अगर टाटा के मेरे पास 200 शेयर है। और कंपनी एलान करती हैं 20₹ प्रति शेयर का Dividend देंगी तो मुझे 200×20 = 4000 रूपए मिलेंगे। अब तो आप Dividend ka matlab kya hai समझ गए हैं। अब Dividनिकाले ना ज़रूरी होता है क्या? तो चलिए जानते हैं।

dividend kya hota hai

आ गए साल 2023 में मोटी कमाई कराने वाले 7 बेस्ट शेयर, क्यों और क्या करना होगा, जानिए सभी काम की बातें

Stock Picks for 2023 India : HDFC सिक्योरिटीज ने साल 2023 के लिए अपनी टॉप पिक्स जारी है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं.

2023: HDFC सिक्योरिटीज की टॉप पिक्स में ACC पहला शेयर है. यहऊपरी स्तरों से 12% नीचे आ गया है.
अडानी के खरीदने का फायदा मिलेगा. लागत में कमी आ सकती है. नई क्षमता विस्तार का असर 2023 में दिखेगा.

दूसरा शेयर भारत फोर्ज है. डिफेंस,फोर्जिंग में बड़े कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? ऑर्डर मिले हैं. कुल `240 करोड़ की क्षमता विस्तार का फायदा मिलेगा. एयरोस्पेस कारोबार में 400-1000 करोड़ आय हो सकती है.

तीसरा शेयर चेन्नई पेट्रो है. यह ऊंचाई से 53% गिर चुका है. लिहाजा वैल्यूएशन काफी आकर्षक हो गई है. रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार हो रहा है. 31580 करोड़ के कैपेक्स से फायदा भी कंपनी को मिलेगा.

Dividend kya hota hai?

डिविडेंड का हिंदी मतलब लाभांश होता है | लाभांश दो कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? शब्दों से मिलकर बना है (लाभ + अंश) यानी कि प्रॉफिट का पार्ट | जब कोई कंपनी अपने नेट प्रॉफिट का हिस्सा अपने शेयर होल्डर के साथ शेयर करती है, तो उसे डिविडेंड कहते हैं | डिविडेंड देना या ना देना यह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर तय करते हैं | डिविडेंड हमेशा फेस वैल्यू पर ही मिलता है, ना कि शेयर के प्राइस पर |

उदाहरण के लिए मान लीजिए xyz नाम की कोई कंपनी है जिसके एक शेयर की कीमत ₹1,000 है, और कंपनी का फेस वैल्यू ₹10 है, और आपके पास उस कंपनी के 20 शेयर है | तो इस हिसाब से देखें तो 10 * 20 = ₹200 आपको डिविडेंड के रूप में मिलेंगे |

ध्यान दें – ज्यादातर कंपनी अपने फेस वैल्यू को ₹10 ही रखती हैं | इसका सीधा कारण है, कि कैलकुलेशन करने में आसानी रहती है | पर कुछ कंपनी के फेस वैल्यू इससे कम और ज्यादा भी हो सकते हैं |

Dividend के टाइप

Interim Type DividendFinal Type कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? Dividend
जब कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कंपनी का quarter रिजल्ट डिस्कस करते हैं, और अगर कंपनी ने अच्छा परफॉर्म किया है | तब आपको जो डिविडेंड मिलता है, उसे interim डिविडेंड कहते है, यह साल में एक बार भी मिल सकता है या कई बार भी मिल सकता है |जब कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कंपनी की एनुअल रिपोर्ट / रिजल्ट AGM(Annual General Meeting) में डिस्कस करते हैं, और अगर कंपनी ने अच्छा परफॉर्मेंस किया है, तब आपको जो डिविडेंड मिलता है, उसे final डिविडेंड कहते है |
Interim type में डिविडेंड कम मिलता है, Final type डिविडेंड के कंपैरिजन में |Final type में डिविडेंड ज्यादा मिलता है, Interim type डिविडेंड के कंपैरिजन में |
ध्यान दें – Interim type डिविडेंड में कंपनी आपसे डिविडेंड वापस भी ले सकती है, अगर कंपनी को फाइनेंसियल ईयर में लॉस होता है | अब आप सोचेंगे डिविडेंड तो हमेशा बैंक अकाउंट में दिया जाता है, तो ऐसे में कंपनी आपसे डिविडेंड वापस कैसे ले सकती है? तो कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? हम आपको बता दें कि अगर आपने कंपनी के शेयर होल्ड करके रखे हैं, तो कंपनी आपके शेयर को कम करके अपना लॉस पूरा करती है |Final type डिविडेंड में कंपनी आपसे डिविडेंड वापस नहीं ले सकती |

