भला क्यों न करें श्राद्ध पक्ष में खरीदारी
इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है जो 15 अक्तूबर को समाप्त हो जाएगा। श्राद्ध पक्ष को लेकर लोगों में कई धारणाएं बनी हुई हैं। मसलन यह अशुभ समय होता है, इन दिनों कोई नई चीज नहीं खरीदनी चाहिए और इन दिनों नई चीज खरीदने से पितर नाराज होते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में खरीदी गयी चीजें पितरों को समर्पित होती हैं जिसका उपयोग करना अनुचित है क्योंकि उस वस्तु में प्रेत का अंश होता है। लोगों की इस धारणा के कारण पितृ पक्ष में व्यापार की गति धीमी पड़ जाती है। जबकि शास्त्रों में कहीं भी इस प्रकार का उल्लेख नहीं मिलता है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करनी चाहिए।
श्राद्ध पक्ष अशुभ नहीं
श्राद्ध पक्ष को अशुभ मानना उचित नहीं है क्योंकि श्राद्ध पक्ष गणेश चतुर्थी और नवरात्र के बीच आता है। शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम की शुरूआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस आधार पर देखा जाए तो श्राद्ध पक्ष अशुभ नहीं है। श्राद्ध पक्ष में पितृगण पृथ्वी पर आते हैं और वह देखते हैं कि उनकी संतान किस स्थिति में हैं। संतान नई चीज खरीदती है तो पितरों को खुशी होती है क्योंकि उन्हें पता चलता है कि उनकी संतान सुखी हैं।
हालांकि पं. विनोद त्यागी का कहना है कि पितृ पक्ष में नई चीज खरीदने से इसलिए मना किया जाता है कि व्यक्ति नई चीज में ध्यान लगाकर पितृ सेवा से विमुख न हो जाए। यही कारण है कि कई भय दिखाकर इन दिनों नई चीज खरीदने से रोका जाता है। अपनी खुशियों के साथ पितृ का ध्यान भी करें तो श्राद्ध पक्ष में खरीदारी करने में कोई बुराई नहीं है।
श्राद्ध पक्ष में ऑफर का लाभ उठाएं
व्यापार की गति बढ़ाने के लिए श्राद्ध पक्ष में व्यापारियों की तरफ से कई बेहतरीन ऑफर दिये जाते हैं। अगर आप इस ऑफर का लाभ उठाना चाह रहे हैं तो मन से किंतु परंतु को निकाल दीजिए और जमकर खरीदारी कीजिए। ऐसा हम इस आधार पर कह रहे हैं क्योंकि ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शुभ मुहूर्त में खरीदारी करने से किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है। आप जिन चीजों की खरीदारी करते हैं उससे आपको सुख मिलता है और उन चीजों में वृद्धि होती है।
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष के दौरान कई शुभ मुहूर्त बने हुए हैं जिसमें खरीदारी करना आपके लिए सुखद रहेगा। 6 अक्तूबर को द्विपुष्कर एवं रवियोग बन रहा है। द्विपुष्कर योग के विषय में कहा जाता है कि इस योग में जो भी काम किया जाता है उसमें वृद्घि होती है। 14 अक्तूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि नामक शुभ योग बन रहा है। इन शुभ मुहूर्त में आप अपनी चाहत के अनुसार खरीदारी कर सकते हैं।
अगर बरकत चाहते हैं तो करें ये काम.
कई बार लोग ऐसा महसूस करते हैं कि काफी परिश्रम और प्रयत्न के बाद भी धन नहीं मिलता या मनचाही सफलता नहीं मिलती. कभी मेहनत के अनुसार आपको पैसे नहीं मिलते तो कभी मनमाफिक नौकरी नहीं मिलती. व्यापारी हैं तो व्यापार में बरकत नहीं है.
