डीकंपोजर खाद-बीज के शोधन में भी काम आता है। एक शीशी डीकंपोजर से 20 किलो तक बीज का शोधन हो जाता है। एक शीशी डिकम्पोस्ट को 30 ग्राम गुड़ में मिश्रित कर देने से इससे 20 किलो तक बीज का शोधन हो जाता है। शोधन के आधा घंटा बाद बीज की बुआई की सकती है। कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए एक टन कूड़े-कचरे में 20 लीटर घोल छिड़क दीजिए। इसके बाद इसके ऊपर एक परत बिछाने के बाद उस पर घोल का छिड़काव कर दीजिए। इसके बाद उसे ढक कर छोड़ दीजिए। जब चालीस दिन बीत जाए तो उसका कम्पोस्ट खाद के रूप में आराम से इस्तेमाल करिए।
Перевод "तरल" на малаялам
ദ്രവം — это перевод «तरल» на малаялам. Пример переведенного предложения: इसके साथ ही भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ लीजिए। ↔ ധാരാളം വെള്ളം കുടിക്കുകയും വേണം.
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Автоматический перевод " तरल " в малаялам
शोधकर्ताओं ने १९८६ से १९९४ के बीच अमरीका में ८०,००० से अधिक नर्सों के आहार पर नज़र रखी। उन्होंने पाया कि पथरी से बचने के लिए कुछ तरल पदार्थ दूसरे तरल पदार्थों की तुलना में अधिक सहायक हो सकते हैं, साइंस न्यूज़ रिपोर्ट करती है।
ഐക്യനാടുകളിൽ നിന്നുള്ള 80,000-ത്തിൽ അധികം നേഴ്സുമാരുടെ ആഹാരക്രമത്തെ കുറിച്ച് 1986-നും 1994-നും മധ്യേ നടത്തിയ ഒരു പഠനത്തിൽനിന്ന്, ചില പാനീയങ്ങൾ മറ്റുള്ളവയെ അപേക്ഷിച്ച് വൃക്കയിൽ കല്ലുണ്ടാകാനുള്ള സാധ്യത കുറയ്ക്കുന്നുവെന്ന് ഗവേഷകർ കണ്ടെത്തിയതായി ശാസ്ത്ര വാർത്ത (ഇംഗ്ലീഷ്) റിപ്പോർട്ടു ചെയ്യുന്നു.
यह भी याद रखिए कि शहद में 18 प्रतिशत पानी होता है। इसलिए आप जो भी बना रहे हैं उसमें उसके हिसाब से कम पानी या तरल पदार्थ डालिए।
തേനിൽ 18 ശതമാനത്തോളം വെള്ളമായതിനാൽ തേൻ ചേർത്തു പാകം ചെയ്യുമ്പോൾ അതിനനുസരിച്ചു ദ്രാവകങ്ങളുടെ അളവു കുറയ്ക്കുക.
दाना-पानी: तरल आहार और हरा-भरा उपमा
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मानस मनोहर
होली के बाद का मौसम सेहत की दृष्टि बहुत संवेदनशील होता है। आयुर्वेद के अनुसार खासकर वात प्रकोप वाले लोगों को इस मौसम में हल्का भोजन ही करना तरलता ढेर हो जाती है चाहिए। गरिष्ठ भोजन कब्ज पैदा करता है। नाश्ता और रात का भोजन कम से कम तेल-घी वाला करें, तो पाचन तंत्र सुचारु रूप से काम करता है और उदर विकार की संभावना कम रहती है। जहां तक संभव हो, इस मौसम में अन्न कम और फल तथा सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। इसलिए इस मौसम में नाश्ते के रूप में क्या लिया जा सकता है, तरलता ढेर हो जाती है पेश हैं कुछ उसी के अनुरूप व्यंजन।
तरल आहार
यह मौसम न तो अधिक गरम होता है और न अधिक ठंडा। इसलिए इसमें कुछ ऐसे बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो जुकाम, खांसी, अपच जैसी समस्याएं पैदा करते हैं। उनसे बचने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखना जरूरी होता है। इसलिए खासकर पेय पदार्थ लेते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि वे ठंडा न हों, या उनमें बर्फ डाल कर पीने की जरूरत न महसूस हो। इस मौसम में नाश्ते के तौर पर सत्तू का सेवन अधिक मुफीद होता है। सत्तू एक ऐसा खाद्य है, जिसमें नीबू और संतरा का रस मिला कर पीया जा सकता है। इस तरह अन्न और फल के रस दोनों का अद्भुत संगम बनता है। दो गिलास सत्तू पी लें, तो नाश्ते की जरूरत पूरी हो जाती है। दिन भर तरोताजा और हल्का महसूस करेंगे। सत्तू सहज ही बाजार में मिल जाता है। आमतौर पर लोग सत्तू का मतलब सिर्फ चने का सत्तू समझते हैं, पर सत्तू सही अर्थों में कई चीजों को मिला कर बनता है। पारंपरिक तरीका है कि जौ, चना, मूंग, मटर और मोठ को बराबर मात्रा में भून कर पीस लिया जाए। ऊपर से उसमें भुना हुआ जीरा पीस कर डाला जाए। मगर शहरों में ऐसा सत्तू बनाना मशक्कत भरा काम है। इसलिए जब भी सत्तू खरीदें तो चने के साथ जौ का सत्तू जरूर लें। दोनों को मिला कर रख लें। चने की तासीर गरम होती है, तो जौ की ढंडी। दोनों का मेल पेट के लिए उत्तम है।
