विदेशी निवेशकों के बीच भारतीय पूंजी बाजार की चमक कायम, अगस्त में हुआ ₹47,334 करोड़ का FPI निवेश

अगस्त में अब तक विदेशी निवेशक इंडियन कैपिटल मार्केट में नेट बायर बने रहे हैं।

अगस्त में अब तक विदेशी निवेशक इंडियन कैपिटल मार्केट में नेट बायर बने रहे हैं। ग्लोबल मार्केट में अतिरिक्त नकदी और कम ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेशकों का रुझान उभरे बाजारों भारत में पूँजी बाजार की तरफ बढ़ा है। भारतीय पूंजी बाजार में विदेशी निवेशकों ने अगस्त में अब तक नेट बेसिस पर 47,334 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

डिपॉजिटर्स की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI)ने अगस्त में अब तक equities segment में 46,602 करोड़ रुपये का नेट इंवेस्टमेंट किया, जबकि debt segment में 732 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। FPI ने तीन अगस्त से 28 अगस्त के बीच कुल 47,334 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले FPI लगातार दो महीनों में नेट बायर रहे थे। उन्होंने जुलाई में 3,301 करोड़ रुपये और जून में 24,053 करोड़ रुपये का निवेश किया। कोटक सिक्योरिटीज की कार्यकारी उपाध्यक्ष रुस्मिक ओझा ने कहा कि FPI इस सप्ताह भारत और दक्षिण कोरिया को छोड़कर अधिकांश उभरते और एशियाई बाजारों में नेट सेलर रहे हैं। इस महीने अब तक और इस साल अब तक आधार पर देखें को भी FPI अधिकांश उभरे बाजारों में नेट सेलर ही रहें है लेकिन भारत इसका अपवाद रहा है जहां FPI ने भरपूर खरीदारी की है।

Groww के co-founder और COO हर्ष जैन ने बताया कि इस साल अप्रैल से अब तक FPI ने equities में 80,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें आधे से ज्यादा निवेश अकेले अगस्त में हुआ है। Morningstar India के associate director - manager research हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि दूसरे कारणों के साथ ही ग्लोबल मार्केट में अतिरिक्त नकदी और कम ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेशकों का रुझान भारती बाजार की तरफ बढ़ा है। हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक भारतीय इक्विटी बाजार विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है जिसके चलते वे भारत की तरफ रुख कर रहे हैं।

हर्ष जैन ने कहा कि हाल ही में आए QIP,FPO और IPO ने भी भारत में भारी मात्रा में विदेशी पूंजी को आकर्षित किया। विदेशी निवेशक भारत में पूँजी बाजार ऐसी भारतीय कंपनियों में पैसे डाल रहे हैं जो उनकी नजर में बेहतर पिक हैं और जिनके COVID-19 संकट से अस्थाई रुप से प्रभावित होने का अंदाजा है। वास्तव में इस नजरिए से अप्रैल में FPI ने जहां निवेश किया था वहां से उनको शानदार रिटर्न भी मिला है।

पूंजी बाजार से मिलेनियल्स का परिचय कराना और स्मार्ट निवेशकों का एक समुदाय बनाना - प्रभाकर तिवारी, सीजीओ, एंजल वन लिमिटेड

पूंजी बाजार से मिलेनियल्स का परिचय कराना और स्मार्ट निवेशकों का एक समुदाय बनाना - प्रभाकर तिवारी, सीजीओ, एंजल वन लिमिटेड

देश में कुल जनसंख्या की तुलना में इक्विटी में निवेश को देखा जाए तो इसमें व्यापक अंतर है। वर्तमान में भारत की लगभग 7% आबादी की इक्विटी बाजारों तक पहुंच है, जबकि चीन में 14% से अधिक और संयुक्त राज्य अमेरिका में 65% से अधिक आबादी की शेयर बाजारों तक पहुंच है। भारत की लगभग 65% आबादी गैर-शहरी क्षेत्रों में निवास करती भारत में पूँजी बाजार है, जो अभी तक बाजार की पहुंच से बाहर है और यह अपने आप में एक बड़ा बाजार है। विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करने वाले लोगों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से इस अंतर को कम किया जा सकता है। श्री प्रभाकर तिवारी, सीजीओ, एंजल वन लिमिटेड

पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय शेयर बाजार निवेशकों की विस्तृत श्रृंखला के निवेश से गुलजार रहा है। शेयर बाजार में निवेश में निवेशकों की अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ती संख्या की एक असाधारण विशेषता मिलेनियल्स द्वारा निभाई गई भूमिका है। कैलेंडर वर्ष 2020 में, भारत में डीमैट खातों में 10 मिलियन से अधिक की वृद्धि हुई और इस इजाफे का मुख्य श्रेय वास्तव में युवाओं को जाता है।