Dividend का लाभ लेने के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

डिविडेंड का लाभ लेने के लिए हमें ex-dividend date से पहले शेयर को खरीद लेना चाहिए |
डिविडेंड पर शेयर के हिसाब कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? से मिलता है, मतलब आपके पास जितने ज्यादा शेयर होंगे, उतना ही ज्यादा आप डिविडेंड का लाभ उठा सकते हैं |
उदाहरण के लिए – मान लीजिए किसी xyz कंपनी के 50 शेयर आपके पास हैं | और कंपनी ने ₹10 के हिसाब से डिविडेंड देने की घोषणा की, तो इस तरह 10 * 50 = ₹500 आपने डिविडेंड से कमाए |

इसके दो कारण है – जब प्रॉफिटेबल कंपनी को लगता है, कि नेट प्रॉफिट को कंपनी की ग्रोथ में लगाया जा सकता है | तो कंपनी डिविडेंड नहीं देती या कम देती है, और जब प्रॉफिटेबल कंपनी को लगता है, कि नेट प्रॉफिट को कंपनी की ग्रोथ में लगाना मुश्किल है | तब वह डिविडेंड देती है |

Dividend Yield क्या होता है?

डिविडेंड यील्ड एक तरह का मेथड है जिससे हम यह जान सकते हैं, की किसी कंपनी ने कितना ज्यादा या कम डिविडेंड दिया है | इसका यूज करके हम बहुत ही आसानी से दो कंपनी का कंपैरिजन कर सकते हैं |

डिविडेंड यील्ड का फार्मूला होता है – Dividend per share/Current market price of one share *100

उदाहरण के लिए मान लीजिए – एक xyz नाम की कंपनी है, और एक abc नाम की कंपनी है | आइए दोनों का कंपैरिजन करते हैं, कि कौन सी कंपनी हमें ज्यादा डिविडेंड कमाने का मौका दे रही है, और कौन सी कम |

xyz कंपनीabc कंपनी
xyz कंपनी का शेयर प्राइस ₹1,000 है, और फेस वैल्यू ₹10 है |
इस कंपनी ने 200% डिविडेंड देने की घोषणा की है |
abc कंपनी का शेयर प्राइस ₹3000 है, और फेस वैल्यू ₹10 ही है |
इस कंपनी ने भी 200% डिविडेंड देने की घोषणा की है |
आइए इसे डिविडेंड यील्ड फॉर्मूले से समझते हैं –
xyz कंपनी का डिविडेंड यील्ड होगा = 10/1,000*100 = 1%abc कंपनी का डिविडेंड यील्ड होगा = 10/3,000*100 = 0.66%

डिविडेंड जरुरी क्यों होते है

डिविडेंट इन्वेस्टर को ये मैसेज देते है डिविडेंड देने वाली कंपनी में स्टेबल cash flow है और वो प्रॉफिट भी जेनेरेट कर रही है जैसे इन्वेस्टर को फेट उस कंपनी में बढ़ता है और इन्वेस्टर का फेट ही तो कंपनी के प्रोग्रेस में हेल्प करता है इसलिए डिविडेंट इतने जरुरी होते है

सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनी की बात की जाये तो इसमें ज्यादातर स्टैब्लिश कंपनी ही शामिल होती है जिन्हे ज्यादा फायदा होता है और कंपनी रेगुलर बैसेस पर डिविडेंट दिया करती है

dividend kya hota hai

अकसर ज्यादातर कंपनी इस इंडस्ट्री में आती है जैसे

  • Basic Material
  • Oil And Gas
  • Banks & Finance
  • Healthcare & Pharmaceutical
  • Utilities
  • Real State Investment Trust ( RSIT)
  • Master Limited Partnership ( MLP)