प्रज्ञा बाजपेयी
- नई दिल्ली,
- 09 जनवरी 2018,
- (अपडेटेड 09 जनवरी 2018, 5:10 PM IST)
कई बार लोग ऐसा महसूस करते हैं कि काफी परिश्रम और प्रयत्न के बाद भी धन नहीं मिलता या मनचाही सफलता नहीं मिलती. कभी मेहनत के अनुसार आपको पैसे नहीं मिलते तो कभी मनमाफिक नौकरी नहीं मिलती. व्यापारी हैं तो व्यापार में बरकत नहीं है.
यदि बातें छोड़ भी दें तो सब कुछ होने के बावजूद मानसिक शांति नहीं है. पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है. नौकरी में अस्थिरता है या मन में बेचैनी, घबराहट बनी रहती है. हो सकता है कि आपको अनावश्यक डर सताता हो. आखिर ऐसा क्यों? सभी तरह की समस्याओं के समाधान के लिए हम ऐसे उपाय बता रहे हैं, जो आपके दिलोदिमाग को शांत तो रखेंगे ही, साथ ही प्रगति के द्वार खोलकर धन की कमी भी दूर करेंगे. परिवार में फिर से खुशियां लौट आएंगी.
सुगंध से पाएं जीवन में शांति : सुगंध का जीवन आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? में बहुत महत्व होता है. सुगंध में भी इत्र की सुगंध हो तो कहना ही क्या. जरूरी नहीं है कि शरीर और कपड़ों पर सुगंध का इस्तेमाल करें. आप सुगंध के लिए घर में सुगंधित पौधे भी लगा सकते हैं. घर में गुड़-घी, गुग्गल और कर्पूर की सुगंध का इस्तेमाल करके आप घर के वास्तुदोष को तो दूर कर ही देंगे, साथ ही आपके मन में शांति का विस्तार होगा. इस नियम को समझें कि जहां शांति होती है, वहीं खुशहाली होती है.
बरकत के लिए : बरकत आती है साफ नीयत, साफ शरीर और साफ घर से. मन, शरीर और घर साफ-सुथरा और स्वच्छ रहेगा तो घर में बरकत रहेगी. साफ नीयत के लिए दान दें, साफ शरीर के लिए पंच स्नान और व्रत करें, स्वच्छ घर के लिए समुद्री नमक से पोंछा लगाएं और घर का अटाला घर बाहर कर दें.
अगर बरकत चाहते हैं तो ये काम करें.
पोंछा लगाना : सप्ताह में एक बार (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है. घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है.
'बरकत' अर्थात वह शुभ स्थिति जिसमें कोई चीज या चीजें इस मात्रा में उपलब्ध हों कि उनसे आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी वह बची रहे अर्थात अन्न इतना हो कि घर के सदस्यों सहित अतिथि आए तो वह भी खा ले. धन इतना हो कि आवश्यकताओं की पूर्ति के बावजूद वह बचा रहे.
उचित घर वह है जिसकी दिशा ईशान, उत्तर, वायव्य या पश्चिम में हो. यदि ऐसा नहीं है तो प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाएं. घर के जिस हिस्से में वास्तुदोष हो वहां कर्पूर की एक डली रख दें. उस डली से सुगंध निकलती रहेगी और वह वहां का वातावरण बदल देगी. घर के सभी सदस्यों के सोने के स्थान उचित दिशा में रखें.
घर में मोर पंख रखें. इससे भी वास्तुदोष दूर होता है. माना जाता है कि घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में मोर का पंख लगाने से भी घर में बरकत बढ़ती है. यदि मोर पंख को घर के उत्तर-पश्चिमी कोने में रखें तो जहरीले जानवरों का भय नहीं रहता है. अपनी आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? जेब या डायरी में मोर पंख रखने पर राहु दोष से मुक्ति मिलती है.
पशु-पक्षियों को प्रतिदिन भोजन खिलाएं : घर में तैयार भोजन की प्रथम रोटी गाय व अंतिम रोटी कुत्ते को नित्य नियम से खिलाएं. इसके अलावा प्रतिदिन पक्षियों और चींटियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करें. यह क्रम बंद न करें. 43वें दिन से आपके भाग्य के द्वार खुलना शुरू हो जाएंगे. पशु-पक्षियों को प्रतिदिन भोजन खिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है. इसमें भी हिन्दू धर्म में गाय, कौए, कुत्ते, चींटी और सांप को अन्य पशु और पक्षियों की अपेक्षा अधिक महत्व दिया गया है.