पेट्रोल में निकल रहा है पानी जैसा तरल पदार्थ
इंदौर। इन दिनों अजीबोगरीब शिकायत सामने आ रही है कि दो पहिया वाहनों में डाले जा रहे पेट्रोल में पानी मिला हुआ है। इसकी वजह से गाड़ी स्टार्ट नहीं हो पाती है। ये शिकायत इस हद तक बढ़ गई है कि पेट्रोलियम कंपनियों से लेकर खाद्य अधिकारी तक जांच में जुट गए हैं। फौरी तौर पर यह कारण सामने आया है कि पेट्रोल में मिलाया जा रहा इथेनॉल केमिकल रिएक्शन से पानी में बदल रहा है। इससे वाहन स्टार्ट होने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं।
ऑटो गैरेजों पर मरम्मत के लिए आ रहे वाहनों में कुछ समय से ऐसे दो पहिया की संख्या अचानक बढ़ गई है, जो स्टार्ट नहीं हो रहे हैं। जब मेकेनिक पेट्रोल टैंक के सप्लाई पाइप को खोलते हैं तो इसमें से पहले पानी निकलता है। ऑटोमोबाइल और मेकेनिकल इंजीनियरों के मुताबिक, पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा ज्यादा होने से यह दिक्कत पैदा हो रही है। शिकायतें सामने आने के बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल पम्पों की जांच भी शुरू कर दी है। हाल ही में धार, कुक्षी, बड़वाह और इंदौर जिले में सांवेर रोड पर पेट्रोल पम्पों से सैंपल लिए गए। मालवा में इंदौर और रतलाम के पेट्रोलियम कंपनियों के डिपो में इथेनॉल मिलाया जाता है। इसे ब्लेंडिंग की प्रक्रिया कहते हैं। इंदौर में मांगलिया क्षेत्र में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तीनों के डिपो हैं। यहां से इंदौर संभाग के सभी जिलों के पेट्रोल पम्पों पर पेट्रोल की आपूर्ति की जाती है। इथेनॉल खरीदने के लिए ऑल इंडिया स्तर पर टेंडर होते हैं।
कान बहने का घरेलू इलाज
भाप (Steam)
कान में भाप तरलता ढेर हो जाती है देने से इयर वैक्स बाहर निकल जाता है जिससे इयर डिस्चार्ज से छुटकारा मिलता है। एक कटोरे पानी को उबालें और फिर भाप को कान के अंदर लें। इस उपाय को करने में कोई परेशानी हो रही है तो इसे बिल्कुल न करें। ध्यान रखें कि, कान के भीतर एक भी बूँद पानी नहीं जाना चाहिए।
नीम का तेल
नीम का तेल एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर होता है जो कान बहने के साथ कान में इन्फेक्शन के खतरे को भी कम कर देता है। रुई लें और नीम के तेल में भिगो दें। अब रुई को कान के भीतर रखें। ऐसा करने से कान बहना बंद हो जाता है।
कान को झुकाएं
कान बहना रोकने के लिए आप ग्रेविटी मेथड ट्राई कर सकते हैं। इसके लिए आपको प्रभावित कान को कुछ समय तक जमीन की ओर झुकाना होता है जिससे सारा तरल पदार्थ नीचे गिर जाता है। आप ऐसा लेटे हुए भी कर सकते हैं।
ड्रायर
आप ब्लो ड्रायर की मदद से कान बहने की समस्या को रोक सकते हैं। ड्रायर की हवा सबसे धीमे स्तर पर तरलता ढेर हो जाती है कर लें और कान से लगभग 6 इंच की दूरी पर चलाएं। अगर इस उपाय को करते वक्त कान में दर्द या खुजली होती है तो न करें।
कान बहने के लिए सर्जरी (Tympanoplasty)
कान के परदे फट जाने पर या कान के परदे में छेद हो जाने पर भी इयर डिस्चार्ज की शिकायत हो सकती है। ऐसी स्थिति में घरेलू उपाय अपनाना ठीक नहीं है। इससे बहरापन या सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है।