डिविडेंड की महत्वपूर्ण तारीख

आइये जानते है कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? की डिविडेंट की इम्पोर्टेन्ट डेट के बारे में जिसके बारे में आपको भी पता होना चाहिए

Announcement Date

अनाउंसमेंट डेट वह डेट होती हैं जिस दिन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स shareholders को डिविडेंड देने की घोषणा करते हैं इस तारीख को डिविडेंट दिया जायेगा

Ex- Dividend Date

एक्स डिविडेंट डेट पर डिविडेंड एलिजिबिलिटी expire हो जाती है एक्स – डिविडेंड date Record Date से 3 दिन अगर आपको किसी कंपनी का डिविडेंड प्राप्त करना है तो आपको उसके एक्स डिविडेंड डेट से पहले शेयर खरीदने होंगे तभी आपको डिविडेंड प्राप्त होगा |

डिविडेंड क्या होता है ये तो अपने जान लिया और अब जानते है की डिविडेंट कितने प्रकार के होते है

1 . Cash dividend

ये सबसे कॉमन डिविडेंड टाइप होता है जिसमे कंपनी शेयर होल्डर के ब्रोकेग अकाउंट में डायरेक्ट कॅश पेमेंट कर देती है

2 . Stock Dividend

इस टाइप में कंपनी कॅश देने के बजाए स्टॉक के एडिशनल शेयर के रूप में पे करती है |

3 . Dividend Reinvestment Programs ( DRIPS)

DRIPS की बात की जाये तो इस तरह के डिविडेंड टाइप में इन्वेस्टर डिस्काउंट पर कंपनी के स्टॉक में डिविडेंट को री इन्वेस्ट कर सकते है \

4 . Special Dividend

इस डिविडेंट की बात की जाये तो ये एक्स्ट्रा डिविडेंट यानि One time dividend पेमेंट्स होते है इन्हे regular dividend भी कहा जाता है ये डिविडेंड तब मिलते है जब कंपनी के पास unexpected cash होता है ये regular कंपनी डिविडेंट से अलग होते है क्युकी रेगुलर डिविडेंट तो रेगुलर इंटरवल्स पर रिकल होते है जबकि स्पेशल डिविडेंट एक ही बार जाता है और ये कैश अमाउंट भी रेगुलर डिविडेंट से ज्यादा हो सकते है |

डिविडेंड कब मिलता है | Devidend kab milta hai

interim devidend meaning in hindi कंपनी दो तरह से डिविडेंड देती हैं। पहला interim Dividend और दोसरा Final Dividend। कंपनी फाइनल डिविडेंड वित्त वर्ष के खत्म के बाद देती हैं। और interim Dividend को वित्त वर्ष के बीच में दे देती हैं।

शेयर होल्डर के खाता में जो शेयर धारको के Demat Account से लिंक होता है उसमे डिविडेंड का पैसा जमा कर दिया जाता है जैसे आपने अपने demat account में SBI, HDFC, ICICI का बैंक अकाउंट जोड़ा है। तो आपकी डिविडेंड अमाउंट इस खाते में आयेगी।

डिविडेंड पर कितना टैक्स लगता है

शेयर होल्डर के पास जमा डिविडेंड के पैसों पर कोई टैक्स नहीं लगता है। क्यों पहले ही कंपनी की द्वारा डिविडेंड पर Dividend Distribution Tax दे दिया जाता हैं।

अब अगर से किसी शेयर धारको को साल में 10 लाख या इससे ज़्यादा का Dividend मिला है तो इसपे टैक्स देना होगा। ये Finance act 2016 section 115BBDA के तहत कहा गया है। जो प्राप्त की गई राशि पर टैक्स 10% लगेगा । अब आपको कंपनी से 15 लाख का Dividend amount मिली है। तो इसपर Dividend tax 15 हज़ार देना होगा।

