मानसिक हाथ में मस्तिष्क रेखा नीचे की ओर जाते हुये हो तो व्यक्त अत्यंत काल्पनिक और पागल होता है, ऐसा व्यक्ति व्यक्ति सनकी होता है, लेकिन समय बीतने के साथ वह व्यावहारिक हो जाता है।
मूल प्रवृत्ति क्या है
*सिगमंड फ्रायड ने व्यक्तित्व की 2 ही मूल प्रवृत्तियाँ बताई है।1.जीवन 2.मृत्यु।
*प्रेम,स्नेह व काम प्रवृत्ति को 'लिविडो' कहते है ं।
*लड़को मे ऑडिपस ग्रन्थि पाई जाती है।
*लड़कियो मे इलेक्ट्रा ग्रन्थि पाई जाती है।
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मालपुरा में युवा संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन: नशा अपराध करना सिखाता है, प्रवृत्ति रेखाएं नशे की प्रवृत्ति से दूर रहे युवा- एएसपी
मालपुरा में जिला पुलिस विभाग टोंक की ओर से आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम में एएसपी मालपुरा राकेश कुमार बैरवा ने रेखा देवी मेमोरियल नर्सिंग कॉलेज में विद्यार्थियों से संवाद किया। इस दौरान वृक्षारोपण किया।
शुक्रवार को आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एएसपी ने कहा कि युवा अपराध की तरफ प्रवृत्ति रेखाएं नहीं मुड़े इसके लिए उन्हें नशे की ओर नहीं जाना है। अपराध का बड़ा कारण नशा बनता जा रहा है। सोशल मीडिया ज्ञान के लिए जरूरी है, लेकिन इसका ज्यादा उपयोग खराब है।
उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि अपने आस.पास व क्षेत्र में होने वाली अपराधिक गतिविधियों की जानकारियां तुरंत पुलिस को दें। पुलिस सूचना देने वाला का नाम गुप्त भी रखती है।
मस्तिष्क रेखा का ज्ञान – Head Line in Palmistry
मस्तिष्क रेखा (Mind Line) हृदय रेखा (Heart Line) के नीचे होती है, यह रेखा तर्जनी व अंगूठे के लगभग बीच से शुरू होती है | मस्तिष्क रेखा (Mastishk Rekha) की स्थिति में किसी तरह की गड़बड़ी से व्यक्ति की अस्वाभाविक प्रवृत्ति का पता चलता है, सामान्यतः यह रेखा तर्जनी के नीचे से शुरू होती है जो की जीवन रेखा से जुड़ी हुई या फिर इससे कुछ दूर हो सकती है | यह जीवन रेखा के भीतर किसी स्थान से भी शुरू हो सकती है.
कहा होती है मस्तिष्क रेखा – Palmistry Head Line
मंगल के निचले पर्वत पर जीवन रेखा के अंदर उठती हुई, मस्तिष्क तथा जीवन रेखाएं करीबी से एक दूसरे से जुड़ी होती हैं. मस्तिष्क रेखा (Mastishk Rekha) जीवन रेखा से हटकर शुरू होती है | जिन लोगों की मस्तिष्क रेखा मंगल के निचले पर्वत पर जीवन रेखा के भीतर से उभरती है वे मंगल द्वारा संचालित होते हैं. यह रेखा व्यक्ति के मानसिक स्तर और बुद्धि के विश्लेषण को, सीखने की विशिष्ट विधा, संचार शैली और विभिन्न क्षेत्रों के विषय मे जानने की इच्छा को दर्शाती है।
- जीवन रेखा सामान्य स्वास्थ्य व शारीरिक गठन के बारे में बताती है. जबकि मस्तिष्क रेखा मानिसक स्वास्थ के बारे में बताती है. मस्तिष्क रेखा हाथ को दो भागों में बांटती है. ऊपरी भाग मानसिक स्वास्थ्य का सूचक होता है. निचला भाग भौतिक इच्छाओं को बताता है.