इक्विटी निवेश में मिलेनियल्स की बढ़ी हुई दिलचस्पी भारत के पूंजी बाजारों को और अधिक गहरा कर सकती है, क्योंकि यह नया समूह पारंपरिक कम जोखिम, कम रिटर्न देने वाली संपत्ति के मुकाबले अपने निवेश में विविधता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्नत तकनीकों के साथ, नए जमाने की स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां स्मार्ट निवेशकों का एक समुदाय बना रही हैं। नीचे उन कुछ महत्वपूर्ण कारकों का उल्लेख किया गया है, जो स्मार्ट निवेशकों के समुदाय को सहायता और गति प्रदान कर रहे हैं:

मिलेनियल्स नए जमाने की तकनीकों को अपनाने के प्रति मुखर हैं

फिनटेक क्रांति के युग में, स्मार्टफोन से नियंत्रित एडवांस्‍ड और बेहतरीन एप की मदद से परिसंपत्ति प्रबंधन, निवेश, सुरक्षा विश्लेषण और पोर्टफोलियो विविधीकरण का काम पूरा किया जा सकता है। नवीनतम तकनीकों के प्रति मिलेनियल्स की ग्रहणशील प्रकृति के कारण उन्होंने अपने निवेश को आगे बढ़ाने के लिए कई नवीन तरीके खोजे हैं और जोखिम मुक्त परिसंपत्तियों के मुकाबले वे अपने निवेश को समय के साथ बढ़ाने में सफल रहे हैं।

मिलेनियल्स विश्वसनीय जानकारी के आधार पर निवेश के फैसले लेते हैं

सुझावों पर भरोसा करने के बजाय, मिलेनियल्स निवेश निर्णय लेने से पहले जानकारी की विश्वसनीयता चाहते हैं। परिष्कृत उपकरणों (नए जमाने के ब्रोकरेज हाउसों द्वारा प्रदान किए गए) की उपलब्धता के साथ, जो मौलिक और तकनीकी विश्लेषण तक आसान पहुंच प्रदान करते हैं, निवेश निर्णय लेने की समग्र प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक तेज और अधिक विश्वसनीय हो गई है।

निवेश सेवाओं की गुणवत्ता में उल्‍लेखनीय सुधार हुआ है

पिछले एक दशक में शेयर बाजार में निवेश की पूरी प्रक्रिया में बहुत बदलाव आया है। एआई और ब्लॉकचैन ने तेज सेटलमेंट, रियल टाइम निगरानी, बेहतर जानकारी और शानदार सुरक्षा उपायों के साथ ट्रेडिंग इको-सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए बहुत सारे रास्ते खोले हैं। इसके अलावा, ब्रोकर्स द्वारा अपनाए गए संचालन की पारदर्शिता ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके ग्राहकों को सेवाओं की सर्वोत्तम गुणवत्ता की पेशकश की जाती है। इससे नए जमाने के निवेशकों में ज्‍यादा से भारत में पूँजी बाजार ज्‍यादा भरोसा पैदा होता है।

बाजारों, कंपनियों और शेयरों से संबंधित शोध और डेटा पहले से कहीं अधिक सुलभ है

एनालिटिक्स के कारण सूचना और शोध की संपूर्ण उपलब्धता और गुणवत्ता में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हुई है। मिलेनियल्स के पास अब प्राथमिक और तकनीकी विश्लेषण और ऐसी जानकारी की व्याख्या तक अप्रतिबंधित पहुंच है। इसके अलावा, कई थर्ड पार्टी सेवाओं, जैसे 1) स्मॉलकेस: स्टॉक की एक पूर्व-निर्धारित श्रृंखला, 2) स्ट्रीक: सरलीकृत तकनीकी विश्लेषण, 3) सेंसिबुल: सरलीकृत विकल्प ट्रेडिंग, को अब ब्रोकरेज हाउस ने एकीकृत किया है, जिसकी पेशकश ग्राहकों को की जाती है ताकि वे अपने संपूर्ण स्टॉक ट्रेडिंग अनुभव में सुधार करें।