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एसोचैम के स्थापना सप्ताह में PM मोदी ने उद्योग जगत पर कही ये बड़ी बातें
एसोचैम के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम में PM मोदी ने रतन टाटा को अवॉर्ड प्रदान किया। इसके बाद अपने संबोधन में PM मोदी ने अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर भारत, नई टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग को लेकर ये बातें कही
Priyanka Sahu
दिल्ली, भारत। देश में महामारी कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अन्य हिस्सों में आयोजित कार्यक्रमों में वर्चुअल माध्यम से शामिल हो रहे हैं। आज 19 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्योग मंडल एसोचैम के स्थापना सप्ताह को संबोधित किया।
रतन टाटा को दिया अवॉर्ड :
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम के मौके पर PM मोदी ने टाटा समूह की ओर से रतन टाटा को ‘एसोचैम एंटरप्राइज ऑफ दी सेंचुरी अवॉर्ड’ प्रदान किया। तो वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में उद्योग जगत पर कही ये बड़ी बातें कही।
अर्थव्यवस्था पर बोले PM मोदी :
मैन्युफेक्चरिंग पर हमारा विशेष फोकस :
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे ये भी कहा कि, ''नया भारत आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? अपने सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए, अपने संसाधनों पर भरोसा करते हुए आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ा रहा है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैन्युफेक्चरिंग पर हमारा विशेष फोकस है। मैन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए हम निरंतर सुधार कर रहे हैं। भारत की सफलता को लेकर आज दुनिया में जितनी पॉजिटिविटी है उतनी शायद आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? कभी आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? नहीं रही। ये पॉजिटिविटी 130 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों के अभूतपूर्व आत्मविश्वास से आई है।''
PM मोदी द्वारा कही गई बड़ी बातें-
हमारा चैलेंज सिर्फ आत्मनिर्भरता ही नहीं है, बल्कि हम इस लक्ष्य को कितनी जल्दी हासिल करते हैं, ये भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
एक जमाने में हमारे यहां जो परिस्थितियां थी, उसके बाद कहा जाने लगा था- वाय इंडिया (भारत ही क्यों)। अब जो सुधार देश में हुए हैं, उनका जो प्रभाव दिख रहा है, उसके बाद कहा जा रहा है- वाय नॉट इंडिया (भारत क्यों नहीं)।
आने वाले 27 साल भारत के ग्लोबल रोल को ही तय नहीं करेंगे, बल्कि ये हम भारतीयों के सपने और समर्पण, दोनों को टेस्ट करेंगे। ये समय भारतीय उद्योग के रूप में आपकी क्षमता, प्रतिबद्धता और साहस को दुनिया भर को दिखा देने का आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? है।
इसलिए आज वो समय है, जब हमें प्लान भी करना है और एक्ट भी करना है। हमें हर साल के लिए, हर लक्ष्य को राष्ट्र निर्माण के एक बड़े लक्ष्य के साथ जोड़ना है।
आने वाले वर्षों में आत्मनिर्भर आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? भारत के लिए आपको पूरी ताकत लगा देनी है। इस समय दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रही है। नई टेक्नॉलॉजी के रूप में चुनौतियां भी आएंगी और अनेक समाधान भी।
बीते 100 सालों से आप सभी ने देश की अर्थव्यवस्था को करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने का काम किया है।
कब हुई थी एसोचैम की स्थापना :
जानकारी के लिए बताते चलें कि, एसोचैम की स्थापना देश के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमोटर मंडलों द्वारा साल 1920 में की गई थी, इस संगठन में 400 से ज्यादा चैंबर और व्यापारिक संघ शामिल हैं। देशभर में इसके सदस्यों की संख्या 4.5 लाख से अधिक है और इस संगठन की शुरुआत मुख्य रूप से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दोनों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
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