कौनसी कंपनी डिविडेंड देती हैं

कौनसी कंपनी डिविडेंड देती हैं ये जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे यहाँ से आप Dividend dene wali Company पता कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? लगा सकते हैं। और आपको नीचे Dividend provide करने वाली कंपनी की लिस्ट भी दे रखी है।

1. ITC Ltd
2. Power Grid Corporation of india Ltd
3. Telecom Tower

म्यूचुअल फंड डिविडेंड स्कीम से दूर क्यों रहना चाहिए

Mutual Fund Dividends

वर्षों पहले जब मैंने पहला म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट किया था, तो वो मैंने अपने पैसे बढ़ाने के लिए किया था। तब, म्यूचुअल फंड एजेंट, जो ख़ुद को “सलाहकार” बताता था और बैंक में RM था, उसने मुझे “डिविडेंड” प्लान के बदले “ग्रोथ” प्लान चुनने की सलाह दी- क्योंकि “ग्रोथ” प्लान लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर के लिए अनुकूल था, जबकि “डिविडेंड” कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? प्लान उन लोगों के लिए ज़्यादा अनुकूल था जो नियमित डिविडेंड इंकम चाहते थे।

मैं ऐसा मानता था कि, म्यूचुअल फ़ंड्स के डिविड़ेंड प्लान में लगाया गया पैसा, डिविड़ेंड देने वाली कंपनियो में इन्वेस्ट किया जाता होगा और उन कंपनियो से मिला डिविड़ेंड हमें दिया जाता होगा। और फिर मुझे आश्चर्य होता था कि ज़्यादातर म्यूचुअल फंड कंपनीयाँ कैसे डिविड़ेंड दे पाती हैं! ज्यादातर भारतीय कंपनियाँ वार्षिक डिविड़ेंड देती है, तो म्यूचुअल फंड कम्पनियाँ हर तीन महीने में डिविड़ेंड कहाँ से देती है?

म्यूचुअल फंड डिविडेंड की ज़रूरी बातें

  • भारतीय इन्वेस्टर को दी जाने वाली प्रत्येक इक्विटी ओरियंटेड म्यूचुअल फंड योजना में या तो ग्रोथ-प्लान या तो डिवीडेंड-प्लान का विकल्प होता है
    • डिविडेंड प्लान: इन्वेस्टर को निश्चित समय के बाद डिविड़ेंड मिलता है
    • ग्रोथ प्लान: कोई डिविडेंड नहीं दिया जाता है
    • फंड मैनेजर के पास डिविड़ेंड देना,न देना और कितना देना यह निर्णय लेने की अंतिम सत्ता होती है
      • फंड मैनेजर यह भी तय करता है कि आपको डिविड़ेंड देने के लिए ज़रूरत पड़ने पर किन शेर को बेचना है।
      • इस अमाउंट को म्यूचुअल फंड के रिझर्व से भी लिया जा सकता है, खासकर उन वर्षों में जब म्यूचुअल फंड ने उतनी अच्छी कमाई नहीं की हो।
      • म्यूचुअल फंड को डिविड़ेंड जारी करना ज़रूरी है, भले ही उसने नुकसान किया हो। क्योंकि ऐसा न करने पर कई इन्वेस्टर नाराज हो सकते है।

