादा तेज होना।
- मसल्स में टाइटनेस होना या अकड़ना।
- अपनी सुध बुद्ध खोना।
- गुदगुदाहट महसूस होना।
- मानसिक रूप से आपको काफी फ्रस्ट्रेशन महसूस होगी और आप सारा दिन चिड़चिड़ा महसूस करेंगे।
- आपके व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलेगा और एंजाइटी जैसे लक्षण भी दिखेंगे।
Road Safety: क्या आप जानते हैं सड़क पर बनी White और Yellow Line के बारे में? पढ़िए ये खास खबर
- News18 हिंदी
- Last Updated : December 23, 2022, 18:18 IST
हाइलाइट्स
सड़क पर बनी दो पीले लाइन का मतलब इस स्थान पर ओवरटेक करने से बचना है.
पीले रंग की पट्टी आने पर पीछे से आने वाली गाड़ियों को साइड देना चाहिए.
जहां भी सफेद रंग की टूटी हुई लाइन बनी हुई हो वहां लेन बदल सकते हैं.
नई दिल्ली: सड़क पर गाड़ी चलाते समय अक्सर लोग इसके ऊपर बनी लाइन को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं. आमतौर पर ऐसा नहीं ड्राइवर के साथ होता है. सड़क पर अलग-अलग लेन का बंटवारा करने के लिए पीले और सफेद रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. अक्सर लोग इन्हीं दो रंगों के बीच ये समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें इन स्थानों पर क्या करना चाहिए. क्या आपको भी सड़क पर गाड़ी चलाते समय इन पीली लाइनों को समझने में परेशानी होती है.
सड़क पर दुर्घटना होने से बचने के लिए इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है. अगर आप एक नए ड्राइवर हैं तो पीले और सफेद लाइनों के बारे में जरूर जान लें.
घर खरीदने या किराये पर लेने में शुरुआती खर्च
अगर आप दिल्ली या नोएडा में 60 लाख रुपये तक का फ्लैट किराये पर लेते हैं तो आपको हर महीने औसतन 12-17 हजार रुपये का भुगतान करना होगा. इसमें मेंटेनेंस फीस भी शामिल है. वहीं, अगर आप यही घर खरीदते हैं तो आप 60 लाख रुपये की कीमत पर 15 लाख रुपये डाउन पेमेंट करेंगे. बाकी 45 लाख रुपये आप बैंक से होम लोन लेंगे. इस पर आपको करीब-करीब 40-45 हजार रुपये तक ईएमआई चुकानी होगी. साफ है कि घर खरीदने पर आप पर एकसाथ दो बड़े खर्च का बोझ पड़ेगा. पहला, एकमुश्त दिया जाने वाला डाउन पेमेंट और इसके बाद हर महीने की भारी-भरकम किस्त. वहीं, रेपो रेट बढ़ने या घटने का असर ईएमआई पर भी पड़ेगा.
अगर आप 20 साल की अवधि का होम लोन लेकर आज कोई प्रॉपर्टी 60 लाख लंबी और छोटी स्थिति को समझना रुपये में खरीदते हैं तो कर्ज खत्म होते इस घर की कीमत आपको दोगुने के आसपास पड़ती है.
घर की कीमत – 60 लाख रुपये
डाउन पेमेंट – 15 लाख रुपये
औसत ईएमआई – 45,000 X 12 X 20 = 1,08,00,000 रुपये
कुल कीमत – 1,23,00,000 रुपये
मकान-फ्लैट के दाम में हो रहा कम इजाफा
आप अपने घर के लिए किए गए ज्यादा भुगतान को सही साबित करने के लिए ये तर्क भी दे सकते हैं कि अगले 20 साल में उसकी कीमत में भी बड़ा उछाल आएगा. हम आपको बता दें कि हाल के वर्षों के ट्रेंड को देखते हुए कहा जा सकता है कि पहले की तरह अब प्रॉपर्टी के दाम में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो रही है. पहले 4 या 5 साल में प्रॉपर्टी की कीमत दोगुना हो जाती थी, लेकिन अब 10 साल में दोगुना होने का दावा भी नहीं किया जा सकता है.
मौजूदा दौर में ज्यादातर युवा तेजी से नौकरी बदलने में ज्यादा भरोसा करते हुए नजर आते हैं. इससे उन्हें पद और वेतन दोनों में तेजी से बड़ा फायदा मिल जाता है. इसमें सबसे बड़ी बात यही है कि आपके बहुत लंबे समय तक एक लंबी और छोटी स्थिति को समझना ही शहर में रहना भी तय नहीं होता है. कुछ लोगों को तो ये भी पक्का पता नहीं होता कि वे भारत में कब तक काम कर पाएंगे. इसके अलावा दिल्ली, मुंबई जैसे कुछ शहर इतने बड़े हैं कि उनमें एक जगह से दूसरी जगह जाने में ही घंटों का वक्त लग जाता है. ऐसे में आपको यह खुद तय करना होगा कि आपको किराये पर घर लेना है या अपना घर खरीदना है.
कोरोना के बाद काफी बदली है तस्वीर
रियल एस्टेट एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद लोगों के लिए अपना घर फाइनेंशियल से ज्यादा सिक्योरिटी और मानसिक सुकून का मामला बन गया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली एनसीआर में कोरोना के बाद फ्लैट की कीमतों में औसतन 20 फीसदी और जमीन के दाम में औसतन 80 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि इस समय लोगों की प्रायॉरिटी में अपना घर खरीद लेना है; यही नहीं, लोगों को अगर 2 बेडरूम, हॉल, किचिन फ्लैट की जरूरत है तो वो 3 बेडरूम, हॉल, किचिन का फ्लैट खरीद रहे हैं. उनके मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान विदेश में नौकरी करने वाले लोगों को भी ये समझ आया कि भारत में भी उनके पास कम से कम एक प्रॉपर्टी होनी चाहिए.
अगर आप घर नहीं खरीदना चाहते हैं तो जिस फ्लैट में किराये पर रह रहे हैं उसकी ईएमआई कैलकुलेट करें. फिर उसमें से किराया घटाकर बाकी रकम एसआईपी में डाल सकते हैं. अब मान लीजिए कि आप किसी फ्लैट में 20,000 रुपये किराया लंबी और छोटी स्थिति को समझना देकर रहते हैं. इस घर को खरीदने पर आपको 45 हजार रुपये ईएमआई देनी होगी. अनुमानित ईएमआई में से किराया घटाएंगे तो 25 हजार रुपये बचेंगे. इस रकम को हर महीने सिप में निवेश करते रहें. अगर इस निवेश पर औसत 12 फीसदी सालाना रिटर्न मिले और कंपाउंडिंग का रूल लगाएं तो 20 साल में आपके पास 1 करोड़ से भी ज्यादा रकम इकट्ठी हो जाएगी. वहीं, अगर डाउन पेमेंट के 15 लाख को एकमुश्त निवेश कर दें तो कई निवेश विकल्पों में ये रकम भी तगड़ा रिटर्न दे देगी.
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