- यदि हाथ का ऊपरी हिस्सा अधिक विकसित हो प्रवृत्ति रेखाएं तो जातक मानवीय मूल्यों को महत्व देता है. उसका रूझान बौद्धिकता की ओर होता है. यदि निचला भाग अधिक पुष्ट हो तो जातक जंगली और क्रूर होता है. उसकी इच्छाएं खाने-पीने और भोगविलास की ओर ही अधिक होती हैं.
- मस्तिष्क रेखा की स्थिति व्यक्ति की बुद्धिमत्ता, सीखने की प्रवृत्ति, विशिष्ट विधा की दिशा को दर्शाती है तथा व्यक्ति की, बुद्धि और मन के निर्धारण मे महत्वपूर्ण भूमिका को व्यक्त करती है। इस रेखा का आरंभ तीन भिन्न स्थानों से हो सकता है। इसका आरंभ गुरु पर्वत के मध्य से, जीवन रेखा के प्रारंभ से या मंगल पर्वत से होता है।
- छोटी-छोटी रेखाएं मस्तिष्क रेखा में से ह्रदय रेखा की ओर उठती हों तो ये रेखाएं तीन-चार से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऐसे जातक में अच्छा-बुरा समझने की क्षमता होती है. यदि ऐसी ही छोटी-छोटी रेखाएं मस्तिष्क रेखा से निकलकर नीचे कलाई की ओर जाती हों तो वे मस्तिष्क को बलहीन बनाती हैं. ऐसा जातक मूर्ख होता है.
- मस्तिष्क रेखा का निरुपण हाथ के आकार के अनुसार भिन्न भिन्न होता है। हालांकि, सामान्य हाथ पर मस्तिष्क रेखा के विवरण की चर्चा पहले की जा चुकी है। मस्तिष्क रेखा की स्थिति के अनुसार कुछ सामान्य विवरण नीचे दिया जा रहा है,
- यदि मस्तिष्क रेखा का उद्गम गुरु पर्वत से होता है और वह जीवन रेखा को छूती है तो यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपने क्षेत्र मे उत्साही और कुशल प्रवृत्ति का होता है, और वह साहस और दृढ़ संकल्प के साथ अपने उद्देश्यों को पूर्ण करता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा का उदगम गुरु पर्वत से होता है परन्तु वह जीवन रेखा को नही छूती है तो यह इस बात को दर्शाती है कि व्यक्ति जल्दबाजी मे निर्णय लेने वाला और अविवेकी होगा है।
- यदि मस्तिष्क रेखा प्रारंभ मे जीवन रेखा को छूती हुई हो तो व्यक्ति संवेदनशील और घबराने वाला होता है जिसके कारण वह सावधानी और रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा का उदगम मंगल पर्वत से होता है और साथ ही यह जीवन रेखा को भी छूती है, तो यह एक अच्छा संकेत नही है, ऐसा व्यक्ति चिंतित और अस्थिर विचारों वाला होता है। ऐसा व्यक्ति अत्यधिक संवेदनशील और चिड़चिड़ा भी होता है।
- जब व्यक्ति के हाथ में दो हृदय रेखा हो तो यह तीव्र बुद्धि और अच्छी समझ का संकेत होता है, लेकिन यह बहुत कम हाथों में पाई जाती हैं।
- जब हृदय रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई हो तो यह, किसी दुर्घटना के कारण सिर पर घातक चोट का संकेत देता है।
- इस रेखा पर द्वीप हो तो व्यक्ति कमजोर होता है और यदि द्वीप बिल्कुल स्पष्ट हो तो व्यक्ति बीमारी से उबर नही पाता है।
- जब मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में एक समान दूरी हो तो व्यक्ति में गजब का विश्वास, उत्साह और विचारों की मुस्तैदी देखी जा सकती है।
मस्तिष्क रेखा एवं हाथ के आकार – Mastishk Rekha & Types of Hands
