डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है?
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करेंसी डेरिवेटिव्स क्या होते है और Zerodha Kite पर हम उसमे कैसे ट्रेड कर सकते है ?
करेंसी डेरिवेटिव्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट होते है जो एक्सचेंज पर ट्रेड होते है।
यह स्टॉक फ्यूचर्स और ऑप्शंस के समान है लेकिन करेंसी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट के अंडरलाइंग स्टॉक के बदले करेंसी पेयर्स है (यानी USDINR, EURINR, JPYINR या GPINR) हैं।
NSE का करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट 4 करेंसी पेयर्स पर करेंसी फ्यूचर्स, 3 करेंसी पेयर्स पर क्रॉस करेंसी फ्यूचर्स और ऑप्शंस और 10 साल की गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पर इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स और 91 डे ट्रेजरी-बिल्स (टी-बिल्स) जैसे डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स में ट्रेडिंग प्रदान करता है।
करेंसी डेरिवेटिव में Kite पर ट्रेड करने के लिए करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट आपके अकाउंट पर इनेबल होना चाहिए।
यदि आपके अकाउंट के लिए करेंसी सेगमेंट इनेबल नहीं है, तो आप अपना इनकम प्रूफ अपलोड करके सेगमेंट को एक्टिवेट कर सकते हैं। करेंसी सेगमेंट को एक्टिवेट करने के स्टेप्स को जानने के लिए यहां क्लिक करें।
एक बार आपका सेगमेंट इनेबल हो जाने के बाद, आप करेंसी पेयर्स के फ्यूचर्स और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को अपनी वॉचलिस्ट में जोड़कर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।
इन कॉन्ट्रैक्ट्स को अपनी मार्केटवॉच में जोड़ने के लिए, Kite पर यूनिवर्सल सर्च पर, करेंसी पेयर का नाम टाइप करें, उदाहरण के लिए 'USDINR' और आप ड्रॉपडाउन मेनू में करेंसी के सभी कॉन्ट्रैक्ट देख सकेंगे।
कॉन्ट्रैक्ट को जोड़ने के बाद, कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? या बेचने के लिए उस पर माउस को घुमाएँ ।
करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) को जानें
करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) विक्रेता और खरीदार के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, मुद्रा राशि से लिया जाता है। करेंसी डेरिवेटिव को विदेशी मुद्रा विनिमय दर अस्थिरता (Foreign Currency Exchange Rate Volatility) के खिलाफ किसी भी जोखिम का प्रबंधन करने के लिये सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है।
मुद्रा डेरिवेटिव क्या हैं?
- मुद्रा विनिमय दरों के आधार पर डेरिवेटिव भविष्य का एक अनुबंध है जो उस दर को निर्धारित करता है जिस पर किसी मुद्रा को किसी अन्य मुद्रा के लिये भविष्य की तारीख में आदान-प्रदान किया जा सकता है।
- भारत में कोई भी व्यक्ति डॉलर, यूरो, यूके पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के खिलाफ बचाव के लिये ऐसे डेरिवेटिव अनुबंधों का उपयोग कर सकता है।
- विशेष रूप से आयात या निर्यात करने वाले कॉर्पोरेट इन अनुबंधों का उपयोग किसी निश्चित मुद्रा के जोखिम के खिलाफ बचाव के लिये करते हैं।
- हालाँकि, इस तरह के सभी मुद्रा अनुबंधों का रुपए में नकद के रूप में निपटारा (cash-settled) किया जाता है, इस साल की शुरुआत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रॉस मुद्रा अनुबंध के साथ-साथ यूरो-डॉलर, डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? पाउंड-डॉलर और डॉलर- येन के साथ व्यापार में आगे बढ़ने को कहा है|
करेंसी डेरिवेटिव के साथ कोई व्यापार कैसे कर सकता है?
- दो राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज, BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में भी ऐसा ही सेगमेंट है लेकिन BSE या NSE पर इसका अधिक विस्तार देखा गया है।
- कोई भी ब्रोकर के माध्यम से मुद्रा डेरिवेटिव में व्यापार कर सकता है। संयोग से सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर भी मुद्रा व्यापार सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- यह इक्विटी या इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग की तरह है और ब्रोकर के ट्रेडिंग एप के माध्यम से किया जा सकता है। यद्यपि डॉलर-रुपए का अनुबंध आकार 1,000 डॉलर है, लेकिन केवल 2-3% मार्जिन देकर व्यापार शुरू किया जा सकता है।
एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्मों पर ऐसे डेरिवेटिव क्यों शुरू किये गए थे?
करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) को जानें
करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) विक्रेता और खरीदार के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, मुद्रा राशि से लिया जाता है। करेंसी डेरिवेटिव को विदेशी मुद्रा विनिमय दर अस्थिरता (Foreign Currency Exchange Rate Volatility) के खिलाफ किसी भी जोखिम का प्रबंधन करने के लिये सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है।
मुद्रा डेरिवेटिव क्या हैं?
- मुद्रा विनिमय दरों के आधार पर डेरिवेटिव भविष्य का एक अनुबंध है जो उस दर को निर्धारित करता है जिस पर किसी मुद्रा को किसी अन्य मुद्रा के लिये भविष्य की तारीख में आदान-प्रदान किया जा सकता है।
- भारत में कोई भी व्यक्ति डॉलर, यूरो, यूके पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के खिलाफ बचाव के लिये ऐसे डेरिवेटिव अनुबंधों का उपयोग कर सकता है।
- विशेष रूप से आयात या निर्यात करने वाले कॉर्पोरेट इन अनुबंधों का उपयोग किसी निश्चित मुद्रा के जोखिम के खिलाफ बचाव के लिये करते हैं।
- हालाँकि, इस तरह के सभी मुद्रा अनुबंधों का रुपए में नकद के रूप में निपटारा (cash-settled) किया जाता है, इस साल की शुरुआत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रॉस मुद्रा अनुबंध के साथ-साथ यूरो-डॉलर, पाउंड-डॉलर और डॉलर- येन के साथ व्यापार में आगे बढ़ने को कहा है|
करेंसी डेरिवेटिव के साथ कोई व्यापार कैसे कर सकता है?
- दो राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज, BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में भी ऐसा ही सेगमेंट है लेकिन BSE या NSE पर इसका अधिक विस्तार देखा गया है।
- कोई भी ब्रोकर के माध्यम से मुद्रा डेरिवेटिव में व्यापार कर सकता है। संयोग से सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर भी मुद्रा व्यापार सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- यह इक्विटी या इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग की तरह है और ब्रोकर के ट्रेडिंग एप के माध्यम से किया जा सकता है। यद्यपि डॉलर-रुपए का अनुबंध आकार 1,000 डॉलर है, लेकिन केवल 2-3% मार्जिन देकर व्यापार शुरू किया जा सकता है।
एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्मों पर ऐसे डेरिवेटिव क्यों शुरू किये गए थे?
शेयर मार्केट से कितना अलग है कमोडिटी मार्केट, जानिए कैसे होती है कमोडिटी ट्रेडिंग?
शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है.
कोरोना महामारी के बाद शेयर मार्केट में निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है. इसी साल अगस्त में डीमैट खातों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई. हालांकि, शेयर बाजार ने भी निवेशकों को निराश नहीं किया. तेजी से दौरान निवेशकों को बंपर मुनाफा मिला. लेकिन डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? यूरोप में यूद्ध के माहौल से सुरक्षित निवेश की मांग तेजी से बढ़ी है. क्योंकि शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड है. ऐसे में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी की मांग तेजी देखने को मिली है. क्या आपको पता है कि कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? मार्केट क्या है और यह इक्विटी यानी शेयर मार्केट से कितना अलग है.
कमोडिटी मार्केट क्या है?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स, बेस मेटल्स, एनर्जी, कच्चे तेल जैसी कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं.
भारत में दो तरह की कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है…
- एग्री या सॉफ्ट कमोडिटीज में मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च हैं. इसके अलावा सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना भी इसी का हिस्सा हैं.
- नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं.
इक्विटी मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है?
- इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. वहीं कमोडिटी मार्केट में कच्चे माल को बेचा और खरीदा जाता है.
- इक्विटी के होल्डर को शेयरहोल्डर कहा जाता है, जबकि कमोडिटी के होल्डर को ऑप्शन कहा जाता है.
- शेयरहोल्डर को पार्शियल कंपनी का मालिक माना जाता है, लेकिन कमोडिटी मालिकों को नहीं.
- इक्विटी शेयरों की समाप्ति तिथि नहीं होती है. जबकि कमोडिटी में ऐसा नहीं होता है.
- इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य माना जाता है. वहीं कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड का प्रावधान नहीं होता.
भारत में प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए प्रमुख एक्सचेंज हैं. इसमें मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) के साथ-साथ यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड शामिल हैं.
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग कैसे होती है?
कमोडिटी में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होगी. डीमैट अकाउंट आपके सभी ट्रेड और होल्डिंग के सिक्योर करेगा, लेकिन एक्सचेंज पर ऑर्डर देने के लिए आपको ब्रोकर के माध्यम से जाना होगा.
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