• शिव लिंग मुद्रा योग करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन, वज्रासन और पद्मासन पर बैठ जाएं
  • फिर अपने बाएं हाथ को प्याले की तरह बनाएं और इसे नाभि के सामने रखें।
  • ध्यान रहे की सभी अंगुलियां एक दूसरे से जुड़ी होनी चाहिए।
  • फिर दाएं हाथ का मुक्का बनाएं और उसे बाएं हाथ के उपर रखें
  • इसके बाद दाएं हाथ का अंगूठा उपर की तरफ निकालें
  • इस मुद्रा का अभ्यास अपने हाथों को पेट की खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? सीध में रख करें।
  • इस मुद्रा को अपनी क्षमता अनुसार कितनी भी देर कर सकते हैं।
  • आपको बता दें कि दिन में दो-चार मिनट के लिए यदि आप इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो यह लाभकारी होता है।

शिव लिंग मुद्रा के फायदे कहने ही क्या, करके तो देखे, जानिए योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा से

जमशेदपुर की योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा । जागरण

शिव लिंग मुद्रा मुद्रा द्वारा शरीर को निरोगी और स्वस्थ रखते हुए शारीरिक और मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है। यदि आप सुस्ती व थकान से ग्रसित होते हैं तो इस मुद्रा का उपयोग कर खुद को उर्जावान बना सकते हैं।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : चिंता दूर करने एवं शरीर को निराेगी बनाने में लाभकारी होता है शिव लिंग मुद्रा योग। आज के समय हर व्यक्ति में तनाव व चिंता में रहना आम बात हो गई है। इसके कारण लोग डिप्रेशन का शिकार होते जा रहे हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए जमशेदपुर की योग एक्सपर्ट रूमा शर्मा बता रही हैं आसान उपाय।

रूमा शर्मा कहती हैं कि यदि आप भी तनाव या अवसाद से परेशान हैं तो आप शिव लिंग मुद्रा योग कर सकते हैं। इस मुद्रा में हाथ को एक विशेष प्रकार से रखा जाता है और शरीर की प्राण उर्जा का उपयोग करते हुए लाल लिया जाता है। रूमा शर्मा कहती हैं कि इस मुद्रा द्वारा शरीर को खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? निरोगी और स्वस्थ रखते हुए शारीरिक और मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है। यदि आप सुस्ती व थकान से ग्रसित होते हैं तो इस मुद्रा का उपयोग कर खुद को उर्जावान बना सकते हैं।

पिकनिक के नाम पर पंचायत के शिक्षकों से दो-दो हजार रुपये वसूले जाने का मामला प्रकाश में आया है।

शिव लिंग मुद्रा करने की विधि

  • शिव लिंग मुद्रा योग करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन, वज्रासन और पद्मासन पर बैठ जाएं
  • फिर अपने बाएं हाथ को प्याले की तरह बनाएं और इसे नाभि के सामने रखें।
  • ध्यान रहे की सभी अंगुलियां एक दूसरे से जुड़ी होनी चाहिए।
  • फिर दाएं हाथ का मुक्का बनाएं और उसे बाएं हाथ के उपर रखें
  • इसके बाद दाएं हाथ का अंगूठा उपर की तरफ निकालें
  • इस मुद्रा का अभ्यास अपने हाथों को पेट की सीध में रख करें।
  • इस मुद्रा को अपनी क्षमता अनुसार कितनी भी देर कर सकते हैं।
  • आपको बता दें कि दिन में दो-चार मिनट के लिए यदि आप इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो यह लाभकारी होता है।

घर की महिला भी कर सकती है अपना बिजनेस, सरकारी स्कीम से मिलेगा मौका- और भी कई बड़े फायदे

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क्या आप भी अपना बिजनेस शुरू करने का प्लान बना रहे हैं. लेकिन पैसों खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? की कमी के चलते अपना काम शुरू नहीं कर पा रहे हैं. अगर ऐसा है तो सरकार की मदद से शुरू कर सकते हैं. मतलब अब आपके पैसों की कमी आसानी से पूरी हो जाएगी. पीएम मुद्रा लोन योजना (Pm mudra loan yojana) में अगर आप अपने घर की महिला के नाम से आवेदन करते हैं तो आपको आसानी से लोन (PMMY) मिल जाएगा. आइए आपको बताते हैं इस योजना के फायदे के बारे में.