आमतौर पर कान के परदे फट जाने पर आपको टिम्पैनोप्लास्टी की जरूरत होती है। यह एक सर्जरी है जिसके माध्यम से कान के फटे हुए परदे को दोबारा से ठीक कर दिया जाता है।
कान बहने से बचाव – Prevention from ear discharge in hindi
ओटोरिया से बचने के लिए ये टिप्स फॉलो करें-
- संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने पर आपके कान में दर्द और कान बहने की शिकायत हो सकती है। कान बहने की समस्या से बचना चाहते हैं तो बीमार व्यक्ति के साथ न रहें।
- कान साफ़ करते वक्त खास ख्याल रखें। किसी कठोर या नुकीली वस्तु को कान के भीतर न डालें।
- स्विमर्स को हमेशा कान बहने की शिकायत होती रहती है। इसलिए पानी से निकलने के बाद उन्हें अच्छी तरह कान को सुखा लेना चाहिए। कान के संक्रमण को रोकने के लिए आप तैरने के बाद इयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए किसी डॉक्टर की सलाह लें।
- अत्यधिक शोर वाले क्षेत्र में जाने से बचें। अगर जाने की मजबूरी है तो अपने कानों को कपड़े से बाँध लें, ताकि कम से कम शोर आपके कानों तक पहुंचे।
निष्कर्ष- Conclusion
कान बहने के कई कारण हो सकते हैं और इसके लक्षण या इलाज इन्ही कारणों पर निर्भर करते हैं। कान बहने की समस्या इयर वैक्स के कारण हो रही है तो डॉक्टर की सलाह के बाद आप घरेलू उपाय इस्तेमाल में ला सकते हैं। लेकिन, कान के परदे फट तरलता ढेर हो जाती है जाने या कान में चोट लगने के कारण कान बह रहा है तो खुद से उपाय करने की बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलें और उचित इलाज करवाएं। कान के परदे फट जाने के बाद खुद से इलाज करते रहेंगे तो जिन्दगी भर के लिए बहरेपन का शिकार हो सकते हैं।
आप कान तरलता ढेर हो जाती है के परदे ठीक करने के लिए Pristyn Care से टिम्पैनोप्लास्टी करा सकते हैं। हमारे अनुभवी ENT सर्जन तरलता ढेर हो जाती है एडवांस उपकरणों का इस्तेमाल कर टिम्पैनोप्लास्टी करते हैं जिससे आप कुछ ही घंटों में रिकवर हो सकते हैं। Pristyn Care अपने रोगियों को डाइग्नोसिस में 30 प्रतिशत की छूट देता है और कई सुविधाएं फ्री में उपलब्ध कराता है।
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें|
डीकंपोजर की 40 मिली लीटर की शीशी की कीमत सिर्फ 20 रुपए रखी तरलता ढेर हो जाती है गई है। इससे कुछ ही देर में सैकड़ों लीटर तरल खाद तैयार की जा सकती है। सबसे बड़ी बात ये है कि इसकी मदद से घरेलू कचरा मामूली सी मेहनत पर खाद बन जाता है।
ये डीकंपोजर तो 20 रुपए की शीशी नहीं, जादू की पुड़िया जैसी है। 20 रुपए में 40 मिली लीटर की शीशी और उससे सैकड़ों लीटर लिक्विड खाद तैयार। फसलों के लिए खाद की लागत किसानों की कमर तोड़ देती है, वे कर्ज के बोझ से लदे रहते हैं, लेकिन डीकंपोजर ने मानो उनकी किस्मत का दरवाजा ही खोल दिया है। इन दिनो उर्वरक बाजार में एक छोटी सी बीस रुपए की शीशी ने धमाल मचा रखा है। कृषि विज्ञानियों की यह अद्भुत खोज किसानों के लिए वरदान बन गई है।
मंदिरों के सामने रोजाना फूलों का ढेर लग जाता है। कचरे की तरह इधर-उधर फैलता रहता है। पिछले दिनो लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी जब दिल्ली के झंडेवालान देवी मंदिर पर डीकंपोजर का आनावरण किया तब पता चला कि यह शीशी तो रोजाना सौ किलो तक फूल को खाद बना देती है। दरअसल, एंजेलिक फाउंडेशन ने मंदिर के प्रबंधन की निगरानी करने वाली चैरिटेबल सोयायटी बद्री भगत झंडेवालान मंदिर सोसायटी को स्वचालित जैविक अपशिष्ट डीकंपोजर दान करने से पहले सांसद लेखी से संपर्क किया था।
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