आमतौर पर मस्तिष्क रेखा का निरुपण हाथ के आकार पर भी निर्भर करता है। यहां पर प्रमुख छह प्रकार के हाथ जैसे मौलिक हाथ, वर्गाकार हाथ, चपटा हाथ, दार्शनिक हाथ, शंक्वाकर हाथ, मानसिक हाथ द्वारा विवेचन किया जा रहा है। मस्तिष्क रेखा और विभिन्न प्रकार के हाथ के संबंध में विवरण नीचे प्रदान किया गया है –
मौलिक हाथ – Elementary Hand
मौलिक हाथ में मस्तिष्क रेखा का झुकाव चंद्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति कल्पनाशील और अंधविश्वासी प्रवृत्ति का होता है।
वर्गाकार हाथ – प्रवृत्ति रेखाएं Square Hand
वर्गाकार हाथ मे यदि मस्तिष्क रेखा झुकाव लिये हो तो व्यक्ति का चरित्र कल्पनाशील परन्तु व्यावहारिकता पर निर्भर करता है। यदि बाकी हाथों मे भी मस्तिष्क रेखा झुकाव लिये हो तो व्यक्ति पूर्णतः सनकी होता है।
चपटा हाथ – Spatulate Hand
चपटे हाथ मे मस्तिष्क रेखा अत्यधिक झुकाव लिये हो तो व्यक्ति बेचैन, चिड़चिड़ा और असंतुष्ट स्वभाव वाला होता है।
हाथ व पैर की ये रेखा बताती है व्यक्ति की प्रकृति, चोर है या अपराधी
जयपुर:हस्तरेखा के अनुसार सबसे पहले उंगलियों एवं अंगूठे की बनावट देखी जाती है।हस्तरेखा के जरिए यह बताया जा सकता है कि व्यक्ति अपराधी है अथवा नहीं। इसके अलावा पैर के भी फलादेश के लिए पुरुषों का दायां और महिलाओं का बायां पैर महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका मतलब यह भी है कि स्त्रियों के बाएं एवं पुरुषों के दाएं पैर की रेखाएं सौद फीसदी फलदायक होती हैं इसलिए फलादेश में दोनों पैरों का महत्व होता है। तो जानते है हाथ व पैर की रेखाओं के बारे में.
हाथ की इस रेखा का महत्व
अगर दोनों हथेलियों की त्वचा खुरदरी, उंगलियां आगे से नुकीली, अंगूठा चपटा हो और मस्तिष्क रेखा हथेली के बीचो-बीच नीचे की तरफ झुकती चली जाए अथवा ऊपर की तरफ उठती हुई ह्रदय रेखा से मिलने की कोशिश करे या मिल जाय तो समझिए वह व्यक्ति मानसिक रूप से विक्षिप्त, अपराधी है ऐसा व्यक्ति समय के साथ उग्र होता जाएगा। ऐसे व्यक्ति के हाथ में शनि और मंगल पर्वत की स्थिति का भी आकलन जरूरी है।
मस्तक की इन 7 रेखाओं से भी चमक सकती है किस्मत, जानिए क्या कहती हैं आपकी माथे की लकीरें
उज्जैन. शरीर लक्षण विज्ञान के अनुसार, मस्तक की इन रेखाओं को देखकर व्यक्ति के भूत, भविष्य, वर्तमान व स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए व्यक्ति के मस्तक की स्थिति, आकार-प्रकार, रंग तथा चिकनाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। जानिए मस्तक पर कौन-कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है-
शनि रेखा
इस रेखा का स्थान मस्तक में सबसे ऊपर होता है। यह रेखा अधिक लंबी नहीं होती, केवल मस्तक के मध्य भाग में ही दिखाई देती है। समुद्र लक्षण विज्ञान के अनुसार, इस रेखा के आस-पास का भाग शनि ग्रह से प्रभावित माना जाता है।
जिसके मस्तक पर यह रेखा स्पष्ट दिखाई देती है, वह गंभीर स्वभाव का होता है। यदि एक उन्नत मस्तक (थोड़ा उठा हुआ) पर शनि रेखा हो तो ऐसे लोग रहस्यमयी, गंभीर व थोड़े अंहकारी होते हैं। इनके बारे में अधिक जानकारी बहुत कम लोगों के पास होती है। ये सफल जादूगर, ज्योतिर्विद या तांत्रिक हो सकते हैं।
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