दुनिया की 5 सबसे महंगी करेंसी, डॉलर इनमे कहीं नहीं आता

सभी देशो की करेंसी का मूल्य अलग अलग होता है, इस आर्टिकल में आप 5 टॉप करेंसी के बारे में जानेंगे जो पूरी दुनिया में सबसे महँगी है. डॉलर पूरी दुनिया में सबसे वैल्यू वाली करेंसी है लेकिन ये सबसे महँगी करेंसी नहीं है.

दुनिया की 5 सबसे महंगी करेंसी, डॉलर इनमे कहीं नहीं आता

दुनिया के ज्यादातर लोग दुनिया की सबसे कीमती मुद्रा अमेरिकी डॉलर को मानते है। लेकिन असल में अमेरिकी डॉलर की वेल्यु दुनिया में सबसे अधिक नहीं है। आज के दिनों में अमेरिका का 1 डॉलर भारत लगभग 74 रुपए होता है। दुनिया में कई ऐसे देश है जहां की मुद्रा डॉलर के मुकाबले काफी अधिक है। खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? आज हम आपको बताने वाले है दुनिया के 5 ऐसे देशों के बारे में जहां के पैसे की कीमत पूरी दुनिया में सबसे अधिक है।

1.कुवैत दीनार

दोस्तों दुनिया में सबसे महंगी करेंसी कुवैत‌ दीनार को माना जाता है। आज के समय में कुवैत‌ का एक दीनार 240.43 Indian Rupee के बराबर होता है। यह दुनिया का एक अमीर देश है। जहां खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? की आय का मुख्य स्त्रोत प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल है। कुवैत‌ में ट्रेनिंग प्राप्त वर्कर खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? के लिए नौकरी मिलना काफी आसान होता है।

2.बहरीन दीनार

कुवैत के बाद बहरीन की करेंसी को दुनिया की सबसे महंगी करेंसी मानी जाती है। आज के दिनों में बहरीन की 1 दीनार 194.98 Indian Rupee होता है। बहरीन को अरब के सबसे विकासशील देशों में से एक माना जाता है। बहरीन दुनिया का 13वां सबसे अमीर देश है, जहां की आय का मुख्य स्त्रोत पेट्रोलियम है।

3.ओमानी रियाल

ओमान को दुनिया को चौथा सबसे अमीर देश माना जाता है। आज के दिनों में ओमान की करेंसी रियल की वैल्यू 191.20 Indian Rupee के आस पास होता है। ओमान में काम करने वाले विदेशी मजदूर में लगभग आधा से ज्यादा मजदूर सिर्फ भारत के ही पाए जाते है। ओमान में एक आम भारतीय मजदूर महीने का 35 से 40 हजार कमा लेता है।

4.जार्डन

जार्डन में चलने वाली करेंसी जॉर्डेनियन दीनार को दुनिया की चौथी सबसे महंगी करेंसी मानी जाती है। आज के दिनों में खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? जॉर्डन के 1 दीनार के वैल्यू 103.70 Indian Rupee होता है। जार्डन दुनिया के अमीर देशों में शामिल नहीं है लेकीन यहां की सरकार की कानून और व्यवस्था की वजह से यह एक विकास शील देश है।

5. इंग्लैंड करेंसी

इंग्लैंड में चलने वाली करेंसी ब्रिटिश पाउंड खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? को दुनिया की पांचवी सबसे महंगी करेंसी मानी जाती है। आज के दिनों में एक पाउंड की कीमत 97.53 Indian Rupee होता है। एक जमाने में ब्रिटेन दुनिया की एक तिहाई हिस्से पर शासन कर चुका है।

भारतीय मुद्रा का इतिहास, सोने-चांदी से सिक्कों से आधुनिक सिक्कों तक

भारतीय मुद्रा का इतिहास, सोने-चांदी से सिक्कों से आधुनिक सिक्कों तक

इसके बाद मौर्य साम्राज में चंद्रगुप्त मौर्य ने चांदी, सोने, तांबे और सीसे के सिक्के चलवाए। इस समय चांदी के सिक्के को रुप्यारुपा, सोने के सिक्के को स्वर्णरुपा, तांबे का सिक्के को ताम्ररुपा और सीसे के सिक्के को सीसारुपा कहा जाता था।