कुल मिलाकर पर्यावरणीय (आर्थिक) प्रभाव

लंबे समय में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के संबंध में सकारात्मक भावनाओं के साथ कम ब्याज दर व्यवस्था, अत्यधिक आशावादी मिलेनियल्स निवेशकों के निवेश को गति दे रही है। निवेशकों का यह वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स में विश्वास करता है और शेयर बाजार में निवेश के प्रति अपेक्षाकृत दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखता है। भले ही बाजार में अनिश्चितता और अस्थिरता है, लेकिन मिलेनियल्स ऐसे जोखिम को प्रबंधित करने के लिए तकनीक-सक्षम जोखिम प्रबंधन उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर सकते हैं।

सारांश
लाखों मिलेनियल्स विभिन्न उपकरणों के माध्यम से भारतीय शेयर बाजारों में निवेश कर रहे हैं। निवेशकों का यह वर्ग कहीं अधिक शिक्षित है, और इक्विटी निवेश में अस्थिरता को बेहतर ढंग से समझता है। वे बाजार के बारे में अपनी जानकारी को और बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं और निवेश निर्णय लेने के भारत में पूँजी बाजार लिए विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए उपलब्ध तकनीकों का सर्वोत्तम उपयोग करते हैं। देश में स्मार्ट निवेशकों के इस समुदाय द्वारा रिटेल निवेशकों की स्थिति को सकारात्‍मक रूप से मजबूत करने की उम्‍मीद है। साथ ही यह बिना किसी संदेह के शेयर बाजार में निवेश करने के लिए नए जमाने के निवेशकों की एक पूरी पीढ़ी तैयार कर सकता है।

अब तक का इतिहास

वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के समय, भारतीय पूंजी बाजार अपेक्षाकृत कम विकसित था । पूंजी की मांग तीव्र गति से बढ़ रही थी, तथापि पूंजी प्रदान करने वालों की कमी थी । उस समय के वाणिज्यिक बैंक दीर्घावधि पूंजी आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा करने में सक्षम नहीं थे । अर्थव्यवस्था की पूंजी आवश्यकताओं की इस कमी और मांग-आपूर्ति के अन्तराल को भरने के लिए भारत सरकार ने आईएफसी अधिनियम, 1948 के द्वारा 1 जुलाई, 1948 को दि इण्डस्ट्रियल फाइनेंस कारपोरेशन ऑफ इण्डिया (आईएफसीआई) की स्थापना की ।

आईएफसीआई भारत का प्रथम विकास वित्तीय संस्थान था जो अवस्थापना और उद्योग के विकास की मार्फत आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था । तब से आईएफसीआई ने वृद्धि व विकास के विभिन्न क्षेत्रों अर्थात् विनिर्माण, अवस्थापना और सेवाएं व कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों में निरन्तर सहयोग के द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया है । वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण ने भारतीय पूंजी बाजारों व वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए । पूंजी बाजारों की मार्फत सीधे ही निधियां जुटाने में सहयता देने के लिए आईएफसीआई को सांविधिक निगम से परिवर्तित करके भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के अधीन एक कम्पनी बनाया गया । इसके परिणामस्वरूप, कम्पनी का नाम अक्तूबर, 1999 से "आईएफसीआई लिमिटेड" किया गया ।

इसकी स्थापना से, आईएफसीआई सभी कारोबार आर्थिक चक्रों का साक्षी रहा तथा इनका सुदृढ़ता से सामना किया । आईएफसीआई विशेष रूप से भारत सरकार और अपने सभी जोखिमधारकों के निरन्तर समर्थन व सहयोग से वित्तीय स्थिति को बनाए रखने में सफल रहा । औद्योगिक व अवस्थापना क्षेत्रों को दीर्घावधि ऋण देने की अपनी मूलभूत विशेषता के अतिरिक्त, आईएफसीआई ने सलाहकारी सेवाएं प्रदान करने में भी क्षमता विकासित की है और भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे चीनी विकास निधि, एम-सिप्स, उत्पादन सम्बद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, इलेक्ट्रोनिक कम्पोनेंट्स तथा सेमीकंडक्टर्स (स्पेक्स) के लिए नोडल एजेंसी भी है । इसके अतिरिक्त, आईएफसीआई मूलभूत व गैर-मूलभूत परिसम्पत्तियों एवं निवेशों में सुधार के द्वारा अपने संगठनात्मक मूल्य में भी वृद्धि कर रहा है । भारत में पूँजी बाजार इन वर्षों के दौरान आईएफसीआई ने विभिन्न संस्थानों (अपनी कुछ सहयोग व सहयोगी कम्पनियों सहित) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो आज अपने-अपने क्षेत्रों में अग्रणी हैं जिनमें से कुछ स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इण्डिया लि. (एसएचसीआईएल), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज लि. (एनएसई), एलआईसी हाऊसिंग फाइनेंस लि., टूरिज्म फाइनेंस कारपोरेशन ऑफ इण्डिया लि. (टीएफसीआई), इकरा लि. हैं । समय के साथ बाजारों में हुए परिवर्तनों से कुछ सहायक कम्पनियों का विनिवेश किया गया और इस समय आईएफसीआई समूह में निम्नलिखित सहायक कम्पनियां हैं -