      NAV पर डिविडेंड का प्रभाव

      • डिविडेंड देने के विभिन्न विकल्प पहले से तय होते हैं और इन्वेस्टर उनमें से चुन सकते हैं
      • क्वार्टरली(तीन महीने) और वार्षिक सबसे आम विकल्प हैं, हालांकि कई म्यूचुअल फंड में कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? मासिक या अर्ध-वार्षिक(छह महीने) विकल्प भी उपलब्ध है
      • डिविडेंड देने के अलग-अलग प्लान में अलग-अलग NAV होती हैं, अर्थात यदि किसी में 4 डिविडेंड प्लान हैं, तो उन 4 प्लान में हर एक की अपनी अलग NAV होगी
      • इन्वेस्टर के खाते में जितना डिविडेंड जमा होता कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? है, उतनी ही रक़म उस दिन उसकी NAV में से कम हो जाती है।
      • उदाहरण के लिए,यदि स्कीम में NAV Rs100 है और कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? डिविडेंड Rs5 / यूनिट है, तो जिस दिन डिविडेंड दिया जाएगा, उसी दिन NAV Rs95 हो जाएगी
      • जब कम्पनी स्टॉक पर डिविडेंड देती हैं, तो मार्केट इसे एक मजबूत संकेत मानता है कि कंपनी इतना अच्छा प्रोफ़िट कर रही है की जिससे कम्पनी खुद का विकास करने के बाद भी कुछ रक़म इन्वेस्टर को वापस भी दे रही है।
      • इससे होता यह है की जब कंपनियां डिविडेंड देती है तो आमतौर पर इस पोज़िटिव सिग्नल के कारण स्टॉक की क़ीमत डिविडेंड की रक़म जितनी कम नहीं होती है। स्टॉक डिविडेंड के सिग्नलिंग इफ़ेक्ट के बारे में ज़्यादा जानने के लिए , यह ब्लॉगपोस्ट देखें।
      • म्यूचुअल फंड के ऊपर, सिग्नलिंग इफ़ेक्ट लागू ही नहीं होता है।
        • डिविडेंड देने पर भी NAV नहीं बढ़ती है।
        • असल में, चूंकि डिविडेंड नहीं देने से अक्सर इन्वेस्टर नाराज़ हो जाते हैं, इसलिए कई म्यूचुअल फंड को मार्केट से मजबूरन केपीटल निकालनी पड़ती है, जबकी नहीं निकालने से और फ़ायदा हो सकता था।

        डबल टैक्सेशन

        • म्यूचुअल फंड में डिवीडेंड पर पहले से ही टैक्स (DDT) लग जाता है, बाद में नहीं लगता है।
        • यदि आप इन्वेस्टमेंट से निश्चित समय पर कुछ इंकम चाहते है, तो डिविडेंड कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? प्लान के बजाय, ग्रोथ प्लान में इन्वेस्ट करके निश्चित समय पर पैसे निकालने की सिस्टम बना सकते हैं।
          • डिविडेंड के रूप में मिली हुई पूरी रक़म पर टैक्स (DDT) देने के बजाय, इस मामले में इन्वेस्टर को केवल प्रोफ़िट पर ही टैक्स देना पड़ता है।
          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स (DDT) लग जाएगा।
          • यदि इन्वेस्टर ख़ुद उसी स्टॉक में उतना ही इन्वेस्ट करता है तो डिवीडेंड पर 10 लाख से पहले कोई टैक्स नहीं लगेगा।
          • म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान में आमतौर पर डिविडेंड से इंकम पाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है। म्यूचुअल फंड ने पहले से लिखके दिया हो, तो ही उस पर ध्यान देते है।
          • इसके बजाय, म्यूचुअल फंड का ध्यान इन्वेस्टर को निश्चित समय पर निश्चित रक़म देने में ही होता है, न कि इंकम पर।
          • यदि इन्वेस्टमेंट का उद्देश्य निश्चित समय पर कुछ निश्चित पैसे निकालने का है तो यह डिविडेंड प्लान की तुलना में अधिक कर-कुशल तरीके से प्राप्त किया जा सकता है, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है।
          • दूसरी तरफ, यदि इंवेस्टमेंट से निश्चित इंकम पाने का उद्देश्य है तो फिर इन्वेस्टर को सीधे स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना चाहिए।
          • उसके लिए ऐसी कंपनियो को खोजना चाहिए जो पहले से ही डिविडेंड देती हो/बढ़ाती आई हो।
          • यदि आपको यह मुश्किल लगता है या लगातार मार्केट रिसर्च करने और अपडेट रहने का समय नहीं है, तो हमने 4 अलग-अलग स्मॉलकेस बनाए हैं जो आपके लिए यह काम करके देते है ।
रेटिंग: 4.98
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 522