इसके बाद इंडो-ग्रीक कुषाण राजाओं ने सिक्कों पर तस्वीरें अंकित करने की शुरुआत की। यह परंपरा अगली आठ सदियों तक चलती रही। इससे प्रभावित होकर कई राजवंशों, और राज्यों ने अपने खुद के सिक्के बनाने शुरू कर दिए।

इन सिक्कों पर एक तरफ राजा की तस्वीर छपी होती थी और दूसरी तरफ उन देवताओं की, जिन्हें वो मानते थे। सबसे ज्यादा सोने के सिक्के जारी करने का श्रेय गुप्त साम्राज्य को दिया जाता है। इनके सिक्कों में संस्कृत में लिखा होता था। 12वीं खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? शताब्दी में दिल्ली के तुर्क सुल्तानों ने सिक्कों से राजाओं की तस्वीरें हटा कर इस्लामी कैलिग्राफी में लिखना शुरू कर दिया।

इस वक्त भी सोने, चांदी और तांबे के सिक्के लोगों के बीच थे। अब इन सिक्कों को 'टंका' कहा जाता था और कम मूल्य वाले सिक्कों को 'जीतल'। इस वक्त मुद्रा का मापदंड तय होने लगा था। दिल्ली सल्तनत ने अलग-अलग मूल्य के सिक्कों को बाजार में उतारा।

मुगल साम्राज्य के प्रारंभ से यानि 1526 ईसवी से पूरे साम्राज्य के लिए एक संयुक्त और मजबूत मौद्रिक प्रणाली सामने आई। हुमायूं को हराने के बाद शेरशाह सूरी ने नए नागरिक और सैन्य प्रशासन की स्थापना की। शेरशाह ने 178 ग्रेन्स वजन का चांदी का सिक्का जारी किया।

साल 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है? आने से पहले यह सिक्का प्रसिद्ध हो चुका था। ब्रिटिश सरकार ने भारत में पाउंड लाने की कोशिश की, लेकिन रुपए के आगे ऐसा हो न सका। साल 1717 में अंग्रेजों ने मुगल राजा फारुख़सियर से ब्रिटिश मुद्रा को बॉम्बे मिंट में बनाने की इजाजत ली।

ब्रिटिश राज के सोने के सिक्कों को कैरोलिना चांदी के सिक्कों को एंगलिना और तांबे के सिक्कों को कॉपरून कहा। छोटे-छोटे सिक्कों को टिनी कहा जाता था। 18वीं शताब्दी में सबसे पहले कागज की मुद्रा को छापा गया था।

कागज की मुद्रा को सबसे पहले बैंक ऑफ हिंदुस्तान, जनरल बैंक इन बंगाल, और द बंगाल बैंक ने जारी किया। भारत का सबसे पुराना नोट, दो सौ पचास सिक्का रुपये का Bank of Bengal ने जारी किया था, 3 सितंबर 1812 की तारीख लिखी है।

मगर, 1857 के आंदोलन के ​बाद ब्रिटिश सरकार ने रुपए को औपचारिक रूप से सरकारी मुद्रा घोषित कर दिया।इन नोट और सिक्कों पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी थी। 1862 में रानी विक्टोरिया के सम्मान में उनकी तस्वीर वाले बैंक नोट छापे गए और उसके बाद कई और राजाओं की तस्वीरें छपती रहीं।

औपचारिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक 1935 में स्थापित हुआ और भारतीय सरकार की मुद्रा छपने लगी। RBI ने अब तक सबसे ज्यादा मूल्य का नोट 10,000 रुपए का जारी किया, जिसे आजादी के बाद बंद कर दिया गया।

जनवरी 1938 में भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे पहला नोट पांच रुपए का जारी किया था। इस नोट पर किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपी थी। भारत के आजाद होने के बाद 15 अगस्त 1950 को 'आना सिस्टम' सामने आया।इस वक्त ब्रिटिश राजा की तस्वीर को सारनाथ के अशोक स्तंभ से बदल दिया गया।

साल 1955 में इंडियन कॉइनेज (एमेंडमेंट) एक्ट के बाद एक अप्रैल 1957 से ‘दशमलव प्रणाली’ पेश की गई। अब एक रुपए में 100 पैसे होन लगे थे। इनका आकार ऐसा रखा गया कि नेत्रहीन लोग भी इसे पहचान लें।

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