  1. स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ इण्डिया लि.
  2. आईएफसीआई वेंचर कैपिटल फंड्स लि.
  3. आईएफसीआई फैक्टर्स लि.
  4. आईएफसीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट लि.
  5. आईएफसीआई फाइनेंशियल सर्विसिज लि.
  6. एमपीकॉन

उक्त सहायक कम्पनियों के अतिरिक्त, आईएफसीआई ने अपने सामाजिक क्षेत्र के प्रयासों के अधीन निम्नलिखित संस्थाओं की भी स्थापना की हैः

पूंजी बाजार किसे कहते हैं ?

पूँजी बाजार (कैपिटल मार्केट), प्रतिभूतियों का बाजार है, जहाँ कंपनियाँ और सरकार लंबे समय के लिए धन जुटा सकते हैं। यह वह बाजार है जहाँ पैसा एक साल या इससे अधिक समय के लिए दिया जाता है। पूँजी बाजार में शेयर बाजार और बांड बाजार भी शामिल है।

पूंजी बाजार:-

एक पूंजी बाजार लंबी अवधि के निवेश के वित्तपोषण के लिए बचत की जुटाने में मदद करता है। यह प्रतिभूतियों के व्यापार में भी सहायता करता है। इसके अलावा, एक पूंजी बाजार उत्पादक वित्तीय परिसंपत्तियों के व्यापक स्पेक्ट्रम के स्वामित्व को प्रोत्साहित करके लेनदेन और सूचना लागत को कम करता है। यह शेयरों और डिबेंचर के त्वरित मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करता है।

पूंजी बाजार के प्राथमिक कार्यों में से एक व्युत्पन्न व्यापार के माध्यम से बाजार में अस्थिरता और मूल्य जोखिम के खिलाफ बीमा प्रदान करना है। पूंजी बाजार के बारे में सबसे अच्छी चीजों में से एक यह भी है कि यह निवेशकों के लिए निवेश उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है, जिससे अर्थव्यवस्था में पूंजी के निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है।

पूंजी बाजार में सुरक्षित लेनदेन व्यक्तिगत संस्थाओं के साथ-साथ व्यावसायिक संस्थानों सहित प्रतिभागियों द्वारा किए जाते हैं। पूंजी बाजार की मूल बातों के हिस्से के रूप में, चलो पूंजी बाजारों के प्रकारों को पूरा करते हैं। पूंजी बाजार मुख्य रूप से दो प्रकार के पूंजी बाजार हैं-प्राथमिक और द्वितीयक।

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हम क्या करते हैं?

कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, भारत सरकार के माध्यम से दिनांक 21.07.2015 की अधिसूचना संख्या S.O.2005(E) के माध्यम से गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) की स्थापना की गई भारत में पूँजी बाजार है। यह कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन है, जिसमें पता लगाने और मुकदमा चलाने के लिए अकाउंटेंसी, फोरेंसिक भारत में पूँजी बाजार ऑडिटिंग, बैंकिंग, कानून, सूचना प्रौद्योगिकी, जांच, कंपनी कानून, पूंजी बाजार और कराधान आदि के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं। सफेदपोश अपराधों/धोखाधड़ी पर भारत में पूँजी बाजार मुकदमा चलाने की सिफारिश करना।
एक कंपनी के मामलों की जांच एसएफआईओ को सौंपी जाती है, जहां सरकार की राय है कि कंपनी के मामलों की जांच करना आवश्यक है,
(ए) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 208 के तहत रजिस्ट्रार या निरीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त होने पर
(बी) एक कंपनी द्वारा पारित एक विशेष प्रस्ताव की सूचना पर कि उसके मामलों की जांच की आवश्यकता है
(ग) जनहित में; या केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी विभाग के अनुरोध पर
(डी) एसएफआईओ का नेतृत्व भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद पर विभाग के प्रमुख के रूप में एक निदेशक द्वारा किया जाता है। निदेशक को अतिरिक्त निदेशकों, संयुक्त निदेशकों, उप निदेशकों, वरिष्ठ सहायक निदेशकों, सहायक निदेशक अभियोजकों और अन्य सचिवीय कर्मचारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। SFIO का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जिसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में हैं।

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